SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 387
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ રૂ૨૮ वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स०८ उ०१ परिणए वा ? गोयमा ! पुढविक्काइयएगिदिय जाव पयोगपरिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिदिय जाव परिणए वा। ५८. जदि पुढविकाइयएगिदियओरालियसरीर जाव परिणए किं सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए ? बादरपुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए १ गोयमा ! ५ सुहुमपुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए वा, बादरपुढविक्काइय जाव परिणए वा। ५९. [१] जदि सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए किं पन्नत्तसुहुमपुढवि जाव परिणए ? अपज्जत्तसुहुमपुढवी जाव परिणए १ गोयमा ! पजत्तसुहुमपुढविकाइय जाव परिणए वा, अपजत्तसुहुमपुढविकाइय जाव परिणए वा। [२] एवं बादरा वि। [३] एवं जाव वणस्सइकाइयाणं चउक्को भेदो। ६०. बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियाणं दुयओ भेदो-पजत्तगा य, अपजत्तगा य। ६१. जदि पंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं तिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए ? मणुस्सपंचिंदिय जाव १५ परिणए ? गोयमा! तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा, मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए वा। ६२. जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए किं जलचरतिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा ? थलचर० १ खहचर०१ एवं चउक्कओ भेदो जाव खहचराणं। ६३. जदि मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए किं सम्मुच्छिममणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए १ गब्भवकंतियमणुस्स जाव परिणए ? गोयमा ! दोसु वि । ६४. जदि गब्भवतियमणुस्स जाव परिणए किं पज्जत्तगब्भवकंतिय जाव परिणए ? अपजत्तगब्भवक्रतियमणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए ? गोयमा ! पजत्तगब्भवदंतिय जाव परिणए वा, अपजतगन्भवतिय जाव २५ परिणए।१। १.णते वा ला १॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001018
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1974
Total Pages548
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy