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________________ -५.२.४ पंचमो महाधियारो [५६५ दसमपक्खे जंबूदीवादो लवणसमुदस्स लवणसमुद्दादो धादईसंडस्स एकदीवादो उवहिस्स उबहीदो दीवस्स वा खंडसलागाणं वड्डी गवेसिजइ'। एकारसमपक्खे भन्भतरकल्लोलिणीरमणदीवाणं खडसलागाणं समूहादी बाहिरणिविट्ठणीररासिस्स वा दीवस्स वा खंडसलागाणं वड्डी गवेसिजइ ।। बारसमपक्खे इच्छियसायरादो दीवस्स दीवादो णीररासिस्स खेत्तफलस्स व वेसिजइ। तेरसमपक्खे अभंतरिमदीवपयोहीणं खेत्तफलादो तदणंतरोवरिमदीवस्स वा तरंगिणीणाहस्स ५ वा खेत्तफलस्स बड्डी गवेसिजइ । चोदसमपक्खे लवणसमुद्दादिइच्छियसमुद्दादो तदर्णतरतरंगिणीरासिस्स [खेत्तफलस्स ] वड्डी गवेसिजह । पण्णारसमपक्खे सबभतरिममयरहराणं खेत्तफलादो तदणसरोवरिमणिपणगाणा गवेसिजद। सोलसमपरखे धादाइसंडादिइच्छियदीवादो तदणंतरोवरिमदीवरस खेत्तफल सिजह। दश पक्षमें जम्बूद्वीपसे लवणसमुद्रकी और लवणसमुद्रसे धातकीखण्डद्वीपकी इस प्रकार एक द्वीपसे समुद्रकी अथवा समुद्रसे द्वीपकी खण्डशलाकाओंकी वृद्धिका प्रमाण मालूम किया जाता है। ग्यारहवें पक्षमें अभ्यन्तर समुद्र व द्वीपोंकी खण्डशलाकाओंके समूहसे बाह्य भागमें स्थित समुद्र अथवा द्वीपकी खण्डशलाकाओंकी वृद्धि खोजी जाती है । . बारहवें पक्षमें इच्छित समुद्रसे द्वीपके और द्वीपसे समुद्रके क्षेत्रफलकी वृद्धि खोजी जाती है। तेरहवें पक्षमें अभ्यन्तर द्वीप-समुद्रोंके क्षेत्रफल की अपेक्षा तदनन्तर अग्रिम द्वीप अथवा समुद्रके क्षेत्रफलकी वृद्धि खोजी जाती है । चौदहवें पक्षमें लवणसमुद्रको आदि लेकर इच्छित समुद्रके क्षेत्रफलसे उसके अनन्तर स्थित समुद्रके खेत्रफलकी वृद्धिको खोजा जाता है । पन्द्रहवें पक्षमें समस्त अभ्यन्तर समुद्रोंके क्षेत्रफलसे उनके अनन्तर स्थित अग्रिम समुद्र के क्षेत्रफलकी वृद्धिको खोजा जाता है । सोलहवें पक्षमें धातकीखण्डादि इच्छित दीपसे उसके अनन्तर स्थित अग्रिम द्वीपके क्षेत्रफलकी वृद्धिको खोजा जाता है । १ व पुस्तके नास्त्येतत्. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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