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________________ सु० १४ ] बादरपरिणयअणंतपएसियखंधम्मि वण्णाइपरूवणं ८६९ लुक्खे; एवं मउएण वि समं चउसढि भंगा भाणियव्वा। सव्वे गरुए, देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे सीए, देसे उंसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे; एवं गरुएण वि समं चउसर्द्वि भंगा कायव्वा। सव्वे लहुए, देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे; एवं लहुएण वि समं चउसद्धिं भंगा कायव्वा। सव्वे सीए, देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देसे लहुए, ५ देसे निद्धे, देसे लुक्खे; एवं सीएण वि समं चउसद्धिं भंगा कायव्वा। सव्वे उसिणे, देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देसे लहुए, देसे निद्धे, देसे लुक्खे, एवं उसिणेण वि समं चउसढि भंगा कायव्वा। सव्वे निद्धे, देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देसे लहुए, देसे सीए, देसे उसिणे; एवं निद्धेण वि समं चउसद्धिं भंगा कायव्वा । सव्वे लुक्खे, देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, १० देसे लहुए, देसे सीए, देसे उंसिणे; एवं लुक्खेण वि समं चउसद्धिं भंगा कायव्वा जाव सव्वे लुक्खे, देसा कक्खडा, देसा मउया, देसा गरुया, देसा लहुया, देसा सीया, देसा उसिणा। एवं सत्तफासे पंच बारसुत्तरा भंगसत भवंति। जति अट्ठफासे—देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देसे लहुए, देसे सीते, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे ४; देसे कक्खडे, देसे १५ मउए, देसे गरुए, देसे लहुए, देसे सीते, देसा उसिणा, देसे निद्धे, देसे लुक्खे ४; देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देसे लहुए, देसा सीता, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देसे लहुए, देसा सीता, देसा उसिणा, देसे निद्धे, देसे लुक्खे ४, एए चत्तारि चउक्का सोलस भंगा। देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देसा लहुया, देसे सीए, २० देसे उंसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे; एवं एए गरुएणं एगत्तएणं, लहुएणं पोहत्तएणं सोलस भंगा कायव्वा। देसे कक्खडे, देसे मउए, देसा गरुया, देसे लहुए, देसे सीए, देसे उंसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे ४; एए वि सोलस भंगा कायव्वा। देसे कक्खडे, देसे मउए, देसा गरुया, देसा लहुया, देसे सीए, देसे उंसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे; एए वि सोलस भंगा कायव्वा। २५ सव्वेते चउसद्धिं भंगा कक्खड-मउएहिं एगत्तएहिं । ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं, मउएणं पुहत्तएणं एए चेव चउसद्धिं भंगा कायव्वा। ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं, मउएणं एगत्तएणं चउसहिँ भंगा कायव्वा। ताहे एतेहिं चेव दोहि वि पुहत्तएहिं १. उसुणे जे० ज० ॥ २. °गा भाणियव्वा ला ४ ॥ ३. उसुणा जं० ॥ वि.२/२५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001019
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1978
Total Pages679
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size11 MB
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