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________________ २२ [ कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे युक्त करवो, ते उपर देवनां रुपको चित्राववां अने पोतानी शक्ति प्रमाणे तेने सुशोभित करवो. (१२) दंड अने दंडनुं सालआजकाल दंडना विषयमा गुजराती तथा मारवाडी शिल्पिओमां मतभेद चाले छे, मारवाडी शिल्पिओ दंडनुं मान शिलाशा स्त्रोक्त करे छे, ज्यारे गुजराती शिल्पियो दंडना नीचला भागने तेना साल रूपे मानीने दंडमानमा सामेल गणता नथी, पण उपरनी नरजुना उपरना भागने ज दंड माने छे अने नरजु बजाधार (कोलाबा) वच्चेना सालने मानमांथी बाद करे छे एटले दंड बहुज लंबो-मानाधिक थइ जाय छे, अमारी मान्यतानुसार आमां गुजराती शिल्पियो भूलमां छे, दंड अने दंडनुं साल क्याँइ पण जुदां बताव्यां नथी नरजुमां थई दंडनो जे भाग ध्वजालयमां जाय.छे ते वास्तवमां जुदो होतो नथी पण दंडनो ज निम्न भाग होय छे अने एनुं मान दंडमानथी भिन्न होवू जोइये नहि, पूर्व कालमां वासना दंडो हता अने ते ध्वजाद्वारमा रोपाता त्यांथी ज एना माननी अने ग्रंथीपर्वनी गणना थती हती ते निकली न जाय एटला माटे तेनी जोडे वीजा वांसडाओने अंदर फसावी ध्वजदंडने सज्जन करवामां आवतो हतो अने वासनी लीली चीपटीओथी बांधीने मजबूत करवामां आवतो, ज्यारथी वासना दंडनी परम्परा उठीने लाकडाना दंडो बनवा मांडया त्यारथी दंडोने विषम पर्व अने समगांठो देखाडवामाटे लोहनी अगर पीतलनी बंगडीओ (चूडीओ) चढाववानी आवश्यकता पडी, शिल्पिओए जोयु के दंडना नीचेना छेडामां बंगडी लगाडतां ते नरजुमा तेम ज ध्वजाधारना खाडामां दंडनो छेडो आवशे नहि अने ते भाग गांठवालो न बनावीने त्यांथी दंडनुं मान गमशुं तो दंड 'समग्रंथि अने विषमपर्व' बनशे नहि. ए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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