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________________ रिट्ठणे मिचरिउ [१८] वसुणंदउ भग्गु स-मंडलग्गु तमि छिण्णु गयासणि मुक्क तेण पट्ठविय सट्ठि (सत्ति ?) सहसत्ति आय सहउ भग्गु थिउ जण्णसेणु वट्टंत तहिं संगाम - काले पंचालहो पंचहिं कवउ छिण्णु ओसारिउ ताव सिहंडि पत्तु हउ आसत्थामहो माउलेण घत्ता तेण वि ताडिउ तहो पाडिउ हत्थे ण तिट्ठइ खणे रिट्ठ Jain Education International किवहो धरंत-धरताहो । सव्वहो धणु-गुणवंतहो ॥ [१९] सहसति सत्ति पेसिय किवेण पडिविंधु ताम स-सरासणेण तेण-वि सोलहेहिं सिलीमुहेहिं कउरवेण वियारिय चउ तुरंग पायत्थ पधाइउ चंडवेउ र म परोपरु विहि-मि जाम सरपंच विसज्जिय माहवेण जावेण - तणु-ताणु छिण्णु स- ' घत्ता सत्तिए भिंदेवि सिरु छिंदेवि खयरवि तेण सइणेएण पुणु चक्कु भयंकर करे वलग्गु परिसेसिय असइ व सुपुरिसेण सा रवि- - सुएण किय विणि भाय णं पवर करेणुहे वर- करेणु विससे परिट्टि अंतराले णाराएं एक्के हियउ भिण्णु व सर विमुक्त किउ कहिं - मि जंतु पाऊण-सएं अण्णाउलेण जिय पंचहिं पंचालाहिवेण तिहिं हउ णिलाडे दूसासणेण जुवराउ णिवारिउ अहिमुहेहिं जत्तारु-वि हउ पाडिय रहंग पलयेक्क-चक्क-लल्लक्क-तेउ सिरि-संभव - भूरि भिड़ंति ताम दस भूरि भूरि कियाहवेण तेण वि तिहिं सच्चा हियइ भिण्णु रहहो पलोट्टिउ पाएण । गिरिहिं व दुमु दुव्वाण ॥ For Private & Personal Use Only ६८ ४ ४ ८ ९ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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