SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 302
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास भावना बढ़ी, अपने ज्येष्ठ मुनि श्री चन्द्रसागर जी, काका आचार्य वीरसागर जी, पुत्र मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी से धर्म प्रेरणा प्राप्त कर आपने भी श्री सुपार्श्वसागर जी से संवत् 2020 में क्षुल्लिका दीक्षा ली और अगले वर्ष संवत् 2021 में आचार्य शिवसागर जी से महावीरजी तीर्थ में आर्यिका दीक्षा ली। आप अपनी संयमचर्या में बड़ी जागरूक हैं, नमक, तेल, दही का त्याग किया हुआ है। चारित्रशुद्धि, कर्मदहन तीस चौबीसी जैसी तपस्याएं की हैं। 4.9.28 आर्यिका श्री आदिमतीजी (संवत् 2021) कामा निवासी सुंदरलाल जी अग्रवाल के घर में समुत्पन्न बालिका मैनाबाई कोसी निवासी श्री कपूरचंद जी की गृहशोभा बनकर गई, किंतु 1 वर्ष पश्चात् ही वैधव्य ने जगत की असारता का चित्र उनके समक्ष प्रस्तुत कर दिया, अतः इन्होंने संवत् 2017 को कम्पिला जी में क्षुल्लिका दीक्षा ली, तदुपरान्त संवत् 2021 में मुक्तागिरि पर आचार्य विमलसागर जी से आर्यिका दीक्षा अंगीकार की। वर्तमान में ये संघ की परम तपस्विनी आर्यिका के रूप में प्रसिद्ध हैं।180 4.9.29 आर्यिका श्री अनन्तमतीजी (संवत् 2022) आपने 'कन्नड़' ग्राम (औरंगाबाद) के सेठ हीरालाल जी के घर संवत् 1939 में जन्म लिया। 13 वर्ष की अल्पायु में 'आहुल' निवासी श्री सुखलालजी कासलीवाल के साथ विवाह हुआ, उनसे एक पुत्र व एक पुत्री की प्राप्ति हुई, नौ वर्ष की अवधि में आप वैधव्य को प्राप्त हुईं, आपने उदार मन से अपनी सम्पत्ति को पंचकल्याणक, प्रतिमाओं के लिये अर्पित कर संवत् 2006 को नागौर में आचार्य वीरसागरजी के कर-कमल से क्षुल्लिका दीक्षा ग्रहण की, एवं 16 वर्ष कठोर व्रतों का पालन करने के पश्चात् संवत् 2022 कार्तिक शुक्ल 11 को आचार्य धर्मसागरजी से खुरई (सागर) में आर्यिका दीक्षा ली। इस प्रकार आप धार्मिक प्रभावना व आत्मकल्याण हेतु तप साधना में तत्पर हैं।18 4.9.30 आर्यिका श्री विनयमतीजी (संवत् 2023) आप मड़ावरा (उ. प्र.) के श्रीमान् मथुराप्रसादजी की सुपुत्री व चतुर्भुजजी की पत्नी थीं, विरक्त आत्माओं को देखकर आपने भी संवत् 2023 को कोटा में आचार्य शिवसागरजी से आर्यिका दीक्षा ले ली। आपने उदयपुर, प्रतापगढ़ आदि स्थानों पर धर्म की प्रभावना की, मीठा, नमक और दही का त्याग कर आपने विरक्ति का आदर्श उपस्थित किया।182 4.9.31 आर्यिका श्री दयामतीजी (संवत् 2023) आप सुविख्यात आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की लघु भगिनी हैं। आपके पिता श्री भागचन्द्र जी एवं माता मानकबाई छाणी (उदयपुर) के सुप्रतिष्ठित व्यक्ति थे, बचपन से आपके मानस में वैराग्य की भावना अंकुरित 179. (क) दि. जै. सा., पृ. 189, (ख) आर्यिका रत्नमती अभि. ग्रंथ, पृ. 403 180. दि. जै. सा., पृ. 399 181. दि. जै. सा., पृ. 245 182. दि. जै. सा., पृ. 204 240 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy