SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 684
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ छह की प्ररूपणा में पाँचवें ध्यान की प्ररूपणा ध्याता, ध्येय, ध्यान और ध्यानफल इन चार अधिकारों में विस्तार से की है।' ___ इस प्रसंग में धवलाकार ने यथावसर ग्रन्थ या ग्रन्थकार का नामनिर्देश न करके 'एत्थ गाहा' व 'एत्थ गाहाओ' इस सूचना के साथ धवला में लगभग ६६ पद्यों को उद्धृत किया है, जिनमें ४६-४७ पद्य प्रस्तुत ध्यानशतक में उपलब्ध होते हैं। धवला पु० १३ गाथांक ध्यानशतक गाथांक संख्या गाथांश पृष्ठ w १२ w wr rxraor mox१ जं थिरमझवसाणं जच्चिय देहावत्था सव्वासु वट्टमाणा तो जत्थ समाहाणं णिच्चं चिय जुव इ-पसू थिरकयजोगाणं पुण कालो वि सोच्चिय तो देस-काल-चेट्ठा आलंबणाणि वायण विसमं हि समारोहइ पुवकयब्भासो णाणे णिच्चब्भासो संकाइसल्लरहियो णवकम्माणादाणं सुविदियजयस्सहावो सुणिउणमणाइणिहणं ज्झाएज्जो णिरवज्ज तत्थ मइदुब्बलेण टेदूदाहरणासंभवे अणुवगयपराणुग्गह रागद्दोस-कसाया पयडिट्ठिदिप्पदेसाणु जिणदेसियाइ लक्खण पंचत्थिकायम इयं खिदिवलयदीव-सायर उवजोगलक्खणमणाइ तस्स य सकम्मजणियं WWW AM K१ Www cWW. MGK WW० ० WM८ ० 0 W XcccccK mr am GmWGM mrr ॥ mr ० mmm * KWWW २६ २७ ५५ १. धवला, पु० १३, पृ० ६४८८ ६३० / षट्खण्डागम-परिशीलन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001016
Book TitleShatkhandagama Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy