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________________ तिलोयपण्णत्ती [५..३१५ बीइंदियपज्जत्ता विसेसाहिया = ६१२० । तीइंदियपज्जत्ता विसेसाहिया = ८४२४। असण्णिअपजत्ता असंखेजगणा ५। ५८६४। रिण = |घउरिंदिय3 ५८३६1al ४।४।६५६१।। ५।८४२४ भपज्जत्ता विसेसाहिया। =५८६४||तीइदियअपजत्ता विसेसाहिया = ६१२०/al ४।५। ६५६१ । ४।४। ६५६१ । |५। ६१२० । बीइंदियअपजत्ता विसेसाहिया 1- ८४२४| | अपदिहिदपजत्ता असंखेजगुणा ४।९।९।९। a पदिट्रिदपज्जत्ता असंखेज्जगुणा : पुढविबादरपज्जत्ता असंखेज्जगुणा = आउ. बादरपज्जत्ता असंखेज्जगुणा - |वाउबादरपजत्ता असंखेजगुणा = अपदिट्रिदअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ५ =a रिण : पदिद्विद अपजत्ता असंखेजगुणा = a = a रिण = ४।९।९। तेउबादरअपजत्ता असंखेज्जगुणा : रिण ८ पुढविबादरअपजत्ताविसेसाहियारिण=a.रिण =|९| विशेष अधिक दो इन्द्रिय पर्याप्त हैं । (७) इनसे विशेष अधिक तीन इन्द्रिय पर्याप्त हैं। (८) इनसे असंख्यातगुणे असंज्ञी अपर्याप्त हैं । (९) इनसे विशेष अधिक चार इन्द्रिय अपर्याप्त हैं । (१०) इनसे विशेष अधिक तीन इन्द्रिय अपर्याप्त हैं । (११) इनसे विशेष अधिक दो इन्द्रिय अपर्याप्त हैं। (१२) इनसे असंख्यातगुणे अप्रतिष्ठत प्रत्येक हैं। (१३) इनसे असंख्यातगुणे प्रतिष्ठित प्रत्येक हैं। (१४) इनसे असंख्यातगुणे पृथिवीकायिक बादर पर्याप्त जीव हैं । (१५) इनसे असंख्यातगुणे बादर जलकायिक पर्याप्त जीव हैं । (१६) इनसे असंख्यातगुणे बादर वायुकायिक पर्याप्त जीव हैं। (१७) इनसे असंख्यातगुणे अप्रतिष्ठित अपर्याप्त हैं । (१८) इनसे असंख्यातगुणे प्रतिष्ठित अपर्याप्त हैं । (१९) इनसे असंख्यातगुणे तेजस्कायिक बादर अपर्याप्त हैं । (२०) इनसे विशेष अधिक पृथिवीकायिक बादर अपर्याप्त हैं । (२१) इनसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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