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________________ प्रस्तावना । .. ११ ( अनेक - २) देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायोंसे और ( अनेक - २) देश आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायोंसे अत एव चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध ( अनेक - २ ) आत्माएँ हैं और ( अनेक - २ ) अवक्तव्य हैं । (६) १२ देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायोंसे और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायोंसे अतएव चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है । १३ देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायोंसे और ( अनेक ) देश आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायोंसे अत एव चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध आत्मा नहीं है और ( अनेक ) अवतव्य हैं । १४ ( अनेक ) देश आदिष्ट हैं असद्भावपर्यायोंसे और देश आविष्ट पर्यायोंसे अत एव प्रदेशिक स्कन्ध ( अनेक ) आत्माएँ नहीं हैं और अन्य है । १५ ( अनेक - २) देश आदिष्ट हैं असद्भावपर्यायोंसे और ( अनेक-२) देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायोंसे अत एव चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध ( अनेक - २ ) आत्माएँ नहीं है और (अनेक -२) अवक्तव्य हैं । Jain Education International (७) १६ देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायोंसे देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायोंसे और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायोंसे अत एव चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है । १७ देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायोंसे देश आदिष्ट है असद्भावपर्याय से और (दो) देश आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायोंसे अतः एव चतुष्प्रदेशिक स्कंध आत्मा है, आत्मा नहीं हैं, और (दो) अवकम्य हैं । १८ देश आदिष्ट हैं सद्भात्रपर्यायोंसे, ( दो ) देश आदिष्ट हैं असद्भावपर्यायांस और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायोंसे अत एव चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है (दो) आत्माएँ नहीं हैं और अवतव्य है । १९ (दो) देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायोंसे, देश आदिष्ट है असद्भावपर्याप और देश आदिष्ट है तदुभय पर्यायोंसे अत एव चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध (दो) आत्माएँ हैं, आत्मा नहीं है, और अगसम्म है । इसके बाद पंचप्रदेशिक स्कन्धके विषयमें वेही प्रश्न हैं और भगवान् का अपेक्षाओं के साथ २२ भंगोंमें उत्तर निम्नलिखित है - (१) १ पश्चप्रदेशिक स्कन्ध आत्माके आदेशसे आत्मा है। (२) २ पश्चप्रदेशिक स्कन्ध परके आदेशसे आत्मा नहीं है । (३) ३ पश्चप्रदेशिक स्कन्ध तदुभयके आदेशसे अवक्तव्य है । ( ४ ) ४ - ६ चतुष्प्रदेशिक स्कंधके समान । तदुमय For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001047
Book TitleNyayavatarvartik Vrutti
Original Sutra AuthorSiddhasen Divakarsuri
AuthorShantyasuri, Dalsukh Malvania
PublisherSaraswati Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages525
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Nyay, Philosophy, P000, & P010
File Size11 MB
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