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________________ शिक्षा-लक्षणम् ] विजया अने मंगला ए प्रमाणे होवां जोइये. भवशिलापक्षमा आग्नेयपुराणोक्त शिलाओना नामोनन्दा, भद्रा, जया, पूर्णा, अजिता, अपराजिता, विजया, मंगला अने धरणी ए प्रमाणे छे, ज्यारे शिल्पशास्त्रोक्त नामो आ प्रमाणे छेनन्दा भद्रा जया विजया, पूर्णा च पञ्चमी शिला । मङ्गला ह्यजिताऽपरा-जिता च धरणी भवा ॥२॥ शिलां निवेशयेत् पूर्य, पश्चात्पीठस्य बन्धनम् । जवायां शिखरे चैव, वेदिका कलशान्तिके ॥३॥ शिलोपरि समस्तं तत् , जिलाधश्चोपपीठकम् । इति युक्तिर्विधातव्या, शिलानां लक्षणं शुभम् ॥ ४॥ १ नन्दा, २ भद्रा, ३ ज ४ विजया, ५ पूर्णा, ६ मंगला, ७ अजिता, ८ अपराजिता अने, धरणी ए प्रमाणे पादशिलाओनां आ ९ नामो छे. प्रथम शिलान्यास करवो अने प.ते उपर पीठबंध करवो. जंघा, शिखर, वेदी अने कलश आ बधे स्साले प्रथम शिला स्थापीने पछी उपर चणतर करवं. कारण के उपरनुं बधु मंडाण शिला उपर ज होय छे. मात्र उपपीठ ज शिलानी नीचे होय छे. माटे एवी युक्ति करवी के जेथी शिला शुभलक्षणवाली बने. उपशिलाओ उपशिला एटले 'शिलानी नीचे रखाती आधारशिला जेमना मतमां जेटली शिलाओ तेटली ज उपशिलाओ पण होय छे. शिलाओ करतां उपशिलाओ लंबाई पहोळाई अने जाडाईमा कईक वधारे होवी जोइये. तेमना मध्यभागे निधिकलशो स्थापवा माटे खाडा करवा जोइये. खाडा निधिकलशोना प्रमाणानुसार ऊंडा अने लांबा-चोडा करवा. कदापि निधिकलशो उपशिला उपर न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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