SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शंका समाधान [२०१ [१०] शंका-मनःपर्ययज्ञानका क्या विषय है ? [१०] समाधान-मनःपर्ययज्ञानके विषयका निर्णय करते समय मुख्यत: इस बातका विचार करना आवश्यक है कि मनःपर्ययज्ञान केवल मनकी पर्यायोंको ही जानता है या मनके निमित्तसे प्रवृत होकर सीधे अन्य पदार्थोको भी जानता है। मनःपर्ययज्ञानकी व्युत्पत्ति करते हुए वीरसेनस्वामीने प्रकृति अनुयोगद्धारमें लिखा है कि दूसरेके मनोगत अर्थको मन कहते हैं और पर्यय शब्दका अर्थ विशेष है, इससे यह निष्कर्ष निकला कि मनकी अवस्थाए मनःपर्यय कहलायीं और उनका ज्ञान मन:पर्यय ज्ञान कहलाया। यदि इस लक्षण पर बारीकीसे ध्यान दिया जाता है तो इससे यही ज्ञात होता है कि मनःपर्यय ज्ञान साक्षातरूपसे मनकी अवस्थाओंको जानता है। किंतु वही प्रकृति अनुयोगद्धारमें जो मनः पर्ययज्ञानके विषयका ज्ञान करानेके लिए सूत्र आया है उनसे ज्ञात होता है कि मन:पर्ययज्ञान अन्य विषयोंको भी जानता है। सूत्र निम्न प्रकार है मणे माणसे पडिविदहत्ता परेसिं सण्णा सदि मदि चिंता जीविद मरणं लाहालाहं सुखदुक्खं णगरविणासं देसविणासं जयपयविणासं खेडविणासंदव्वडविणासं मडंकनिणासं पट्टणविणासं दोण्णमहविणासं अइबुट्ठि अणावुट्ठि सुवुढ दुवुट्ठि सुभिक्खं दुभिक्खं खेमाखेम भयरोग काल संजते अत्थे वि जाणादि। तात्पर्य यह है कि मतिज्ञानसे दूसरेके मनको ग्रहण करके ही यह जीव मनःपर्ययज्ञानसे दूसरेका नाम स्मृति, मति, चिन्ता जीवन, मरण, लाभ, अलाभ, सुख दुःख, नगरविनाश, देशविनाश, जनपदविनाश, खेटविनाश, कर्वटविनाश, मडम्बविनाश, पत्तनविनाश, द्रोणमुखविनाश, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, सुवृष्टि, दुर्वृष्टि, सुभिक्ष, दुर्भिक्ष, क्षेम, अक्षेम, भय, रोगको कालकी मर्यादा लिये हुए जानता है। तात्पर्य यह है कि इन सबके उत्पाद, स्थिति और भंगको मनःपर्ययज्ञानी जानता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001795
Book TitleMokshshastra
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
AuthorPannalal Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, P000, P005, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy