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________________ निकास का प्रभाव जीवन रेखा के फल पर अवश्य पड़ता है। खमदार जीवन रेखा का निकास शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा से होता है। बृहस्पति से निकलने वाली जीवन रेखा जब जीवन रेखा बृहस्पति से उदय होती है तो व्यक्ति में उच्च विचार, सभ्यता, स्वात्माभिमान, स्वतन्त्र शासन की प्रवृति, स्वतन्त्र व्यक्तित्व आदि गुण पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्ति न किसी के बीच में बोलते हैं और न । ही यह पसन्द करते हैं कि कोई इनके बीच में हस्तक्षेप करे (देखें चित्र - 35 ) 1 मंगल से उदित जीवन रेखा मंगल से निकलने पर जीवन रेखा वैसे तो कभी दुःख व कभी सुख देने वाली होती है, परन्तु ये चिड़चिड़े स्वभाव के, क्रोधी, शंकालु तथा चुनौती देने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति लालची भी होते हैं और पेट में अम्ल का प्रभाव पाया जाता है। इन्हें तानाशाही पसन्द होती है। ये कभी-कभी चर्म रोग से पीड़ित भी देखे जाते हैं। इनके जन्म लेने के बाद परिवार में व्यय वृद्धि होती है तथा उतार-चढ़ाव आते हैं। आरम्भ में रोगी होते हैं। बृहस्पति और मंगल के बीच से उदित जीवन रेखा इस जीवन रेखा में मंगल और बृहस्पति दोनों का ही प्रभाव पाया जाता है। ऐसे व्यक्ति उन्नति करने वाले, शान्त और क्रोधी अर्थात् समय के अनुसार बर्ताव करने वाले होते हैं। ये किसी भी प्रकार का छोटा या बड़ा कार्य निःसंकोच कर सकते हैं, अतः शीघ्र ही उन्नति कर जाते हैं। Jain Education International 112 चित्र-35 For Private & Personal Use Only H. K. S -7 www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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