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________________ 38 जिन सूत्र भाग: 2 बनो, मैं भी जुड़ा हूं। अगर शराबघर जाओ, जाना — लेकिन मुझको भी घसीटोगे। यह माला लटकी रहेगी। यह कहती रहेगी, अकेले नहीं जा रहे हो। यह तुम्हें रोकेगी । यह कई बार तुम्हारे पैर को आगे बढ़ने से रोक लेगी। यह कई बार तुम्हें उस जगह ले जाएगी जहां तुम कभी न गये थे, और उस जगह से रोक | देगी जहां तुम बहुत बार गये थे। क्रोधित होने को हो रहे होओगे कि यह माला दिखायी पड़ जाएगी। आग-बबूला होने को जा ही रहे थे, कि हाथ उठाकर मारने को ही थे कि यह गैरिक वस्त्र दिखायी पड़ जाएंगे, कोई भीतर लौट जाएगा। कहेगा, यह तुम क्या कर रहे हो ? | अब तुम ही नहीं हो, अब मैं भी तुम्हारे साथ प्रतिबद्ध हुआ । यह एक 'कमिटमेंट' है, एक प्रतिबद्धता है। यह मेरा भरोसा है तुम पर। यह मैं कहता हूं कि ठीक है, अब तुम नरक जाओगे तो मुझको भी जाना पड़ेगा। तुम्हारी मर्जी! प्रेम में घसिटन तो होती है। अगर तुम नर्क ही जाना चाहोगे तो ठीक है, मैं भी आऊंगा; लेकिन अब अकेला न छोडूंगा। ये सिर्फ प्रतीक हैं। इन प्रतीकों का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है । इनकी कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं हो सकती — जरूरत भी नहीं है। इंकलाब का मुदा है, इंकिलाब नहीं ये आफताब का परतौ है, आफताब नहीं यह केवल शुभ समाचार है क्रांति का, यह क्रांति नहीं है। तुमने वस्त्र पहन लिये गैरिक तो कोई क्रांति हो गयी, ऐसा नहीं है— सिर्फ शुभ समाचार है। ये तो केवल झलक है। . आफताब नहीं। और, सूरज से जुड़ा है गैरिक रंग। यह सूरज का रंग है । यह सूरज की पहली किरण का रंग है। यह सूर्योदय की खबर है। यह एक शुभ समाचार है। यह तो शुरुआत है मेरे साथ जुड़ने की। इसे अंत मत समझ लेना । भड़कती जा रही है दम-ब-दम इक आग-सी दिल में ये कैसे जाम हैं साकी, ये कैसा दौर है साकी है यह तो तुम राजी हुए, तो शुरुआत हुई। बहुत पीने-पिलाने को । यह तो तुम निमंत्रण स्वीकार कर लिये । I भड़कती जा रही है दम-ब-दम इक आग-सी दिल में ये गैरिक वस्त्र तो उस भीतर दिल की आग के बाहर प्रतीक हैं। कैसे जाम हैं साकी, ये कैसा दौर है साकी वे यह तो सूचना है सारे जगत को । यह खबर है औरों को कि जान लें कि अब तुम वही नहीं हो जो कल तक थे। यह तो खबर है औरों को कि अब वे तुमसे अपेक्षा न करें - वैसी अपेक्षाएं जैसी उन्होंने कल तक की थीं। यह तो खबर है औरों को कि अब वे गाली दें, तुम उत्तर न दोगे। यह तो उनको खबर है कि तुम बदल गये, कि तुम मर गये और नये हो गये, कि तुम्हें सूली लग गयी और तुम्हारा नया पुनर्जन्म हुआ। बागवानों को बताओ, गुलो-नसरी से कहो इक खराबे - गुलो-नसरीने बहार आ ही गया जाओ! मालियों को बताओ! खबर कर दो बागवानों को ! बागवानों को बताओ, गुलो-नसरी से कहो और फूलों से कह दो। ये इंकिलाब का मुज्दा है इंकिलाब नहीं तुमने गैरिक वस्त्र पहन लिये, तो कोई सूरज उग गया, ऐसा बच्चों को हम पढ़ाते हैं, 'ग' गणेश का - पहले पढ़ाते थे, अब नहीं है। यह तो केवल प्रतिबिंब है। आफताब का परत है.. पढ़ाते हैं 'ग' गधे का । क्योंकि गणेश तो एक 'सेकुलर' राज्य में, धर्म-निरपेक्ष राज्य में ठीक नहीं है। गधा प्रतीक है। 'ग' गधे का। हालांकि 'ग' न गधे का है और न गणेश का । मगर बच्चे को पढ़ाने के लिए कुछ तस्वीर देनी पड़ती है—– 'ग' गधे का, 'ग' गणेश का, कुछ तो; क्योंकि बच्चा 'ग' नहीं जानता, गधे को जानता है। गधे के साथ 'ग' सीख लेता है । फिर गधा तो भूल जाता है 'ग' रह जाता है। फिर ऐसा थोड़े ही है कि जब भी तुम पढ़ोगे, तो कभी 'ग' आएगा तो फिर कहोगे 'ग' गधे तुम पढ़ ही न पाओगे । फिर तो गधे और गणेश सब का। Jain Education International 2010_03 इक खराबे - गुलो-नसरीने बहार आ ही गया जहां कोई आशा न थी वसंत आने की, वहां भी वसंत आ ही गया। यह तो सिर्फ वसंत के आने की खबर है। जिनके भीतर हिम्मत हो वसंत को झेलने की, इस आग में जलने की और निखरने की, शुद्ध सोना बनने की — मैं राजी हूं। प्रतीकों पर मत जाओ। यह तो बहाने हैं। इनसे धोखा मत खाओ। यह तो केवल शुरुआत है – अ, ब, स । जैसे छोटे For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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