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________________ सांस्कृतिक क्षेत्र में अहिंसा की दृष्टि बढ़ेगी और उसमें उल्लास और आनन्द प्रकट हो सकेगा । इसी में होली के पर्व की सार्थकता है । दीपावली पर्व : अहिंसा का बोधक दीपावली पर्व भी भारत का एक सामाजिक एवं राष्ट्रीय पर्व है । क्योंकि दीपावली पर्व को भी समाज के सभी व्यक्ति बड़े उल्लास के साथ मनाते हैं । दीपावली पर्व मनाने वाले व्यक्तियों में, किसी भी प्रकार का वर्गभेद नहीं माना जाता । दीपावली पर्व के मनाने में भारतीय संस्कृति के मूल उद्देश्य को समझने के लिए हमें उसकी प्राकृतिक पृष्ठभूमि पर विचार करना चाहिए। वर्षाकाल में अनेक प्रकार के विषैले प्राणी पैदा हो जाते हैं । वर्षावास में जो प्रकृति में नमी और सीलन रहती है, उससे अनेक जीवों की उत्पत्ति में वृद्धि हो जाती है । काले कजरारे बादलों से आकाश घिरा रहता है, जिससे चारों ओर अन्धकार-सा छाया रहता है । वर्षाकाल में घर में बहुत कूड़ा-कचरा भी इकट्ठा हो जाता है । इस कारण घर की स्वच्छता और उज्ज्वलता नष्ट हो जाती है और हमारे चारों ओर एक गन्दा वातावरण फैल जाता है । निरन्तर वर्षा होने के कारण अन्दर में गंदगी और बाहर में कीचड़ फैल जाता है । इस कीचड़, गंदगी और अन्धकार से मानवमन ऊब जाता है । वर्षाकाल की समाप्ति पर आकाश स्वच्छ हो जाता है और बाहर का कीचड़ सूख जाता है, तब घर के अन्दर की गंदगी को भी बाहर निकालने का प्रयत्न किया जाता है । शरद् पूर्णिमा के उजियाले में जब मानव अनन्तनील गगन में असंख्य तारों को जगमग करते देखता है, और चन्द्रज्योत्सना से समग्र विश्व को दुग्धस्नात जैसे उज्ज्वल रूप में देखता है, तो उसका मन आनन्द और उल्लास से मर जाता है । शरदपूर्णिमा से ही लोग अपने घरों की सफाई-पुताई शुरू कर देते हैं, तब यह समझा जाता है कि दीपावली पर्व सन्निकट है और उसकी आराधना के लिए तैयारियाँ होने लगती हैं । उस समय मनुष्य सबको स्वच्छ और पावन बनाने का प्रयत्न करने लगता है । प्रसन्न हो उठता है, जबकि वह अपने घर के आंगन में दीपकों की माला को जगमग करते देखता है । दीपकों की उस ज्योतिर्मय माला से उसके घर के आंगन का ही नहीं, आस-पास के सारे प्रदेश का भी अन्धकार दूर भाग जाता है और जीवन का कण-कण आलोक से आलोकित हो उठता है । इसी आधार पर इसे प्रकाशपर्व कहा जाता है । इस पर्व पर अन्दर-बाहर सर्वत्र प्रकाश छा जाता है । अन्धकार मानव मन को आनन्दित नहीं करता । वह उसे उदास बनाता है । दीपावली पर्व के पीछे हमारा जो मुख्य दृष्टिकोण था, उसे हम भूल गए हैं । अन्दर और बाहर की स्वच्छता ही इस पर्व का मुख्य उद्देश्य था । गन्दगी हिंसा का प्रतीक है और स्वच्छता अहिंसा का । हम गंदगी को दूर करके हिंसा को दूर करते हैं और स्वच्छता को ला कर अहिंसा की आराधना करते हैं । दीपावलीपर्व की आराधना भी प्रकाश के माध्यम से अहिंसा की आराधना है । अपने घर और बाहर मनुष्य का उदास मन Jain Education International For Private & Personal Use Only ३६७ www.jainelibrary.org
SR No.001265
Book TitleAhimsa Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1976
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size22 MB
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