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________________ -166: २-३७] परमप्प-पयासु 156) जं जह थक्कउ दव्वु जिय तं तह जाणइ जो जि । अप्पहं केरउ भावडउ णाणु मुणिज्जहि सो जि ॥२९।। 157) जाणवि मण्णवि अप्पु परु जो पर-भाउ चएइ । सो णिउ सुद्धउ भावडउ णाणिहि चरणु हवेइ ॥३०॥ 158) जो भत्तउ रयणत्तयहँ तसु मुणि लक्खणु एउ। ____ अप्पा मिल्लिवि गुण-णिलउ तासु वि अण्णु ण झेउ ॥३१॥ 159) जे रयणतउ णिम्मलउ णाणिय अप्पु भणंति । ते आराहय सिव-पयहँ णिय-अप्पा झयंति ॥३२॥ 160) अप्पा गुणमउ णिम्मलउ अणुदिणु जे झायंति । ते पर णियमें परम-मुणि लहु णिव्वाणु लहंति ॥३३॥ 161) सयल-पयत्यहं जं गहणु जीवह अग्गिम होइ । वत्थु-विसेस-विवज्जियउ तं णिय-दसणु जोइ ॥३४॥ 162) दसण-पुव्वु हवेइ फुडु जं जोवहँ विण्णाणु । वत्थ-विसेसु मुणंतु जिय तं मुणि अविचलु णाणु ॥३५।। 163) दुक्खु वि सुक्खु सहंतु जिय णाणिउ झाण-णि लोणु । कम्महँ णिज्जर-हेउ तउ वुच्चइ संग-विहीण ॥३६।। 164) कायकिलेसे पर तणु झिज्जइ विणु उवसमेण कसाउ ण खिज्जइ । ण करहिं इंदिय मणह णिवारणु उग्गतवो वि ण मोक्खह कारणु ॥३६*१।। 166) अप्प-सहावे जासु रइ णिच्चुववासउ तास । बाहिर-दब्वे जासु रइ भुक्खुमारि तासु ॥३६*२।। 166) बिणि वि जेण सहंतु मुणि मणि सम भाउ करेइ । पुण्णहं पावह तेण जिय संवर-हेउ हवेइ ॥३७॥ 156) TKM जो and सो for & and तं, मुगिज्जइ. 157) TKM मण्णइ; C चरण. 158) TKM मेल्लवि, तासु जि. 159) TKM रयगत्तयणिम्मल उ, णिउ अप्पा 160) TKM जे अणुदिणु, तं परु for ते पर; c णिब्वाणि. 161) C जीवहु; TKM सयलविसेसु. 162) BC दंसणु पुचु; C मुणंति. 163) C दुक्ख वि सुक्ख; TKM सोक्खु, झाणे, बुज्झइ for बुच्चइ. 164) Only in P; किलेसं. 165) Only in P. 166) TKM बेण्णि....सहंति, मणे; c तेणि for तेण. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001524
Book TitleParmatmaprakash
Original Sutra AuthorYogindudev
AuthorA N Upadhye
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1988
Total Pages182
LanguagePrakrit, Apabhramsha, English, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Spiritual
File Size13 MB
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