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________________ कषाय और कर्म अब हम इन बहत्तर भेदों का संक्षिप्त वर्णन करेंगे। २२ अनन्तानुबन्धी कषाय की कृष्णलेश्या-इस लेश्या में व्यक्ति की चित्तवृत्ति सर्वाधिक कलुषित होती है। वह प्रचण्ड क्रोधी, कलहप्रिय, वैर-ग्रन्थि बाँधने वाला, अत्यधिक ईर्ष्यालु, दूसरों के उत्कर्ष में असहिष्णु होता है। वह दुस्साहसी, निःशंक, स्वैराचारी, मायावी होता है। उसमें इन्द्रिय विषयों की लोलुपता, व्यसनों में आसक्ति, अभक्ष्य आहार-ग्रहण करने की विशेष भावना होती है। वह अत्यधिक अभिमानी - दूसरों का मान भंग करने वाला तथा स्वयं का मान पुष्ट करने वाला होता है। पर-स्त्री सेवन, पूर्वापर विचार रहित अवस्था, पापरत उसका जीवन होता है। अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ से युक्त कृष्णलेश्या में निकृष्टतम विचार-दशा रहती है। ___ अनन्तानुबन्धी कषाय की नीललेश्या- इस लेश्या से युक्त व्यक्ति आलसी, निद्रालु तथा मायावी होता है। इन्द्रिय-विषयों में तीव्र आसक्ति, कुटुम्ब आदि में प्रगाढ़ मोह, धन-संग्रह की अभीप्सा, विकथा-प्रियता इस भावावस्था में विशेष रहती है। ___ अनन्तानुबन्धी कषाय की कापोतलेश्या- इस लेश्या वाला व्यक्ति परनिन्दक, आत्म-प्रशंसक, शोक में डूबने वाला, ईर्ष्यालु, मोह-संतुष्टि के लिए अति व्यय करने वाला होता है। अनन्तानुबन्धी कषाय की तेजोलेश्या- इस विचार-दशा में पापभीरुता, नारकीय कष्टों से भय, स्वर्गादि सुखों की आशंका, कार्याकार्य विचारणा, दयाभावना, द्वेष-ईर्ष्यादि दुर्भावों से निवृत्ति होती है। अनन्तानुबन्धी कषाय की पद्मलेश्या- इस लेश्या में भोगासक्ति रहित, गंभीर, धैर्यशाली, उदार, परोपकार-परायण स्वभाव से युक्त होता है। अनन्तानुबन्धी कषाय की शुक्ललेश्या- शुक्ल भावदशा से युक्त ऐसा व्यक्ति हर्ष-विषाद, जीवन-मृत्यु, शत्रु-मित्र, राजा-रंक, सुख-दुःख में भेद नहीं रखता है। हर परिस्थिति में वह सहज रहता है। अनन्तानुबन्धी कषाय से युक्त व्यक्ति भी स्वर्ग-सुखों की लालसा से तपस्वी बन सकता है, मुनिवेश धारण कर कठोर साधना कर सकता है, भयंकर उपसर्गों में क्षमा का परिचय दे सकता है। अप्रत्याख्यानी कषाययुक्त सम्यग्दृष्टि से वह २२. भावदीपिका | पृ. ८५ से ९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001719
Book TitleKashay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHempragyashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Kashaya
File Size11 MB
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