SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ ] पउम कित्तिविरइउ तरुवरहों मूल गयवरों दंत रहँ ओलि विलय णियंबु गण - यहाँ ससि मणि आहिवराह सारउ सम्म ण को त्रिभंति सम्म सहु वरि णरय-वासु दालिदिउ" वरि" सम्मत्त-सहिउ Jain Education International - रहिउ स ध सम्मत्तु जासु सम्मत्तु महाणु जम्म जम्म अ अ सत्थवाहि कुल भूसण विणु कज्जेण जीवे जे मारहि ते दालिदिय इह उपज्जहि जे अहिला हि पर- यारहों जे पेसुण-भाव-रय अणुदिणु णिच्च-गोतें उपज्जहिं ते पर दउ लायंति भमहि पारद्धिहि " खास- सास-बहु वाहिहि गीढा छिंदहि "भिंदहि विविह जे तरुवर ७ घत्ता - बारह-मिच्छुववायहो जोइस भवण तियहँ । पुहवि" छहि सम्मत्तें उ उप्पत्ति णराहँ ॥ ७ ॥ (८) १ क- उ । २ ख- कों। ३ क स अ । ८ ख- हु । ९ खति । १० कलावंति । १५ ख - दहहि । १६ क - होइ सुण । १७ खवि रहवरह अक्खु णरवरों णेत । धवलहरें मुहु कवि 'तंबु | तह अणुवय-गुणसिक्खावयाहँ । जें कज्जें पहिलउ तं धरंति । मं तेणे रहिउ सुरवर - णिवासु । मं ईसरु गैरु सम्मत्त - रहिउ | धणु इको जम्मों पुर्णे विणासु । संपss rरहों इह किय-कम्मे । ८ णिणि धम्मु तउ कहमि अहिंसण | कुंत - लउडि-असि घाय-पहारहि । - पडता केण धरिज्जहि । जाहि पुरिस ते संर्द - वियारहों । सुहि-जण-र्णिदासत्तउ जहँ मणु । हीण - सत्त बहु- दुक्ख - परंपर | ते जम्मंति थाइँ त्रिणु रिद्धिि भ भवि होंति पुरिस मइ-मूढा । कोढ-वाहि त "होसइ णरवर । घत्ता - जे भणहि अदिउ ँ दिट्ठउ असुर्येउ सुयउ कहति । अंध बधि र पार्श्वे दुक्खिय महिहि भमंति ॥ ८ ॥ (७) १ क- क्ख । २ ख- णरयहो वि पडलि । ३ ख - लय नियं । ४ ख- रहो । ५ ख - हु । ६ क, ख - तुं । ७ ख का । ८ ख ते । ९ ख तें विर । १० ख- लिद्द वि वरि । ११ क- र १२ क ण वि ख- ण भ । १३ खवण । १४ खण । १५ ख - ण । १६ ख 'म्मि जम्मि । १७ क- मिच्छावायद्दो; ख- मिच्छोवा । १९ ख - विहि । २० क ण वि । १८ ख- हिं [ ३, ७, १ ४ ख इ । ५ ख - दा । ६ क ड । ७ क- पिसुणत्त ण भावय ११ ख- द्धि । १२ ख- इत्थु । १३ ख - द्धिं । १४ ख- वे भवे । । १८ क उ । १९ ख - हि । For Private Personal Use Only 5 10 5 10 www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy