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________________ १३२ ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंड ( ५, ४, ३१. कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण तिण्णि समया। उक्कस्सेण संखेज्जा समया। एगजीवं पडुच्च जहण्णुक्कस्सेण तिणि समया । तवोकम्मं केवचिरं कालादो होदि ? जाणाजीवं* पडुच्च जहण्णेण तिण्णि समया। उक्कस्सेण पंचहरस्सक्खरद्धाओ संखेज्जगुणाओ। * एगजीवं पडुच्च जहण्णण तिणि समया । उक्कस्सेण पंचहरस्सक्खरद्धाओ। किरियाकम्मं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णण एग. समओ। उक्कस्सेण आवलियाए असंखेज्जदिभागो। एगजीवं पडुच्च जहण्णण एगसमओ। उक्कस्सेण बे समया। आधाकम्मं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ । उक्कस्सेण असंखेज्जा लोगा। अणाहारिअजोगीहिंतो जे णिज्जिण्णा ओरालियपरमाणू तेसिमेसो जहण्णुक्कस्सकालो वत्तव्वो। एवं कालाणुओगद्दार समत्तं । अंतराणुगमेण दुविहो णिद्देसो ओघेण आदेसेण य। ओघेण पओअकम्मसमोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं णिरंतरं आधाकम्मरस अंतरं केवचिरं कालादो होदि? जाणाजीनं पडुच्च णत्थि अंतरं णिरंतरं। एगजीनं पडुच्च जहण्णण एगसमओ । कुदो? ओरालियसरीरादो णिज्जिण्णणोकम्म ईर्यापथकर्मका कितना काल है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य काल तीन समय है और उत्कृष्ट काल संख्यात समय हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल तीन समय है । तपःकर्मका कितना काल है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य काल तीन समय है और उत्कृष्ट काल पांच हृस्व' अक्षरोंके उच्चारणमें जितना काल लगता है उससे संख्यातगुणा है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल तीन समय है और उत्कृष्ट काल पांच हस्व अक्षरोंके उच्चारणमें जितना काल लगता है उतना है । क्रियाकर्मका कितना काल है? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल आवलिके असख्यातवें भागप्रमाण है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल दो समय है। अधः काल है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सद काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समम है और उत्कृष्ट काल असख्यात लोकप्रमाण है। अनाहारक अयोगी जीवों के शरीरसे जो औदारिक परमाणु निर्जीर्ण होते है उनका यह जघन्य और उत्कृष्ट काल कहना चाहिये । इस प्रकार कालानुयोगद्वार समाप्त हुआ । अन्तरानगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है- ओघनिर्देश और आदेश निर्देश । ओघकी अपेक्षा प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका कितना अन्तरकाल है? नाना जीवोंकी और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है, निरन्तर है । अध:कर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है, निरन्तर है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है, क्योंकि जो औदारिक नोकर्मस्कन्ध औदारिकशरीरसे निर्जीर्ण होकर औदारिक भावके विना एक * अ-आप्रत्योः ' एगजीवं, काप्रतो, णाणेगजीवं इति पाठः। “काप्रतावित्यत आरभ्य ‘पहचरस्सक्खरद्धाओ पर्यन्त: पाठस्त्रुटितोऽस्ति अ-काप्रत्योः 'जा' इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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