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________________ कुछ भी हो सकता था । पंजाब का वातावरण कितना दूषित है, आत्मरश्मि मासिक ( जून १९८२) में उपप्रविर्तिनी श्री अभयकुमारीजी का विचार प्रकाशित हुआ है कि पंजाब का ग्रामीण वातावरण इतना खराब है कि गाँव के किसी अनजान घर में आहार के लिए प्रवेश करते हुए डर लगता है कि पता नहीं , संयम भंग की वहाँ क्या बात हो जाए। उन्होंने भी समाज से सुरक्षा की माँग की है । प्रश्न है क्या सुरक्षा हो ? क्या सशस्त्र श्रावक दल रखा जाए या पुलिस दल ? दोनों ही असंभव । शीघ्र यान ही एक सहज उपाय है, जो समय पर अभीष्ट केन्द्र पर पहुँचा दे । साथ में श्रावक भी रह सकते हैं एक-आध दिन के लिए | पद-यात्रा में लंबे समय तक कौन भाई-बहन साथ रह सकते हैं । वेतन-भोगी संस्कारहीन नौकर, तो उनका तो स्वयं का भरोसा नहीं है । __ आपका तर्क है, हवाई जहाज आदि में भी सुरक्षा नहीं है। यों तो घर में भी सुरक्षा नहीं है, तो क्या अन्य जगहों की अपेक्षा घर की सुरक्षा को महत्त्व न दिया जाए । कुछ भी हो घर अधिक सुरक्षित है । इसी प्रकार पद-यात्रा आदि की अपेक्षा शीघ्र चालित वाहन अधिक सुरक्षित है । हवाई जहाज आदि में लूटमार हो सकती है, पर सबके सामने बलात्कार जैसी बात तो न होगी । बस, इसी की सुरक्षा का प्रश्न है, आपके मस्तिष्क में सुरक्षा का कोई और विकल्प हो, तो बताइए । केवल किसी बात को परंपरा के नाम पर यों ही नकारते रहने का कोई अर्थ नहीं है । मार्च १९८३ (२४०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001306
Book TitleChintan ke Zarokhese Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherTansukhrai Daga Veerayatan
Publication Year1988
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size13 MB
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