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________________ अनुशासन शिक्षण का बुनियादी पत्थर है । अनुशासनपूर्ण वातावरण के बिना न कोई शिक्षण दिया जा सकता है, और न लिया जा सकता है । * चोर चोरी करता है, यह कसूर चोर से ज्यादा उस समाज का है जो चोर को चोरी करने का प्रेरक एवं पोषक वातावरण तैयार करता है । चोर कानून के हाथों दण्डित होता है, और समाज स्वयं चोर के हाथों । पहले दण्ड समाज को भोगना पड़ता है, बाद में स्वयं चोर को । * * कहते हैं कि बादशाह जहाँगीर ने दुरसा नाम के चारण को उसकी विद्वत्ता के लिए बड़ा सम्मान दिया था। दुरसा चाँदी की पालकी में बैठ कर चलता था और हाथ में एक सोने का अंकुश भी रखता था । जब किसी ने इसका अभिप्राय पूछा तो दुरसा ने बताया कि जो वादविवाद में मुझसे हार जाएगा, उसे अपनी पालकी में जोत कर अंकुश से चलाऊँगा । यदि कोई आप को जीत आए तो ? तो उसे पालकी में बिठाकर अंकुश भेंट करूँगा, और अपना गुरु बना लूँगा । एक बार दुरसा ने सन्त रज्जब जी के सामने एक दोहा पढ़ा“मुख अक्षर मुख सप्त स्वर, मुख भाषा छत्तीस एतै ऊपर जो कथै, तो जानों सुकवीस । " रज्जब जी ने इसके उत्तर में तुरन्त यह दोहा कहा— “मुख अक्षर मुख सप्त स्वर, मुख भाषा छत्तीस एते ऊपर उर भजन, अन अक्षर जगदीस " दोहा सुनते ही दुरसा पालकी से उतर पड़ा और रज्जब जी के चरणों में अपना अंकुश रख कर उनका शिष्य बन गया । 58 Jain Education International For Private & Personal Use Only अमर डायरी www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
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