SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४ रिट्ठणे मिचरिउ [४] दोणहो पासिउ तेण० किउ पराणउं तेण०। हउ मई पावें तेण० पंडु-समाणउं तेण० ॥ तो पुरिसु धिगत्थु धिगत्थु करु गंडीउ धिगत्थु धिगत्थु सरु चारहडि धिगत्थु धिगत्थु रणु जहिं हम्मइ वंधव-सयण-जणु जे मुक्क वाण णइ-णंदणहो अवरत्तउ सो अज्ज-वि मणहो भयवत्त-महत्तरु णिट्ठविउ पेयाहिव-पट्टणु पट्ठविउ जो वंदणीउ समु केसवहो तहो छिण्णु वाहु भूरीसवहो रोवाविय दूसल विहव किय संदेहे किवासत्थाम थिय महि होसइ सयल जुहिट्ठिलहो महु पाउ जयासुक्कंठुलहो णिक्कारणे रइआरोहणेण माराविय मुहि दुजोहणेण घत्ता रण-रंगंगणे पत्थु णडु किर हरिस-विसायहिं णच्चइ। ताम महीहरे मेहु जिह उत्थरिउ कण्णु जहिं सच्चइ।। पत्थु पधाइउ तेण० मत्त-गइंदु व तेण० तवणाणंदहो तेण । मत्त-गइंदहो तेण० ॥ ४ हरि भणइ वाम करे केसविय आयहे कहिं जाहि अ-मारियउ चंपाहिउ माहवे लहउ स-वि सच्चइहे समप्पिउ णियय-रहु उब्भिउ चामीयर-गरुड-धउ सुग्गीव सेण्ण घण पुप्फहय रणु जाउ सूर-सिणि-गंदणहुं छिंदत परोप्परु सरेहिं सर किं सत्ति ण पेक्खहि वासविय वीभच्छु समासए वारियउ विहिं एक्कु-वि एक्कहो वज्झु ण-वि थिउ दारुइ सारहि दुव्विसहु सव्वहो कुरु-जणहो जणंतु भउ सवलाह जुत्त तुरंग गय वहु-मग्गोवाहिय-संदणहुं णं चंद दिवायर करेहिं कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy