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________________ वार - लक्षणम् ] ४११ वो जोइये के वार संक्रम थयो एटले पहेलो वार पूर्ण थइ गयो अने तत्प्रतिबद्ध योग अपयोगो मटी गया वारनी समाप्ति तो लंकाना सूर्योदय समये ज व्याप्त छे अने तज्जन्य शुभाशुभयोगो सूर्योदय खते ज मटे छे. ग्रहोनो स्वभाव प्रकृतिरविः स्थिरः शीतकरश्वरश्च, महीज उग्रः राशिजश्च मिश्रः । लघुः सुरेज्यो भृगुजो मृदुश्च, शनिश्च तीक्ष्णः कथितो मुनीन्द्रैः ॥ १२९ ॥ पुंग्रहा जीवसूर्यारा, बुधमन्दौ नपुंसकौ । स्त्रीant चन्द्रशुकौ च सजलौ तौ च कीर्तितौ ॥ १३० ॥ भा०टी० - रवि स्थिर, सोम चर, मंगल उग्र, बुध मिश्र, गुरु हलवो, शुक्र कोमल अने शनि कठोर स्वभावनो छे. सूर्य, मंगल, गुरु पुरुष, बुध शनि नपुंसक, अने सोम तथा शुक्र स्त्री प्रकृतिना तथा जलाई ग्रहो छे. ग्रहोनुं वर्णाधिपत्य- जीवशुक्रौ तु विप्रेशौ, क्षत्रियेशी कुजोष्णरुम् । ज्ञः शूद्राणां विशां चन्द्रो, ह्यन्त्यजानां शनिः स्मृतः ॥ १३१ ॥ भा०टी० - गुरु शुक्र ब्राह्मणोना, रवि मंगल क्षत्रियोना, चन्द्र वैश्योनो, बुध शूद्रोनो अने शनि अन्त्यजो (अस्पृश्यजाति) नो स्वामी छे. Jain Education International वार विधेय कार्यों :राजाभिषेकोत्सवयानसेवागोमन्त्रौषधिशस्त्रकर्म । सुवर्णता मौर्णिकचर्मकाष्ठसंग्रामपण्यादि रवौ विदध्यात् ॥ १३२ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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