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________________ उateमाणुयोगद्दारे अणुभागउदीरणा ( २३१ संजणच उक्कम्मि अण्णदर० अनंतगुणा । वीरियंतराइय० अ० गुणा । अचक्खु ० अ० गुणा । परिभोगंतराइय० अ० गुणा । भोगंतराइय० अ० गुणा । लाहंतराइय० अणंतगुणा । दाणंतराइय० अ० गुणा । मणपज्जव० अ० गुणा । ओहिणाण० ओहिदंस ० अ० गुणा । सुदआवरण० अ० गुणा । चक्खुदं० अ० गुणा । मदिआवर० अ० गुणा । अपच्चक्खाणचक्क० अण्ण० अ० गुणा । पच्चक्खा० चउक्क० अण्ण० अ० गुणा । बंधिचक्क अण्ण० अ० गुणा । केवलणाण० केवलदंसण० अ० गुणा । मिच्छत्त० अ० गुणा । पयला० अ० गुणा । णिद्दा० अ० गुणा । पयलापयला० अ० गुणा । णिद्दाणिद्दा० अ० गुणा । श्रीणगिद्धि० अ० गुणा । ओरालिय० अणंतगुणा । area अ० गुणा । तिरिक्खाउ० अ० गुणा । तेजइय० अ० गुणा । कम्मइय० अ० गुणा । णीचागोद० अ० गुणा । अजसगित्ति० अ० गुणा । असाद० अ० गुणा । जसगित्ति० अनंतगुणा । साद० अनंतगुणा । एवमणुभाग उदीरणाए अप्पाबहुअं समत्तं । एत्तो भुजगारउदीरणाए अट्ठपदं- अणंतरविदिक्कते समए अप्पदराणि फद्दयाणि संज्वलनचतुष्क में अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । वीर्यान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी है । अचक्षुदर्शनावरणकी उदीरणा अनंतगुणी है। परिभोगान्तरायकी उदीरणा अनंतगुणी है । भोगान्तरायकी उदीरणा अनंतगुणी है । लाभान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी है । दानान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी है । मन:पर्ययज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी है । अवधिज्ञानावरण और अवधिदर्शनावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी है । श्रुतज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी है । चक्षुदर्शनावरणकी उदीरणा अनंतगुणी है । मतिज्ञानावरणकी उदीरणा अनंतगुणी है । अप्रत्याख्यानावरणचतुष्क्रमें अन्यतरकी उदीरणा अनंतगुणी है । प्रत्याख्यानावरणचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनंतगुणी है । अनन्तानुबन्धिचतुष्क में अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । केवलज्ञानावरण और केवलदर्शनावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी है । मिथ्यात्वकी उदीरणा अनन्तगुणी है । प्रचलाकी उदीरणा अनन्तगुणी है । निद्राकी उदीरणा अनन्तगुणी है । प्रचलाप्रचलाकी उदीरणा अनन्तगुणी है । निद्रानिद्राकी उदीरणा अनन्तगुणी है । स्त्यानगृद्धिकी उदीरणा अन गुणी है । औदारिकशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । वैक्रियिकशरीरकी उदीरणा अनन्त - गुणी है । तिर्यगायुकी उदीरणा अनन्तगुणी है । तैजसशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । कार्मणशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । तिर्यग्गतिकी उदीरणा अनन्तगुणी है । नीचगोत्रकी उदीरणा अनन्तगुणी है । अयशकीर्तिकी उदीरणा अनंतगुणी है । असातावेदनीयकी उदीरणा अनन्तगुणी है । यशकीर्तिकी उदीरणा अनन्तगुणी है । सातावेदनीयकी उदीरणा अनन्तगुणी है । इस प्रकार अनुभागउदीरणा अल्पबहुत्व समाप्त हुआ । यहां भुजाकार उदीरणाका अर्थपद कहा जाता है-- अनन्तर अतीत समय में अल्पतर अ-काप्रत्योः Jain Education International " साद० अण्णदर अनंतगुणा' इति पाठः । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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