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________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 1336 में लक्ष्मीनिधि महत्तरा का अन्य 13 साध्वियों के साथ श्री जिनेश्वरसूरिजी के संघ सह शत्रुंजयतीर्थ यात्रा करने का उल्लेख है । 45 5.1.38 गणिनी चारित्रमति ( संवत् 1288 ) संवत् 1288 मिति पौष शुक्ला 11 के दिन श्री जिनेश्वरसूरिजी के सान्निध्य में आपने धर्ममती, विनयमती, एवं विद्यामती आदि 10 मुमुक्षु आत्माओं के साथ जालोर में दीक्षा अंगीकार की थी 146 5.1.39 श्री राजमति, हेमावली, कनकावली, रत्नावली, मुक्तावली ( संवत् 1289 ) संवत् 1289 ज्येष्ठ शुक्ला 12 के शुभ दिन चित्तोड़ (राज.) में श्री जिनेश्वरसूरि (द्वि.) के द्वारा श्री राजमति आदि 5 बहिनों ने संयम जीवन अंगीकार किया था। 47 5.1.40 महत्तरा चंदनश्री (संवत् 1291 ) आपने संवत् 1291 मिति वैशाख शुक्ला 10 को जाबालिपुर में शीलसुन्दरी के साथ दीक्षा ग्रहण की। संवत् 1340 ज्येष्ठ कृ. 5 के दिन जिनप्रबोधसूरिजी ने इन्हें 'महत्तरा' पद से विभूषित कर 'चंदनसुंदरी' से 'चंदन श्री ' नाम प्रदान किया । 48 5.1.41 श्री मुक्तिसुंदरी (संवत् 1309 ) श्री मुक्तिसुंदरी ने संवत् 1309 माघ शुक्ला 12 को पालनपुर में श्री जिनेश्वरसूरि से दीक्षा अंगीकार की । 5.1.42 श्री जयलक्ष्मी, कल्याणनिधि, प्रमोदलक्ष्मी, गच्छवृद्धि ( संवत् 1313 ) श्री जिनेश्वरसूरि द्वारा ही संवत् 1313 चैत्र शुक्ला 14 को जालोर में श्री जयलक्ष्मी आदि 4 मुमुक्षु बहनों के संयम जीवन अंगीकार करने का उल्लेख प्राप्त होता है। 50 5.1.43 प्रवर्तिनी रत्नवृष्टि ( संवत् 1315 ) आप साऊ रूयड़ विमलचन्द्र " की पुत्री थी। आपने श्री जिनेश्वरसूरि जी से पालनपुर में संवत् 1315-16 आसाढ़ शुक्ला 10 को दीक्षा अंगीकार की, आपके साथ ही 'बुद्धिसमृद्धि' और 'ऋद्धिसुन्दरी' भी दीक्षित हुई थीं। 45. (क) ख. बृ. गु., पृ. 49-50, 52, (ख) ख. इति., पृ. 115 46. ख. बृ. गु., पृ. 89 47. ख. बृ. गु., पृ. 49 48. (क) ख. बृ. गु., पृ. 49-58, (ख) ख. इति., पृ. 109 49. ख. बृ. गु., पृ. 49 50. ख. बृ. गु., पृ. 50 51. अनेकान्त जय पताका वृत्ति की प्रशस्ति में साहू विमलचन्द्र के पुत्रों द्वारा शत्रुञ्जय, उज्जयन्त आदि महातीर्थों में संघ यात्रा निकालने और उस उपलक्ष में स्वर्णगिरि पर प्रासाद निर्माण का उल्लेख है । - स्वर्णगिरि जालोर, पृ. 28 Jain Education International 276 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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