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________________ 176 प्राकृतसर्वस्वम् । कबन्धे वः पौ क्रमात् 2. 17. कलिं श्वोऽथै 7. 28. कस्ये वा 17. 12. का नित्यं तिङि 7. 113. कार्य कञ्च च दृश्यते 19. 6. कार्षापणे हः 3. 46. कालायसभाजनयोर्मुक् 9. 51. कालायसे यस्य 4. 10. काश्मीरसीमोमेमानः स्त्रियाम् 4. 28. काहं दाहं कृदाजोः स्त: 6.28. किराते चः 9. 36. किंयत्तदां तु प्रथमा 17. 30. किंयत्तदेनदिदमाम् 5. 57. किंयत्तगयो डस आसः स्यात् 5. 59. किमः कः स्यात् 5. 69. किह कीस किणो प्रश्ने 8. 16. किहं च गृहे 19. 8. कीदृशनीडापीडेदृशानामेत् 1. 23. कुत्रचिद्दोश्च दृश्यते 5. 118. कुपचि क्वचित् 19.9. कूष्माण्डे हः 9. 43. कूष्माण्डे हः स्यात्० 3. 45. कृगमिभ्यामुअश्च 9. 58. कृजः करः 17. 69. कृञः कुणः स्यात् 7. 112. कृमृगमीनां क्री० 13. 34. कृजश्च कुणः 9. 144. कृतादिषु कडादयः 20. 5. कृतेष्टः 7.78. कृषेर्न वा 7.76. कृष्णे वा स्यात् 3. 78. कृञ्होस्तु कीरहीरौ 7. 173. के दी? वा 12. 22. केरके केअको वा स्यात् 15. 7. कैकेयं शौरसेनं च 1. 8. को बहुलम् 13. 5. कोष्णादेः कोशणादिः स्यात् 12. 13.. कौतूहलसेवास्थूलके द्वित्वम् 9 50r. क्खस्य श्क: 12.4. क्खु निश्चये 9. 151. क्ते तुरो भवेत् 7.1. केन रुदादे रुण्णाद्याः 7. 382. ते पुनर्नते 7. 94. ते हूः 7. 3. क्त्व इअः स्यात् 14. 8. क्त्वस्तूणः 11. 3. क्त्वस्तूण एव स्यात् 19. 17. क्वादिषु घे न वा 7. 97. क्त्वादौ च 7. 114. क्वायचोरिअः 9.57. क्त्वायचोस्तूणतूणमौ० 4. 36. क्त्वादौ लवो वा 7. 92. क्त्वालुटोर्भवः 9. 114. क्त्वादौ श्रुवो वा 7. 89. क्त्वो दाणिश्च 12. 23. क्रमेोलाइञ्चौ 7. 134. क्रीनः किणः 7. 38. क्रुधेर्जूरः 7. 130. क्लीबे शसो णि वा स्यात् 9. 69. क्लीबे स्वम्भ्यामिदमिणं 9.76. क्लीवे स्वम्भमिदमिणमिणमो 5. 74 क्वचिच्च तुम् 4. 38. क्वचिञ्च दः 12. 35. क्वचिदवश्च 6. 46. क्वचिदित् 12. 24. क्वचिद् युक्तस्यापि 2. 37. क्वचिद्वा 3. 39. क्वचिद् व्वश्च 9. 167. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001369
Book TitlePrakritsarvaswam
Original Sutra AuthorMarkandey
AuthorKrushnachandra Acharya
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages424
LanguagePrakrit, Sanskrut, English
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size20 MB
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