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________________ ४२ तिण्णि-वि अ-हिय सल्ल-रणंगणे तिण्णि-वि ससर - सरासण- हत्था तिण्णि-वि जय - सिरि रामालिंगण तिहिं आएसु दिण्णु गोविंदे सिवसुय - सेणावइ-वीभच्छेहि तिहि भिडते हि रणमहि-देवय रु कुरुणाहेण रुहिरहो पुत्तेण णर - सारिय- कप्यया रंगाविय तुरंगमा विद्ध महा-धय छिण्णइं छत्तई चूरिय रह रहंग रहि सारहि देहि तुरंगु जेण परिसक्कमि -वि को- वि वृत्त कहि गम्मइ जिम कु- सरीरें थिरु जसु लब्भइ वहहिं जाम वोल्ल भड - संगरे पेसिय तिण्णि वइरि - मइ-मोहण तिणि- वि तेहि घरि तिर्हि आएहिं Jain Education International रिट्टणेमिचरिउ तिण्णि-वि सारभूय तउ साहणे तिण्ण-वि तिहुयणु जिणेवि समत्था तिण्णि-वि तोसिय- अमर - वरं गण तिण्णि-वि धाइय एक्के विदे ८ भिण्णु वूहु जिह सायरु मच्छे हि घत्ता णिय रहवर णरवर-सिर - कमलेहिं अंचिय ॥ [३] दुबई दंति दप्पिया किय अयंगमा कहिं - मि ण खंचिय | गिरि-व पज्झरंति । महियले पति ॥ पवर - विमाणई वसुमइ पत्तई केण वि के वित्तणीसारहि पर-सर- धोरण घरेविण सक्कमि ४ जिम्व जय - सिरि जिम्व सुरवहु रम्मइ तो संगामु किण्ण पारब्भइ महि - परमेसरेण तर्हि अवसरे रुप्पि - हिरण्णणाह-दुज्जोहण णं सुरणइ प्रवाह तिहि भाए हिं धत्ता सिव-दणु रुप्पि - णरिंदें । सेणावइ हरि व मइंदें || १० For Private & Personal Use Only १० www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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