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________________ एउणपण्णासमो संधि १६९ सिर-विच्छेउ कुढाराफाडणु देह वियारणु गोवा-मोडणु कण्ण-कोल-णह-सूइ-पवेसणु णासा-लुणणु भुवंगम-भेसणु स-सिहि-सरीर-वाहि गय-पेलणु विस-विसमासणु मंडल-मेल्लणु वेढावेढणु भूमि-णिहम्मणु एउ-वि अव:- वि धोरु णिहम्मणु ८ मडाव घत्ता दुक्कम्म-वसेण भवंतएण पई अणुहूयइं जेत्तियई । अ-पमाणई मेरु-समाणइं दुक्खई अक्खमि केत्तियई ॥ ९ ।१५] जइयहुं हत्थ होवि मय-मत्तउ वारि-णिवंधणे दुक्खइ पत्तउं जइयहुं हरिणु होवि उप्पण्णउ णछु णियामिसेण आदण्णउ वाहेहिं वागुर-पास उ मंडेवि विद्दविओसि खुरुप्पेहिं खंडेवि जइयहु भमरु होवि अच्छतउं कमलभंतरि आवइ पत्तउ जइयतुं मच्छु हो व गले लगाउ पउलिउ तलियउ मरण-वसंगउ जइयतुं सलहु होवि आसत्तर पडेवि पईवए जीविअ-चत्तउ जइयहुँ रोसहु होवि निवद्धउ दिसउ नितु विहंगेहिं खद्धउ जइयतुं सारमे उ किमि-कांप्पउ जइयहुं करहु महा-भर-चप्पिउ ८ जइयतुं दटठु-पहेडा मूसउ डिडीघोरगु पंजर-पूसउ घत्ता ओयई अवरइ-मि अणेयाइं तिरिय-गइहे सवडम्मु हेण ! अणुहूयई दुक्ख-सहासई पइ जिणवयण-परम्मुहेण ॥ ९ __ [१६] जइयर्ल्ड गरय-मज्झे उप्प गउ णारइयाउहु धाएहि छिन उ ताहिउ पांडिउ छिण्णउ भिगउ चूरिउ हुणिउ दिसा-वलि दिण्णउ हूलिउ दलिउ मलिउ कंदतउ पउलिउ तलिउ गिलिउ वेवंतउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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