SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 539
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International प्राच्य विद्यापीठ : एक परिचय डॉ. सागरमल जैन पारमार्थिक शिक्षण न्यास द्वारा सन् 1997 में संचालित प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर आगरा- -मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य भारतीय प्राच्य विद्याओं के उच्च स्तरीय अध्ययन, प्रशिक्षण एवं शोधकार्य के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को पुन: प्रतिष्ठित करना है। इस विद्यापीठ में जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्म आदि के लगभग 10,000 दुर्लभ ग्रन्थ उपलब्ध है । इसके अतिरिक्त 700 हस्त लिखित पाण्डुलिपियाँ है । यहाँ 40 पत्र-पत्रिकाएँ भी नियमित आती है। इस परिसर में साधु-साध्वियों, शोधार्थियों और मुमुक्षुजनों के लिए अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ निवास, भोजन आदि की भी उत्तम व्यवस्था है। शोधकार्यों के मार्गदर्शन एवं शिक्षण हेतु डॉ. सागरमलजी जैन का सतत् सानिध्य प्राप्त है। इसे विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा शोध संस्थान के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। प्रकाशन सूची 1. जैन दर्शन के नव तत्त्व-डॉ. धर्मशीलाजी 2. Peace and Religious Hormony - Dr. Sagarmal Jain 3. अहिंसा की प्रासंगिकता-डॉ. सागरमल जैन 4. जैन धर्म की ऐतिहासिक विकास यात्रा - डॉ. सागरमल जैन 5. जैन गृहस्थ के षोडश संस्कार-अनु. साध्वी मोक्षरत्ना श्री 6. जैन मुनि जीवन के विधि-विधान अनु. साध्वी मोक्षरत्नाश्री 7. अनुभूति एवं दर्शन-साध्वी रूचिदर्शनाश्री 8. जैन विधि-विधानों के साहित्यों का बृहद इतिहास- साध्वी सौम्यगुणाश्री 9. प्रतिष्ठा, शान्तिककर्म, पौष्टिक कर्म एवं बलि विधान अनु. साध्वी मोक्षरत्नाश्री 10. प्रायश्चित, आवश्यक, तप एवं पदारोपण विधि-अनु. मोक्षरत्नाश्री 11. धर्म का मर्म-डॉ. सागरमल जैन 12. जैन धर्म की ऐतिहासिक विकास यात्रा - डॉ. सागरमल जैन Mate & Personal Only jainen parzorg
SR No.001677
Book TitleJain Dharma me Aradhana ka Swaroop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadivyanjanashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Worship
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy