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________________ २८४ ११. भिक्षाचारी १२. सचेल-अचेल उत्कृष्ट-मध्यम अन्तरात्मा २८४ ४.३.४ २८५ <Www २२ २९७ २९९ अध्याय ५ : परमात्मा का स्वरूप, लक्षण और प्रकार ५.१ परमात्मा का सामान्य स्वरूप २८७ ५.१.१ अर्हत् परमात्मा २८८ ५.१.२ सामान्य केवली और तीर्थंकर २८८ ५.१.३ सयोगी केवली और अयोगी केवली ५.२ जैनाचार्यों की दृष्टि में परमात्मा का स्वरूप एवं भेद ५.२.१ आचार्य कुन्दकुन्द की दृष्टि में परमात्मा का स्वरूप २९३ (क) मोक्षपाहुड के अनुसार परमात्मा (ख) नियमसार के अनुसार परमात्मा २९४ ५.२.२ स्वामी कार्तिकेय के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ५.२.३ आचार्य पूज्यपाद के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ५.२.४ योगीन्दुदेव के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ३०० (क) परमात्मप्रकाश के अनुसार परमात्मा ३०० (ख) योगसार के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ३०७ ५.२.५ मुनि रामसिंह के पाहुडदोहा में परमात्मा का स्वरूप ३०९ ५.२.६ आचार्य शुभचन्द्र के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ३१३ ५.२.७ अमितगति के योगसारप्राभृत में परमात्मा का स्वरूप ३१७ ५.२.८ गुणभद्र के आत्मानुशासनम् में परमात्मा का स्वरूप ५.२.९ हेमचन्द्र के योगशासत्र के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ३२० ५.२.१० बनारसीदासजी के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ५.२.११ आनन्दघनजी के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ३२५ ५.२.१२ देवचन्द्रजी के अनुसार परमात्मा का स्वरूप ३२८ ५.२.१३ श्रीमद् राजचन्द्रजी के अनुसार परमात्मा तीर्थंकर का स्वरूप ३३२ ५.४ अतिशय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001714
Book TitleJain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyalatashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Soul
File Size8 MB
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