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________________ ऊणासीइमो संधि १४९ [१३] रण-रामा-रमणुकंठुलासु णारायणु पभणइ सव्वसाइ पर दीसइ पावणि गयइं देंतु अण्णेत्तहे चूरइ वलई दोणि राहेएं एंतउ पडिणिसिद्ध रवि-तणएं धणु तणु तासु छिण्णु अवरेण भर-क्खम कम्मुएण भाणवेण णिहम्मइ किर सरेण गय विण्णि-वि पासु जुहिट्ठिलासु कमे कण्णहो एक्-वि भडु ण थाइ गय-घाएहिं गयवर खयहोणेतु अण्णेत्तहे धाइउ जण्णसेणि सो दुमय-सुएण सएण विद्ध पडिवारउ णवहिं सरेहिं भिण्णु सत्तरिहिं जण्णसेणहो सुएण णिउ सत्त-खंड हरि-भायरेण पत्ता सच्चइ कण्णहो विहि-मि रणु जाउ णियंतहो सुरवर-विंदहो। ताम दोणि धट्ठज्जुणहो धाइउ जेम गइंदु गइंदहो। [१४] पासाय-समप्पह-संदणेण वोल्लाविः दोणहोणंदणेण अरे गुरुवह-कारा थाहि थाहि कहिं मई जीवंते जीवंतु जाहि तो मणे आसंकिउ जण्णसेणि णिय-वइरु हणेसइ णवर दोणि चिंतंतु परोप्परु भिडिय केवं गजंत मत्त मायंग जेवं पंचालें ताडिउ तोमरेण गुरु-सुएण महासर-पंजरेण धणु परिहु सत्ति तिह ताडियाई अ-कियत्थई हत्थहो पाडियाई रहु सारहि तुरय-चउक्कु छत्तु धणु असिवरु फरु अवरेहिं विहत्तु पुणु भिण्णु णिरंतर-तोमरेहिं णं सरय-महाघणु रवियरेहिं - घत्ता चिंतिउ दोणहो णंदणेण ण मरइ इह पहरणेहिं रणंगणे। करमि णवल्ली धूलडिय सुर-वि जेम णियंति णहंगणे॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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