SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८] छक्खंडागमे वेयणाखंड [ ४, १, २. जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । बेइंदियअपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तेइंदिय अपज्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । चउरिंदिय अपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । पंचिंदियअपज्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । सुमणिगोदजीव [ णिव्वत्ति ] पज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव अपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । सुहुमवाउकाइयपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव अपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । सुहुमंतेउकाइयणिव्वत्तिपत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव [णिव्वत्ति-] अपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव [णिव्वत्ति-] पज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । सुहुम आउकाइयणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया | सुहुमपुढविकाइयवित्तिपज्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव [णिव्वत्ति ] अपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव [णिव्वत्ति ] पज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । बादरवा उकाइयणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्वत्ति - कायिक प्रत्येकशरीर अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । द्वीन्द्रिय अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। त्रीन्द्रिय अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । पंचेन्द्रिय अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। सूक्ष्म निगोद जीव निर्वृत्तिपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । उसके ही अपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । उसके ही पर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। उसके ही अपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है | उसके ही पर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । सूक्ष्म तेजकायिक निर्वृत्तिपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। उसके ही निर्ऋत्यपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उसके ही निर्वृत्तिपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । सूक्ष्म अष्कायिक निर्वृत्तिपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । उसके ही निर्वृत्त्यपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । उसके ही निर्वृत्तिपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । सूक्ष्म पृथिवीकायिक निर्वृत्तिपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। उसके ही निर्वृत्त्य पर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । उसके ही निर्वृत्तिपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । बादर वायुकायिक निर्वृत्ति पर्याप्तकी जघन्य अवनाहना असंख्यातगुणी है । उसके ही निर्वृत्त्यपर्याप्तकी 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001403
Book TitleShatkhandagama Pustak 09
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1949
Total Pages498
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy