SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ करने का त्याग करती हैं, किन्तु वे यह नहीं समझ पाती कि कचरा जमा होने से जीव-जन्तुओं की उत्पत्ति बढ़ेगी या घटेगो, उससे हिंसा कम होगी या अधिक ? गन्दी नालियाँ अगर एक दिन नहीं धोई गईं, तो उससे जीवों की उत्पत्ति अधिक होगी । अहिंसा नहीं कहती कि कचरा साफ न करें, गन्दी नालियाँ न धोएँ, वह तो कहती है कि गन्दगी पैदा ही मत करो। ___ वास्तव में आज विवेक की आँख बन्द हो गई है, और इसीलिए साधना की तेजस्विता खत्म हो चुकी है । आवश्यकता है, साधना में विवेक जगे, और ज्ञान में गति आए । इस प्रकार मन और मस्तिष्क का मिलन किया जाए, हृदय और . बुद्धि को एक सूत्र में पिरोया जाए। खण्डित मानव ___ कुछ मनुष्य अपने आप में बन्द हैं, सीमित हैं। उनकी दृष्टि शरीर की नन्ही-सी काल-कोठरी में बन्द है। अपने घेरे से बाहर झाँकने की क्षमता भी आज उसमें नहीं रही है । वह अपने भोग-विलास, आमोद-प्रमोद में ही मगन है । अपनी सुख-सुविधा के लिए वह समाज का शोषण करते हैं, राज्य की चोरी करते हैं, गरीबों का गला घोंटते हैं, अपने लिए, सिर्फ अपने आराम और नाम के लिए। दृष्टि का यह अत्यन्त सीमित दायरा है। ___ कुछ मनुष्य परिवार के संकीर्ण घेरे में जकड़े हुए हैं। उन्हें अपनी चिन्ता है, अपने परिवार की चिन्ता है। "हम पिया, हमारा बैल पिया और कुआँ ढह पड़े"--इसी गुरुडम के दीक्षित चेले हैं । परिवार के सामने न न्याय का मूल्य है, न योग्यता का कोई मापदण्ड है। भाई-भतीजावाद ही उनका एकवाद है, बाकी सब विवाद मानते हैं । ऐसे व्यक्ति समाज और राष्ट्र की नींव को काटते हैं। यह संकुचितता की दूसरी घेराबंदी है। __कुछ मनुष्य जातिवाद की कारा में बन्दी हैं। अपनी जाति के सिवाय सभी को निम्न और असंस्कृत मानते हैं। श्रेष्ठता का क्षेत्र उनकी विरासत है। ब्राह्मण के चौके में यदि ब्राह्मणेतर आ गया, तो वह सब भोजन-ओजन अपवित्र हो गया। यह सब मनुष्य के लिए ही है, भले ही कुत्ता, बिल्ली और चुहिया कितने 112 अमर डायरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy