SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देख लेना चाहिए। किसी भी रेखा में थोड़ा दोष होने पर यदि ऐसा लगता है कि रोग का प्रभाव कम होगा, तो उस दशा में शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में होने पर उसका फल कई गुना बढ़ जाता है एवं उस रोग की निश्चितता का अनुमान होता है। मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष होने पर व्यक्ति का जिगर एवं पैनक्रियाज ग्रन्थियों की कार्यशक्ति कमजोर होती है। इन्हें अधिक बैठकर काम नहीं करना चाहिए तथा अपने जिगर का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो मधुमेह होने की पूर्ण सम्भावना होती है। शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में झुकाव व जीवन रेखा थोड़ी भी सीधी होने पर ऐसा होता है। स्वयं को तथा परिवार में भी किसी को यह रोग पाया जाता है। इसी से रक्त-चाप, जलोदर, जालीदार फोड़ा, पेशाब अधिक तथा गरम आना, शरीर में दर्द, वायु प्रबल होना, पिण्डलियों में दर्द, बेहोशी, आधाशीशी दर्द जैसा कष्ट होता है। ऐसे व्यक्तियों को चिकनाई वाले पदार्थ नहीं पचते, अतः इनसे बचते रहना चाहिए। कोमल हाथों में रोग शीघ्र तथा कठोर हाथ में देर से होते हैं। रोग का कारण व्यक्ति अपने पूर्व कर्म को मानता है और भाग्य को ही इस विषय में दोष देता है। शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा से कोई रेखा निकल कर नीचे की ओर जाती हो तो व्यक्ति की ऐडी में दर्द, गुप्तांग में भगन्दर रोग होते हैं। ऐडी के दर्द का कारण हड्डी बढ़ना होता है। ऐसे व्यक्तियों को अधिक नमक पसन्द होता है और उसी कारण हड्डी बढ़ जाती है। शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में तिल हो तो व्यक्ति के गुप्तांग में फोड़ा होता है, वैसे ही मस्तिष्क रेखा में कहीं भी तिल हो तो बड़ी आयु में लकवे का लक्षण है। स्त्री के हाथ में उपरोक्त लक्षण के साथ जीवन रेखा के आरम्भ में दोष होने पर गर्भपात के कारण सन्तान की सम्भावना देर से होती है। यदि जीवन रेखा सीधी भी हो तो प्रजनन कष्टमय होता है। जीवन रेखा अधूरी होने पर तो निश्चित रूप से ऐसा कहा जा सकता है। इस दशा में व्यक्ति का जिगर किसी न किसी रूप में दोष पूर्ण पाया जाता है तथा बहुत सम्भावना होती है कि उसकी मृत्यु जिगर दोष से ही हो, आयु लम्बी हो तो निश्चय ही ऐसा होता है। मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप या अन्य दोष होने पर, तथा चन्द्र की ओर एकदम झुकी होने पर एवं शुक्र पर्वत उठा हो तो मस्तिष्क में विकार आ जाता है। मस्तिष्क रेखा का निकास (जीवन रेखा से कम जुड़ा हुआ ) इस लक्षण में, मस्तिष्क व जीवन रेखा आपस में अधिक दूर तक जुड़ी अर्थात् 142 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy