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________________ शेठ विगैरे थाउं" इत्यादि सुखनी पांछा करवी ते इहलोकाशंसाप्रयोग नामनो पहेलो अतिचार छे. १. एज 'प्रमाणे परलोकमां " हु देव के इंद थाउं" इत्यादि सुखनी वांछा करवी ते परलोकाशंसाप्रयोग नामनो बीजो अतिचार छे. २. अनशन कर्या पछी भक्त जनोए करेला महोत्सवो जोबाथी, मनोहर गीत नृत्यादिक जोबाथी, चीमा, चेपुना मनोहर धनि सांभळवाथी, अत्यंत वन माल्यादिकनो सत्कार, सन्मान अने वंदनादिक जोवाथी, गीतार्थ मुनिओ पण पासे बेसी सिद्धांतवाचनादिक करे ए विगैरे जोवाथी तथा धार्मिक जनाए करेला पोताना गुणोनी प्रशंसा श्रवण करवाथी वधारे वखंत जीववार्नु इच्छQ ते जीविताशंसाप्रयोग नामनो त्रीजो अतिचार छे. ३. कठिन स्थळे अनशन करवाथी, उपर प्रमाणे बहुमान सत्कारादिक न थवाथी अथवा क्षुधादिकनी पीडाथी जे जलदी मरवानी इच्छा करवी ते मरणाशंसाप्रयोग नामनो चोथो अतिचार छे. ४. सथा काम एटले शब्द अने रूप, तथा भोग एटले गंध, रस अने स्पर्श, ए पांचे विषयोनो अभिलाष करवो एटले के "हुँ अहींथी मरीने आ तपना प्रभावथी रूप-सौभाग्यादिकवाळो थाउं" इत्यादिक इच्छ, ते कामभोगाशंसाप्रयोग नामनो पांचमो अतिचार छे. ५. आ पांच प्रकारना अतिचार मारे मरणांते एटले छेल्ला श्वासोश्वास सुधी न थाओ. एवी भी प्रार्थना करवानी छे. आ उपलक्षणथी सर्व प्रकारना धर्मानुष्ठानमा आलोक अने परलोक संबंधी सर्व प्रकारनी आशंसा वर्जवानी छे. केमके आशंसा करवाथी उत्कृष्टने बदले हीम फलने पामे छ. ३३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001362
Book TitlePanch Pratikramana Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokaldas Mangaldas Shah
PublisherShah Gokaldas Mangaldas
Publication Year1942
Total Pages455
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size18 MB
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