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________________ २०० महाबंधे पदेसबंधाहियारे पडिदो तस्स उक० हाणी । उक० अवट्ठाणं कस्स० ? जो सत्तविधबंधगो उक्कस्सजोगी पडिभग्गो तप्पाओग्गजह जोगट्ठाणे पडिदो अट्ठविधबंधगो जादो तस्स उक्क० अवट्ठाणं । एवं पञ्चक्खाण०४ । णवरि संजदासंजदादो कादव्यं । कोषसंजलणाए उक० वड्डी कस्स० ? जो मोहणीयपंचविधबंधगो तप्पाओग्गजहण्णजोगट्ठाणादो उक्कस्सयं जोगट्ठाणं गदो तदो मोहणीयस्स चदुविधबंधगो जादो तस्स उक्क० वड्डी । उक्क० होणी कस्स० ? जो मोहणीयस्स' चदुविधबंधगो मदो देवो जादो तप्पाओग्गजहण्णजोगट्ठाणे पडिदो तस्स उक्क० हाणी। उक० अवट्ठाणं कस्स० ? मोहणीयस्स चदुविधबंधगो उक्क जोगी पडिभग्गो तप्पाऑग्गजह०जोगट्ठाणे पडिदो मोहणीयस्स पंचविधबंधगो जादो तस्स उक्कस्सयं अवट्ठाणं। माणसं०-मायासं०-लोभसं० उक्क० वड्डी कस्स. ? मोहणीयस्स चदुविधबंधगो तिविधबंधगो दुविधबंधगो तप्पाऑग्गजह० जोगट्ठाणादो उक० जोगट्ठाणं गदो तदो मोहणीयस्स तिविध० दुविधबंधगो जादो तस्स उक० वड्डी। उक० हाणी कस्स० ? यो मोहणीयस्स तिविध० दुविध० एयविधबंधगो मदो देवो जादो तप्पाऑग्गजह०जोगट्ठाणे पडिदो तस्स उक. हाणी। उक० अवट्ठाणं कस्स ? यो मोहणीय० तिविध० दुविध० एकविधबंधगो उक्क०जोगी पडिभग्गो तप्पाऑग्ग अवस्थानका स्वामी कौन है ? सात प्रकारके कोका बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगसे युक्त जो जीव प्रतिभग्न होकर तत्प्रायोग्य जघन्य योगमें पतित हुआ और अनन्तर आठ प्रकारके कर्मों का बन्ध करने लगा वह उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी है । इसी प्रकार प्रत्याख्यानावरण चतुष्ककी उत्कृष्ट वृद्धि आदिका स्वामी कहना चाहिए । इतनी विशेषता है कि संयतासंयतका अवलम्बन लेकर कहना चाहिए । क्रोध संज्वलनकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी कौन है ? मोहनीयकी पाँच प्रकृतियोंका बन्ध करनेवाला जो जीव तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानसे तत्प्रायोग्य उत्कृष्ट योगस्थानको प्राप्त होकर मोहनीयको चार प्रकृतियोंका बन्ध करने लगा वह क्रोधसंज्वलनको उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी है । उत्कृष्ट हानिका स्वामी कौन है ? मोहनीयकी चार प्रकृतियोंका बन्ध करनेवाला जो जीव मरा और देव होकर तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें पतित हुआ वह संज्वलन क्रोधकी उत्कृष्ट हानिका स्वामी है । उसके उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी कौन है ? मोहनीयकी चार प्रकृतियोंका बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगसे युक्त जो जीव प्रतिभग्न हुआ और तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें गिरकर मोहनीयकी पाँच प्रकृतियोंका बन्ध करने लगा वह उसके उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी है । मानसंज्वलन, मायासंज्वलन और लोभसंज्वलनकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी कौन है ? मोहनीयके चार प्रकारके, तीन प्रकारके और दो प्रकारके कर्मोका बन्ध करनेवाला जो जीव तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानसे उत्कृष्ट योगस्थानको प्राप्त होकर अनन्तर मोहनीयके तीन प्रकारके और दो प्रकारके कर्मों का बन्ध करने लगा,वह उनकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी है। उनकी उत्कृष्ट हानिका स्वामी कौन है ? मोहनीयके तीन प्रकारके, दो प्रकारके और एक प्रकारके कर्मोका बन्ध करनेवाला जो जीव मरा और देव होकर तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें पतित हुआ वह उनकी उत्कृष्ट हानिका स्वामी है। उनके उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी कौन है ? मोहनीयके तीन प्रकारके, दो प्रकारके और एक प्रकारके कर्मोका बन्ध करनेवाला तथा उत्कृष्ट योगसे युक्त जो १. ता०प्रतौ 'कस्स ? मोहणीयसस्स' इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001394
Book TitleMahabandho Part 7
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size9 MB
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