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________________ ५, ६, ११६ ) बंधणाणुयोगद्दारे अप्पाबहुअपरूवणा ( २११ दिवड्ढमेत्तधुवक्खंधपढमवग्गणाहि कम्मइयवग्गणासु ओवट्टिदासु अण्णोण्णब्भत्थरासी जेण आगच्छदि तेण पुवुत्तगुणगारो सिद्धो। एदमत्थपदमुवरि सव्वत्थ वत्तव्वं । कम्मइयवग्गणाए हेटा अगहणवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा। को गुण ? अगहणवग्गणभंतरे अभवसिद्धिएहि अणंतगुणाओ सिद्धाणमणंतभागमेत्ताओ गुणहाणिसलागाओ अस्थि । एदाओ विरलिय विगं करिय अण्णोण्णब्भत्थरासी गुणगारो। मणदव्ववग्गणासु णाणासेडिसव्वदवा अणंतगुणा । को गुण ? मणदव्ववग्गणभंतरअण्णोण्णब्भत्थरासी गुणगारो । मणस्स हेटिमअगहणदव्ववग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा। को गुण ? अगहणअण्णोण्णब्भत्थरासी गुणगारो। भासावग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा। को गुण ? भासावग्गणअण्णोण्णभत्थरासो गुणगारो। भासाए हेटा अगहणवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा। को गुण ? अगहणअण्णोण्णब्भत्थरासी गुणगारो। तेजावग्गणासु णाणासेडिसव्वदवा अणंतगुणा । को गुण०? तेजावग्गणअण्णोण्णब्भत्थरासी। तेजइयस्स हेटिमअगहणदव्ववग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा। को गुण ? अगहणअण्णोण्णब्भत्थरासी । आहारवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अगंतगुणा । को गुण ० आहारवग्गणअण्णोण्णब्भत्थरासी । आहारवग्गणाए हेट्टिमअणंतपदेसियअगहणदव्ववग्गणासु णाणासेडिसवदव्वा अणंतगुणा । को गुण ० अगहणअण्णोण्णभत्थरासी । परमाणुवग्गणाए णाणासेडिसव्वदव्वा अणंतगुणा । को प्रथम वर्गणाओंसे कार्मणवर्गणाओंके भाजित करने पर यतः अन्योन्याभ्यस्त राशि आती है अतः पूर्वोक्त गुणकार सिद्ध होता है । यह अर्थपद आगे सर्वत्र कहना चाहिए। कार्मणवर्गणासे नीचे अग्रहणवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगणे हैं। गणकार क्या है । अग्रहणवर्गणाके भीतर अभव्योंसे अनन्तगणी और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण गणहानिशलाकायें हैं। इनका विरलन करके और दूना करके परस्पर गुणा करनेसे उत्पन्न हुई राशि गुणकार है। मनोद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुण हैं । गुणकार क्या है? मनोद्रव्यवर्गणाके भीतर स्थित अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । मनोवर्गणासे नोचेको अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या है। अग्रहणवगणाको अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। भाषावर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? भाषावर्गणाकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार हैं । भाषावर्गणासे नीचे अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या है? अग्रहणवर्गणाकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । तैजसद्रव्य वर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है? तैजसवर्गणाकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। तेजसवर्गणाके नीचे अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या हैं? अग्रहणद्रव्यवर्गणाकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । आहारवर्गणाओं में नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? आहारवर्गणाकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। आहारवर्गणासे नीचे अनन्तप्रदेशो अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? अग्रहणवर्गणाको अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। परमाणुJain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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