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________________ संकरो संकरो संभणिअ चरण गण पलिअ संभु एउ संमोहारू दिट्टो सो भूअं सई उमा सगणा धुअ चारि पलंति सगणा भगणा दिअगणई सगणो रमणो स जअइ जणद्दणा सज्जिअ जोह विवडिअ कोह सत्तगणा दीहंता सत्ताईसा हारा सल्ला सत्ता दीहा जाणेही कण्णा सरसगणरमणिआ दिअवर सरअसुधाअरवअणा सरस्सई पसण्ण हो सव पअहि पढम भण दहअ सव्वाए गाहाए सत्तावण्णाइ सरसइ लइअ पसाउ Jain Education International २.१४ २.१५२ २.१० २.३३ २.८ २.१२९ १. १७२ २.१७ २.७५ २. १७१ १.५६ १.५८ २.६४ २.८२ २.९९ २.३२ २.२१४ १.५७ १.१५३ पद्यानुक्रमणिका ससिणा रअणी २.१८ विणि गअगमणि १.१६१ ससी यो जणीयो २.१५ सहस मअमत्त गअ १.१५७ १. ९ सारु एह सिविट्टी किज्जह जीओ लिज्जइ २.१९५ सिर अंके तसु सिर पर अंके १.४७ १. १९५ सिर किज्जिअ गंगं गोरि अधंगं १. १९१ २.१ २.११७ २.३९ १. १७८ १.२८ १.७९ १.२३ १. १९ १. १३० १.६९ सिर देह च मत्त सी(श्री) सो सुरम्म चित्ता गुणमंत पुत्ता सुपिअगण सरस गुण सुंदरि गुज्जरि णारि सुरिद अहि अ कुंजरु सुरअरु सुरही परसमणि सुरअलअं गुरुजुअलं सुरवइ पटव्व ताला सेर एक जइ पावउँ धित्ता सोऊण जस्स णामं For Private & Personal Use Only ३३५ सो धत्तह कुलसारु कित्ति अपारु १.१०२ सो देउ सुक्खाई २.२० सोलह मतह वे वि पमाणहु १. १३१ सोलह मत्ता पाउ अलिल्लह सो मह कंता दूर दिगंता सोमाणि पुणवंत सो सोरट्ठउ जाण सोहर लोहर हणु उज्जर गुज्जर राअबलं हर ससि सूरो सक्को हर हर हरिणसरिस्सा णअणा हार गंधबंधुरेण दि हार गंधा तहा कण्ण हार वीजे काहल दुज्जे हार सुपिअ भण विप्यगण हारु धरु तिणि सरु इण्णि हे पिए लेखिए १.१२७ २.३८ १. १७१ १. १७० २.२४ १. १८५ १.१५ २.६ २.७९ २.७० २.१२७ २.९२ १.२०० २.१६० १.१३ www.jainelibrary.org
SR No.001440
Book TitlePrakritpaingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages690
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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