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________________ क्यों नहीं किया जाता । गुटनिरपेक्ष राष्ट्र होने के लिए जितना प्रयल किया जाता है, उतना पार्टीनिरपेक्ष शासन क्यों नहीं हो सकता है। उसके लिए प्रयत्न किया जाना चाहिए। कोई भी दल शासन करे, उससे अच्छाइयों की अपेक्षा की जाती है । घोषणा पत्रों में राष्ट्र को खुशहाल बनाने का वायदा करके ही दल सिंहासनारूढ़ होने का प्रयत्न करते हैं । हो सकता है, लोक कल्याणकारी नीतियों के कार्यान्वयन की पद्धति उचित न हो, इस कारण जैसा चाहिए वैसा सुखद परिणाम न आने पाए । अकुशल कर्मचारीगण के द्वारा विपरीत स्थिति का भी निर्माण हो सकता है | हर कोई पद्धति सम्पूर्ण रूप से निर्दोष होती ही है, यह सम्भव नहीं है । सामान्य मनुष्यों की ही बात नहीं, मनुष्य के दोष-दर्शन की दृष्टि ने ईश्वर एवं भगवान कहे जाने वाले महापुरुषों के कार्यों की समीक्षा करते हुए उनमें भी कमियाँ देखी है । अत: यदि कोई दल दूसरों को पूर्ण एकान्त दोषी और स्वयं को पूर्ण एकान्त निर्दोष होने का दावा करने का साहस करता है, तो उसे मानव की भूमिका को पार किया हुआ अतिमानवीय ही समझा जाना चाहिए । इसी बात को लेकर हमारे एक प्राचीन आचार्य ने एक महान स्पष्ट बोध दिया था दृष्टं किमपि लोकेऽस्मिन् न निर्दोषं न निर्गुणम् । संसार में कोई भी ऐसी बात या स्थिति नहीं देखने में आई है, जो सर्वथा निर्दोष हो या सर्वथा गुणरहित हों। गीता के उद्गाता श्रीकृष्ण ने भी कहा है - सर्वारम्भा हि दोषेण, धूमेनाग्निरिवावृत्ताः । मानव के जितने भी आरम्भ है, समुद्यम एवं प्रयत्न हैं, वे दोष से उसी प्रकार से संयुक्त रहते हैं, जिस प्रकार अग्नि धूम से युक्त होती है । जब कि किसी का कोई कार्य पूर्ण रूप से निर्दोष नहीं हो सकता, तो विवेकशील प्राज्ञ पुरुषों के द्वारा प्रामाणिकता के साथ यह प्रयत्न किया जाना (१४२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001306
Book TitleChintan ke Zarokhese Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherTansukhrai Daga Veerayatan
Publication Year1988
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size13 MB
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