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________________ 397 26 8 61 70 53 97 P. L. 34 संडांसगं च फणिहं च... 23 संतच्छणं नाम महाहितावं... 16 संतत्ता केसलोएणं... ___10 संति पंच महब्भूया०पुढवी.. 15 संति पंच महन्भूया. आयछट्ठो.. 3 संतिमे तउ आयाणा.. 137 29 संघए साहुधम्म च... 113 31 संपरायं णियच्छंति... 120 27 संपसारी कयकिरिए... 5 संबद्धसमकप्पाउ... 93 12 संबाहिया दुक्कडिणो थणंति... 130 6 संबुज्झमाणे उ गरे मतिमं... 36 23 संबुज्झह किं न बुज्झह.. 106 3 संबुज्झहा जंतवो माणुसत्तं ... 76 13 संलोकणिज्जमणगारं.. 145 30 संवच्छरं सुविणं लक्खणं च... 269 39 संवच्छरेणावि० पाणं० अणि.... 269 40 संवच्छरेणावि. पाणं० समणब्व०... 269 24 संवच्छरेणावियएगमेग... 17 संवुडकम्मस्स भिक्खुणो.. 33 संवुडे से महापन्ने... 138 14 , , , 259 32 साऽऽजीविया पट्ठविता थि० 115 19 साहरे हत्थपाए य... 265 3 सिणाणगाणं तु दुवे सहस्से... 265 ll सिणाणगाणं तु दुवे सहस्से.. 267 ___ 18 सिणाणगाणं तु दुवे सहस्से... 19 सिणाणगाणं तु दुवे सहस्से... 31 27 सिद्धा य ते अरोगा य... 261 7 सिया य बीओदग इत्थियारो... 28 सीमोदग पडि दुगं छिणो.. 261 5 सीग्रोदगं सेवउ बीयकायं.. 261 6 सीतोदगं वा तह बीयकायं... 129 15 सीहं जहा खुड्डुमिगा चरंता.. 29 सीहं जहा व कुणिमेणं... 757 सुतमेतमेवमेगेसि... P. L. ____98 29 सुदंसणस्सेव जसो गिरिस्स... 6 सुद्ध' मग्गं विराहित्ता .. 35 सुद्धं रवति परिसाए... 32 सुद्धे अपावए आया.. 1308 सुद्ध सिया जाए न दूसएज्जा... 23 सुफणि च सागपागाए.. 24 सुयक्खायधम्मे वितिगि.... 30 सुविसुद्धलेसे मेहावी... 28 सुस्सूसमाणो उवासेज्जा... 15 सुहुमेणं तं परिक्कम्म... 5 सूरं मण्णइ अप्पाणं... 22 से पन्नया अक्खयसागरे वा... 98 15 से पव्वए सहमहप्पगासे... 156 13 से पेसले सुहुमे पुरिसजाए. 97 3 से भूइपण्णे अनिएयचारी... 101 29 से वारिया इत्थी सराइभत्तं .. 98 1 से वीरएणं पडिपुन्नवीरिए... 1 से सव्वदंसी अभिभूयनाणी... 88 13 से सुच्चइ नगरवहे व सद्दे ... 167 33 से सुद्धसुत्ते उवहाणवं च 40 6 सेहंति य णं ममाइणो'.. 172 36 से हु चक्खू मणुस्साणं... 50 4 सोच्चा भगवाणुसासणं... 31 सोच्चा य धम्म अरहंतभासियं... 86 3 हण छिदह भिंदह णं दहेति... 134 36 हणतं गाणुजाणेज्जा... 58 14 हत्थऽस्सरहजाणेहि... 100 10 हत्थीसु एरावणमाहु णाए... 90 26 हत्थेहि पाएहि य बंधिऊणं... 1237 हम्ममाणो न कुप्पेज्जा... 105 l हरियाणि भूताणि विलंबगाणि... 239 41 हरियाले हिंगुलए... 166 26 हासपि णो संघति पावधम्मे... 107 16 हुतेण जे सिद्धिमुदाहरंति... 122 14 होलावायं सहीवायं... 47 134 101 267 44 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001423
Book TitleAcharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1978
Total Pages764
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, agam_acharang, & agam_sutrakritang
File Size26 MB
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