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________________ अन्तरात्मा का स्वरूप, लक्षण और प्रकार २३३ जो अपने मन को मुण्डित करती है।६ अन्तरात्मा विषय-भोग से तो निवृत्त होती ही है किन्तु उसकी रूचि बाह्य कर्मकाण्ड और लोकेषणा में भी नहीं होती। यहाँ मुनिरामसिंह लिखते हैं कि पुण्य से वैभव की प्राप्ति होती है; वैभव से अभिमान या गर्व होता है; गर्व से बुद्धिभ्रम होता है और बुद्धिभ्रम से पाप होता है और पाप से नरक की प्राप्ति होती है। इस तथ्य को लक्षित करते हुए वे आगे कहते हैं कि “अन्तरात्मा पुण्य और पाप के झमेले में नहीं पड़ती। वह तो शुद्ध आत्मतत्त्व को उपलब्ध करती है। मुनिरामसिंह साधक आत्मा अर्थात् अन्तरात्मा को उपदेश देते हैं: “हे योगी! तुम योग को धारण करो। यदि तुम संसाररूपी प्रपंच में नहीं पड़ोगे तो इस देहरूपी कुटिया के नष्ट होने पर भी अक्षयपद अर्थात् मोक्षपद को उपलब्ध कर लोगे।" वे पुनः कहते हैं - “हे मनरूपी करभ (ऊँट), इन्द्रियों के विषयसुख से आसक्त मत बनो, क्योंकि ये इन्द्रियजन्य विषयसुख क्षणिक हैं। अतः जिससे शाश्वत् सुख प्राप्त नहीं होता, उसे क्षणभर में ही छोड़ देना चाहिये। तुम आक्रोश और क्रोध भी मत करो, क्योंकि क्रोध से धर्म नष्ट होता है। धर्म के नष्ट होने पर नरकगति की प्राप्ति होती है और ऐसी स्थिति में मनुष्य जन्म व्यर्थ ही चला जाता है। यहाँ मुनिरामसिंह ने अन्तरात्मा को विषय-सुखों से विमुख होने के साथ-साथ क्रोधादि कषायों से भी ऊपर उठने का निर्देश दिया है अर्थात् परमात्मा का प्रतिदिन ध्यान करने की अन्तरात्मा को प्रेरणा -वही । 'मुडियमुंडिय मुंडिया, सिरू मुंडिउ चित्तु ण मुंडिया । चित्तहं मुंडणु जे कियउ, संसारहं खंडणु ते कियउ ।। १३६ ।।' (क) 'सहजअवत्थहिं करहुलउ जोइय जंतउ वारि । ____ अखइ णिरामर पेसियउ सई होसइ संहारि ।। १७१ ।।' (ख) अखइ णिरामइ परमगइ मणु घल्लेप्पिणु मिल्लि । तुट्टेसइ मा भंति करि आवागमणहं वेल्लि ।। १७२ ।।' (ग) 'देहादेवलि सिउ वसइ तुहु देवलइं णिएहि । हासउ महु मणि अस्थि इहु सिद्धे भिक्ख भमेहि। । १८७ ।।' -पाहुडदोहा । -वही । -वही । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001714
Book TitleJain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyalatashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Soul
File Size8 MB
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