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________________ मिल ] महाघाय - महाघात ( = कोई शस्त्र, संभवत: गढ़ा ) १३.३.१२ हमारी ) १०.२.५ महारी - अस्मदीया महि त स ( = पृथिवी ) १.५.३,१.९. १६६.१८.७ ११.७.१३ ( बहुशः ) मही १.२.१०२.५.१२ महिम - महिमन् ( = गौरव) १६.१३.११ महिल – महिला १.९.८;३.१०.९,१.१२.११ - महिवट्टि - महिवर्ती १३.१५.१ महिस-महिष (भैंस) २.१२.१२.१०.६ = -स्त्री० महिसी ६.१३.११ महिसि - महिषी (रानी) ५.२.१ महिहर - महिधर ( = पर्वत ) १२.१५, ११.१०.९ -महीहर ५.७.११,७.८.६. महु - मधु ( = शहद ) ३.१४.१० महु - मधूक (= महुआका वृक्ष ) १४.२.५ महु - मधु ( = मीठा ) २.५.१ महुर - मधुर २.१०.१९.३.६,१३.३.५ महुकीडय मधुकैटन (चपा प्रतिवासुदेव ) १०.२२.४ महुरस - मधुरस १७.५.७ महेसर महेश्वर ( महान् + ईश्वर) १५.१०.४ - महोरग - त स २.१४.९ मा-तस ( = निषेधार्थक अव्यय ) विध्यर्थके साथ २.१०.४ V मा - मा ( = समाना ) वर्तο ० तृ० ब० माई ८.१४.४ माहिं १.५.३ भू० कृ० माझ्य ५.३.९, ६.१२.१३,८.१४.१२ मायप ११.५.४ माइमाता ८.१०.१० - माय १.२१.१०८.१०.१० माण - मान ( = गर्व ) १.१६.२९.५.४ माण - मान ( = प्रामाण ) ६.१७.४ " माणण - ( = आदर देनेवाला ) ६.१.१३,८.२३.१२ माणथंभ - मानस्तंभ १५.७.३ माणय-ओ - मानप्राप्त ( = आदर प्राप्त ) ६.८.१. माणव मानव १.१०.५ माणस - ( = मानसरोवर ) ६.१८.१२५०.७.१२ माणारूढय - मानारुड + क ( = अपने मान की चिंता रखने वाला ) १४.१३.१३ माणिक्क - माणिक्य २.१५.२३.९.१० माणुस - मानुष २.१४.१ माणुसिय मानुषिक १.२.२ २२ शब्दकोश Jain Education International = माणुसोत्तर - मानुषीत्तर पर्यंत १६.१४.८३१६.१६.१ माभीस - अभय ११.४.८ माया त स ५.११.११८.४.८ मारत स ( = कामदेव ) १८.२१.५ V मार - ( = मारना; मार डालना ) ० प्र० ए० मारमि ९.१०.७ वर्त ० वर्त० ० तृ० ब० मारहिं ३.८.२ आ० द्वि० ए० मारि ६.११.७ भू० कृ० मारिय २.१३.९;१२.१४.१५ वि० कृ० मान्वउँ १४.२७.११ मारी - त स ( = भीषण रोग ) १२.११.८; १५.१२.६; १६.४.६ [ १६६ मारुअ-य-मारुत ( = पचन ) २.१३.७; ६.१०.५;६.१२.६; ११.६.१४ माल - माला ( = श्रेणी ) ७.९.८ मालइ - मालती १३.४.४ मालविय - ( मालवाका निवासी ) ११.४.१० मालूर - त स ( = बेलका फल ) ८.२.२ माहप्प - माहात्म्य ११.१२.१ मास-तस ३.१.९३.११.२१३.४.१ मासद्ध – मासार्धं ३.१.९,७.५.३ माहण-ब्राह्मण ७.१२.८. माहव - माधव ( = कृष्ण ) ५.१.११ महिंद - माहेन्द्र (स्वर्ग) १६.५.२ माहुलिंग - मातुलिंग ( = बीजौरा नीबूका वृक्ष ) १४.२.५ मि - अपि १.५. ३; १.७.८,१.१५.८७.१३.२ मिगाहिया १०.२.६ मिच्चु मृत्यु २.२.१३६.४.८ 'मिच्छ— म्लेच्छ ५.११.६; १६.१०.१० मिच्छखंड-ग्लेच्छ६.४.५६.० मिच्छत्त - मिथ्यात्व २.१४.४, ३.२.९, ३.५.८ मिच्छादंसण - मिथ्यादर्शन ६.१६.८६१४.३०.२ मिच्छुववाय-( मिथ्या योनि ) ३.०.९ fig-fare (after) 1.4.11 = = मित्त - मित्र ( = सुहृद् ) २.६.९,४.११.५; ११.४.१६ मित्तमित्र (सूर्य) ४.११.२ मियसिर-सुगशिरा नक्षत्र) १३.६.३ मिरिय - ( काली मिरचका वृक्ष ) १४.२.५ V मिल-मिल ( मिलना ) वर्त द्वि० ए० मिलहि १. २०.५ वर्त० ० तृ० ब० मिलहिं १.१२.१० ब० भू० कृ० मिलिय १.२.६,८.१७.३,१३.१३.१३ For Private & Personal Use Only. www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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