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________________ Jain Education International (पु. १ प्रस्ता. पृ. २९ आ) स्पर्शन काल मार्गणा मार्गणाके अवान्तर भेद नानाजीवोंकी अपेक्षा एकजीवकी अपेक्षा उत्कृष्टकाल || क्रोधादिचतुष्कषायी जघन्यकाल एकसमय सर्वकाल । अन्तर्मुहूर्त ६ कषायमार्गणा वर्तमानकालिक सर्वलोक (लोकका असंख्यातवां भाग १" असंख्यात बहु " (सर्वलोक सर्वलोक (लोकका असंख्यातवा भार , असंख्यात बहु, सर्वलोक अतीत अनागतकालिक सर्वलोक (लोकका असंख्यातां भाग र , असंख्यात बहु, सर्वलोक अकषायी अन्तर्मुहूर्त और सर्वकाल | एकसमय, अन्तर्मुहूर्त सर्वकाल अन्तर्मुहूर्त कुमति-कुभुतज्ञानी विमंगवाना अन्तर्मुहूर्त, और देशोन पूर्वकोटी वर्षे देशोन अर्धपुद्गलपरिवर्तन " तेतीस सागरोपम लोकका असंख्यातवा . लोकका असंख्याता " ७सानमार्गणा मति-वत अवधि. मनःपर्ययज्ञानी " (देशोनराड सर्वलोक देशोन राज लोकका असंख्यातवां भाग " " " " असंख्यात बहु" सर्वलोक साधिक " देशोन पूर्वकोटी वर्ष | केवलज्ञानी " असंख्यात बहु" (सर्वलोक For Private & Personal Use Only " असंख्यात बहु" सर्वलोक (सामायिक आदि | चार संयमी लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग लोकका असंख्यातवां भाग जघन्य एकसमय , उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त एकसमय अन्तर्मुहूर्त ८ संयममार्गणा र यथाख्यातसंयमी अन्तर्मुहूर्त १ " असंख्यात बहु" (सर्वलोक लोकका असंख्यातवा भाग देशोन पूर्वकोटी वर्ष सर्वलोक संयमासंयमी (असंयमी , असंख्यात बहु" १ , असंख्यात बहु, (सर्वलोक लोकका असंख्यातवां भाग देशानराज सर्वलोक सर्वलोक सर्वलोक सर्वकाल | अचक्षुदर्शनी चक्षुदर्शनी लोकका असंख्यातवां भाग देशोन पूर्वकोटी वर्ष " अर्धपुद्गलपरिवर्तन अनन्तकाल असंख्यात पुद्गलपरिवर्तन दो हजार सागरीपम साधिक तेतीस , ९दर्शनमार्गणा लोकका असंख्यातवां भाग | देशोन राजु अवधिदर्शनी केवलदर्शनी | २ " असंख्यात बहु" सर्वलाक " " लोकका असंख्यातवां भाग " असंख्यात बहु , 2 " असंख्यात बहु" (सर्वलोक सर्वलोक देशोन पूर्वकोटी वर्ष www.jainelibrary.org
SR No.001398
Book TitleShatkhandagama Pustak 04
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1942
Total Pages646
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size14 MB
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