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________________ उपयोग में मात्र आवश्यकता पूर्ति का भाव रहता है, उपभोग में आसक्ति उपयोग में समाज के हितों की सुरक्षा है, उपभोग में सिर्फ व्यक्तिगत लालसाओं की दौड़ है। उपयोग करना नैतिक है। उपभोग करना अनैतिक ! उपयोग सामाजिक अधिकार है। उपभोग समाज के साथ द्रोह है। मैं देख रहा हूँ तुम्हारे जीवन के दामन में दुःखों के काँटे उलझ रहे हैं। इसका कारण क्या है? कारण एक ही है-बुम्हारी विलास प्रधान मनोवृत्ति । तुम कब से संग्रह की ओर दौड़ रहे हो । त्याग की बात भी नहीं समझते। संग्रह में ही आनन्द और सुख मिलता तो संसार त्यागियों के समक्ष कभी अपना सिर नहीं झुकाता। संग्रह सदा से विग्रह को जन्म देता आया है । सुना है तुमने उस संन्यासी का अनुभव। एक बार एक संन्यासी गाँव में से निकले । जाते हुए मार्ग में देखा कि एक कुत्ता मुँह में रक्त से सनी हड्डी दबाए हुए बेतहाशा दौड़ रहा है और उसके पीछे पाँच सात कुत्ते लपकते हुए जा रहे हैं। ___ आगे जिस मोहल्ले में वह पहुँचा, वहाँ के कुत्तों ने भी उसके मुँह में हड्डी देखी और उसे घेर लिया। सब झपट पड़े उसके ऊपर । दबोच लिया उसको, जगह-जगह से नोंच डाला, खून बहने लगा। कुत्ते ने आखिर हड्डी का टुकड़ा छोड़ा और अपनी जान बचा कर भागा। संन्यासी ने विचार किया-कुत्ते ने हड्डी मुँह में पकड़े रखी तभी तक दूसरे कुत्ते उसकी जान पर टूट रहे थे। हड्डी मुँह से छोड़ी तो जान बची । संसार में जितने भी संघर्ष हैं, लड़ाइयाँ हैं, सब इसी हड्डी के टुकड़े के लिए हैं। 64 अमर डायरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
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