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________________ भौगोलिक दशा ४०७ चेदि : यह यमुना के समीप तथा कुरु जनपद से मिला हुआ था । स्थूल रूप से यह आधुनिक बुन्देलखण्ड, बांदा एवं निकटवर्ती क्षेत्र को द्योतित करता है । चेदि की राजधानी सोत्थिवती पुरी थी, जिसे महाभारत के शुक्तिमती नगर से समीकृत किया जा सकता है । चेरि' : चेरि की राजधानी स्कन्दपुरी रही होगी, जो आधुनिक कोयम्बटूर जिले के पश्चिम में पड़ता है । चोल' : चोल राज्य द्राविड़ के नाम से पुकारा जाता था । चोल प्रदेश में तंजोर एवं त्रिचनापल्ली जिलों के भू-भाग सम्मिलित किये जाते थे ।" टंकण : हरिवंश पुराण के अनुसार ऐरावती नदी के आगे गिरिकूट और daवन के बाद टंकण देश है । " त्रिगर्त : यह देश रावी एवं सतलज के मध्य में स्थित था और इसकी राजधानी कहीं जालंधर के समीप थी । प्राचीन काल में यह कांकड़ा क्षेत्र का 26 वाचक था । " त्रिकलिंग " : इसमें कलिंग, तोसल तथा उत्कल सम्मिलित थे । कुछ लोग इसमें उड्र (मुख्य उड़ीसा), कंगोद तथा कलिंग को सम्मिलित मानते हैं । १२ तैतिल " : नेमि चन्द्र जैन ने इस जनपद की स्थिति पंजाब, सिंध एवं कम्बोज के आस-पास मानी है ।" १. महा २६।५५ २. लाहा - वही, पृ० ५२१ ३. महा २६।७६ ४. दिनेश चन्द्र सरकार - वही, पृ०६८ ५. महा १६।१५४, २६ ६४; पद्म १०१।७७ ६. दिनेश चन्द्र सरकार - वही, पृ० ५१ ७. लाहा - वही, पृ० २४६ हरिवंश २१।१०२ ८. ई. वही ३।३ लाहा- वही, पृ० २२२ १०. ११. महा २६ | ७६ १२. लाहा - वही, पृ० ३२६ १३. महा ३०११०७ १४. नेमि चन्द जैन - वही, पृ० ५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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