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________________ रिट्ठणे मिचरिउ तो पभणइ मद्दाहिवइ परए समप्पइ कुरुव- वलु घत्ता - गरहंतु एम तं कुरुव- पहु जे पडिय मज्झे आओहणहो इणंदण - पमुह धरित्ति- सिय भययत्त-विहव्वल - वरुण-सुय अट्ठट्ठ सुदक्खिण अ-सिर किय सल-आरिससिंगि अहिद्दविय भूरीसव- दूसल-दइय ह ओए-वि अवर - वि सामंत-: - सय [५] Jain Education International थोव-तुरंगमु थोव-गउ थिउ कुरुवइ - कुलु सयलु [६] - घत्ता एत्त - विकइद्धय- गरुडधय उवसोह देंत थिय पंडु-वले हरि पभणइ जमल- विओयरहं सरसड्डु णिड्डु यि धणु-गुणहं स- करुसय-सोमय- सिंजयहं परिरक्खहु तुम्हइं वावरणु संतोसु करेवर तव - सुयहो गय विण्णि-वि पासु जुहिट्ठिलहो दिवि दिवि जुज्झंतु ण थक्कहि । पुणु रुवहि राय जिम सक्कहि ॥ संचल्लु सल्लु संजमिय-रहु ते दक्खवंतु दुज्जोहो हय-गय-रह कूडायार किय णीयच्चुय दीह-सयाउ मुय विंदाणुविंद रण-महि थिय जलसंध - सुदरिसण विद्दविय गुरु-दूसासण- विससेण मय दुज्जोहण - सल्ल नियंति मय - थोa - रहु थोव - सामंतउ । जिह मिग सिव विहंग तरु चत्तउ ( ? ) ॥ हय-तूर स-कलयल लद्ध-जय णं चंद-दिवायर गयण-यले कोतासि गयासणि-गोयरहं सच्चइ-सिहंडि-धट्ठज्जुणहं पंचालहं मच्छहं कइकयहं हउं अज्जुणु जाम जाहुं भवणु सिर- छेउ णिहालउ रवि-सुयहो वसुमुइ-समागमुक्कंठुलहो For Private & Personal Use Only १९६ ९ し ९ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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