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________________ जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन कलिंग' : राजशेखर ने काव्यमीमांसा में दक्षिण तथा पूर्व के सम्मिलित भू-भाग को कलिंग माना है । आधुनिक उड़ीसा में पुरी के पास का भू-भाग कलिंग क्षेत्र में सम्मिलित किया जाता है। ___ कामरूप' : यह उत्तर में भूटान से पूर्व में दरंग और नवगांव जिलों से दक्षिण में खासी पहाड़ियों तथा पश्चिम में गोलपारा से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी प्राग्ज्योतिषपुर थी, जिसे आधुनिक गौहाटी से समीकृत किया जाता है।' ___कालकूट' : महाभारत में इसका उल्लेख हिमालय क्षेत्र के अन्तर्गत आता है।' सम्भवतः यह हिमालय की तराई में स्थित रहा होगा। काशी : काशी आधुनिक वाराणसी से समीकृत किया जाता है। काशी बुद्धकालीन षोडश महाजनपदों में से एक था।' किरात' : कालिदास ने इसे पूर्वी घाटी तथा टालमी ने उत्तरापथ में स्वीकार किया है। श्रीमद्भागवत में इन्हें आर्यावर्त के बाहर बताया गया है। डॉ. दिनेश चन्द्र सरकार ने बिहार के राजगिरि के तप्तकुण्डों से रामगिरि पर्यन्त विन्ध्याचल प्रदेश को किरात जनपद कहा है।" कुमुदा : हरिवंश पुराण में इसे पूर्व विदेह में सीता नदी तथा निषध पर्वत के मध्य वर्णित है ।१२ कुरु" : प्राचीन कुरुदेश में कुरुक्षेत्र या थानेश्वर सम्मिलित थे। इस क्षेत्र में १. महा १६।१५२, २६८२; हरिवंश ३।४, १८।१६१; पद्म ३७।८६, १०१२४ २. काव्यमीमांसा, अध्याय १७, पृ० २२६, २८२ ३. महा २६१४२ ४. लाहा-वही, पृ० ३८० ५. महा २६१४८ ६. महाभारत २।२०।२४-३० ७. महा १६।१५१, ४३।१२१, ६०७०; हरिवंश ३॥३; पम ६।३१७ ८. अंगुत्तर निकाय १२१३ ६. महा २६१४८ १०. लाहा-वही, पृ ६०६ ११. सर्वानन्द पाठक-विष्णु पुराण का भारत, बनारस, १६६७, पृ० ३१ १२. हरिवंश ५१२४७ १३. महा १६।१५२-१५३; हरिवंश ६४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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