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________________ खण्ड : षष्ठ जैन धर्म में ध्यान का ऐतिहासिक विकास क्रम आदि चार ध्यानों का तथा पार्थिवी आदि धारणाओं का उल्लेख किया है तथा जैन परम्परा के साथ उन्हें समायोजित करने के लिए उनकी विधि में आंशिक परिवर्तन भी किया है। इसके साथ ही आचार्य शुभचन्द्र की दूसरी विशेषता यह है कि उन्होंने त्रितत्त्व के अन्तर्गत शिवतत्त्व, काम तत्त्व और गरुड़ तत्त्व का जो विवेचन किया है वह ध्यान में और अधिक परमोच्च श्रेयस् भाव, तीव्रतम उत्साह और परम पराक्रम को संयोजित करने के लिए किया है। वस्तुत: आचार्य शुभचन्द्र की इस चर्चा पर भी शैव तांत्रिकों का स्पष्ट प्रभाव है। आचार्य सोमदेव कृत योगमार्ग : ____ महान् कवि, तार्किक और तत्त्वद्रष्टा श्री सोमदेव सूरि दिगम्बर जैन परम्परा में देवसंघ के आचार्य थे। उनका समय विद्वानों द्वारा दसवीं शताब्दी माना जाता है। इनके गुरु का नाम नेमिदेव था। उन्होंने अपने द्वारा रचित 'यशस्तिलक चम्पू' में लिखा है कि वे राष्ट्रकूटवंशीय सम्राट् कृष्ण तृतीय के आश्रित सामन्त चालुक्यवंशीय अरिकेसरी के सम सामयिक थे। कृष्ण तृतीय का समय इतिहास के अनुसार 929968 ईस्वी है। अरिकेसरी का बड़ा पुत्र वाद्यराज-वागराज-वदिक इनका अनन्य भक्त था। उसकी राजधानी गंगाधारा या गंगधारा नामक नगर में थी। वहाँ 969 ईस्वी में उन्होंने यशस्तिलक चम्पू की रचना की। आचार्य सोमदेव ने युक्तिचिन्तामणि, योगमार्ग, अध्यात्म तरंगिणी एवं नीतिवाक्यामृत आदि अनेक ग्रंथों की रचना की। इनके द्वारा रचित योगमार्ग' जैन योग पर विशेषत: ध्यानसाधना पर एक उच्च कोटि की रचना है। इनकी शैली बहुत ही पांडित्यपूर्ण तथा आलंकारिक है। योगमार्ग की विविध छन्दों में रचना हुई है। मागमागेसम्मत ध्यान साधना विधि : आचार्य सोमदेव ने योगमार्ग में ध्यानयोगियों की गरिमा का आख्यान करते हुए लिखा है- जो महापुरुष अपने आप उदयप्राप्त लक्ष्मी-वैभव, साम्राज्य आदि वैभव के उपभोग में, देवों से प्राप्त सामग्री में, ध्यान के प्रभाव से प्राप्त दिव्य भोगों के सेवन में, कल्पवृक्षों से प्राप्त सुख-समृद्धि में, पृथ्वी, आकाश अथवा दिशा-विदिशा में ~~~~~~~~~~~~~~~ 63 ~~~~~~~~~~~~~~~ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001711
Book TitleJain Dharma me Dhyana ka Aetihasik Vikas Kram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUditprabhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Yoga, Religion, & History
File Size9 MB
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