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________________ [ कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे शूद्रनी गोळ खीली होवी जोइये. खीली उपर सर्व प्रथम सूत्रधारे घन प्रहार करवो. प्रथम प्रहारे खीली एक चतुर्थांश जेटली जमीनमां उतरे तो ते जमीन उत्तम जाणवी, एक तृतीयांश जेटली अंदर जाय तो मध्यम अने अडधी अंदर उतरी जाय तो वास्तुभूमि कनिष्ठ प्रकारनी जाणवी अने खीली अडधा उपरांत जमीनमां उतरी जाय तो ते भूमि वासने योग्य नथी एयो निर्णय करी लेवो. खीली उपर प्रहार करतां ते सीधी जमीनमां उतरे अथवा पूर्व उत्तर ईशानादि दिशा तरफ जराक नमे तो ते शुभसूचक गणाय छे. ___ खोली ठोकतां ते भागी जाय अथवा वांकी थइने दक्षिणादि अशुभ दिशामां नमी जाय तो अशुष निमित्त जाणीने ते मुहूर्ते भूमिग्रहण करवानू मांडी वाळवू जोइये. दोरडी वर्णानुसार कुशआदिनी बतावी छे, छतां सूतरनी दोरडी सर्ववर्णने माटे उत्तम छे, एवं ग्रंथांतरमां विधान करेलुं छे अने खीलीनी जेम दोरी बांधती वखते पण शुभाशुभ निमित्त ध्यानमा राखQ जोइये. दोरी बांधतां खीली न नमे, दोरी बराबर बंधाई जाय, बांधती वखते मंगलध्वनि अथवा मंगलशब्द काने पडे तो कार्यसिद्धिसूचक शुभनिमित्त समजबुं अने एथी उल्टुं जो दोरी बांधतां खीली ऊखडी जाय के अशुभदिशामां नमी जाय, दोरी तूटी जाय अथवा तत्काल कोइ रुदन आदिनो अशुभ शब्द कर्णगोचर थाय तो निमित्त शुभ नथी, एम जाणी मुहूर्त आगळ उपर राखg. ५. कूर्मशिला-लक्षण (१) यत्र संस्थाप्यते कूर्मः, कर्मरू पयुतापि वा। ब्रह्मस्थाने निवेश्याऽसौ, शिला कूर्मशिला हि सा॥२२॥ __ भा टो०-जे शिला उपर सोना, रूपा अथवा त्रांबानो कूर्म Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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