Book Title: sher bana Mahaveer
Author(s): Virag Shastri
Publisher: Acharya Kundkund Sarvodaya Foundation
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चर महावीर A LION BECAME BHAGWAN प्रकाशक आचार्यकुन्दकुन्दसर्वोदयाफाउन्डेशन (रजि.), जबलपुर (म.प्र.) परिकल्पना-विरागाशास्त्री, जबलपुर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेर से महावीर A LION BECAME BHAGWAN निर्देशन एवं परिकल्पना : श्री विराग शास्त्री, जबलपुर संयोजन एवं विशेष सहयोग : श्री सौरभ शास्त्री एवं श्री गौरव शास्त्री, इन्दौर भाषा रूपान्तरण : श्री रजनीकान्त गोसलिया, अमेरिका प्रकाशक : आचार्य कुन्दकुन्द सर्वोदय फाउन्डेशन (रजि.), जबलपुर म.प्र.) सर्वोदय, 702, जैन टेलीकॉम, फूटाताल, जबलपुर 482002 म.प्र.। मो. 9300642434 chehaktichetna@yahoo.comaslil Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक दिन जंगल का राजा शेर पेड़ के नीचे बैठा हुआ था । तभी उसने एक हिरण को वहाँ से जाते हुये देखा । One day the jungle king lion was sitting under a tree. He was very hungry. He saw a deer passing nearby. 02 Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिरण को देखकर शेर को उसका शिकार करने की इच्छा हुई । वह आगे के पैर खड़ा हो गया इतने में हिरण ने आहट पाकर पीछे मुड़कर देखा । By seeing the deer, the lion had a strong desire to kill and eat it. The deer in the front and the lion in the back. 03 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिरण अपनी जान बचाने के लिये तेजी से भागा। हिरण को भागता देखकर शेर भी हिरण को मारने के लिए उसकी ओर झपटा Deer kept on running. The lion suddenly attacked the deer. Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेर ने तेजी से भागकर हिरण पर हमला कर हिरण को पकड़ा और अपने बड़े और नुकीले नाखूनों से हिरण का पेट फाड़ दिया । The lion suddenly attacked the deer. By using his sharp nails, the lion torn up the deer's stomach. 05 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उसी समय आकाश से अमितकीर्ति और अमितप्रभ नाम के दो मुनिराज वहाँ से विहार कर रहे थे, उन्होंने देखा कि भयंकर शेर हिरण को मारकर उसका मांस खा रहा है। दोनों मुनिराज नीचे उतरकर शेर के पास आ गये। At that time, two 'Munies' (monks) - Amitkirti and Amitprabhwere traveling in the sky. They saw down and observed "One lion is killing the deer and eating its meat with joy. Both munies came down from the sky to the lion. 06 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दोनों मुनिराजों की अत्यंत शांत मुद्रा देखकर शेर आश्चर्य से उन्हें देखने लगा और मांस खाना बंद कर दिया। मुनिराज ने शेर का सुन्दर भविष्य जानकर उसे उपदेश दिया। The lion saw the extremely peaceful faces of both 'munies' and his meat eating ceased! It appeared as if that the lion was able to understand the essence of muniraj's teachings. Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनिराज बोले-हे मृगराज! तुम ये क्या कर रहे हो ? तुम तो निकट भव्य जीव हो और दस भव के बाद भरत क्षेत्र के तीर्थंकर महावीर बनने वाले हो। तुम्हें ये कार्य शोभा नहीं देता। मुनिराज का उपदेश सुनकर शेर की आँखों से आंसू बहने लगे। "He kept on looking at both munirajs without blinking his eyes! He started thinking - "Wow! NAA I have never seen this much peaceful appearance before and why my thoughts are becoming peaceful also? Bhagwan Mahaveer a lot of Bhavya jive will achieve ultimate salvation because of you and you will be instrumental in marvelous expansion (Prabhavna) of jainism. 08 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुनिराज की मधुर वाणी सुनकर शेर ने मन में प्रायश्चित्त किया-अहो! आज मेरा परम सौभाग्य है ___जो ऐसे मुनिराजों के दर्शन और वाणी का लाभ मिला। उसने अपने आत्म स्वरूप का विचार किया और उस शेर को सम्यग्दर्शन हो गया। Muniraj's teachings -. Tears started flowing from the lion's eyes as if he was confessing all the bad deeds done by him in the past - as if all his bad deeds were flowing out along with the tears. after hearing the muniraj's sweet speech, the lion sincerely repented in his mind -"He then thought of his own self. That lion achieved Samyak Darshan. HO Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शेर ने अब मांस खाना बंद कर दिया। भोजन न मिलने से उसका शरीर कमजोर हो गया। अब वह हिल भी नहीं सकता था। उसे मरा हुआ जानकर कौवे और चील आदि पक्षी उसका मांस खाने लगे। कुछ समय बाद बहुत शांतभाव से उस शेर की मृत्यु हो गई। Now Lion meat eating stopped. Due to lack of food his body started getting weak. A time came when he was unable to move his body. Thinking that the lion is dead, the birds started eating his meat. After some time that lion who had realized his own Atma died very peacefully. Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वह शेर मरकर सौधर्म स्वर्ग में सिंहकेत देव हआ। इसके 9 भव के बाद वह शेर का जीव भरत क्षेत्र का अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर हआ। बच्चों! समझ में आया कि एक पश भी आत्म ज्ञान के बल पर भगवान बन सकता है। हमें भी आत्मकल्याण करना चाहिए।। In the next life that lion became 'Sinhketu Dev' in the heaven called 'Saudharma Swarg'. After completing nine Such births and deaths since he died as that lion, He was called last of Bharat Khetra Tirthankar Bhagwan Mahaveer. Boys and girls! Did you understand that even an animal can become Bhagwan - God by realizing his own soul we therefore, should also realize our soul to become eternally happy. Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय आज के भौतिक वातावरण, आधुनिक संसाधनों के बढ़ते प्रयोग, पढ़ाई के बढ़ते बोझ, समय की कमी जैसे कारणों से अपने परिवार में जिनधर्म के संस्कार बनाये रखने की अधिक आवश्यकता हो गई। जिनधर्म के संस्कार जीवन में शांति का मूल कारण तो होते ही हैं, साथ ही अपने महान जैन शासन की धरोहर को विकसित करना हमारा नैतिक दायित्व भी है। इसी भावना से प्रेरित होकर आचार्य कुन्दकुन्द सर्वोदय फाउन्डेशन, जबलपुर विगत 10 वर्षों से बाल-किशोर वर्ग में तत्वज्ञान के संस्कार के प्रचार-प्रसार हेतु निरन्तर प्रयासरत है। इस श्रृंखला में अनेक संस्कार प्रेरक वीडियो निर्माण एवं साहित्य प्रकाशन का कार्य हुआ है। हमारे बच्चे पौराणिक कथाओं के परिचय के साथ प्रेरणा प्राप्त करें इस भावना के साथ इस पुस्तक और वीडियो का निर्माण किया गया। इस कार्य में सहयोग देने वाले सभी साधर्मियों का हम हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। हमें आशा है कि आप इस कृति का लाभ लेने के साथ हमारी भविष्य की समस्त योजनाओं में सहयोग प्रदान करेंगे। -आचार्य कुन्दकुन्द सर्वोदय पुस्तक प्रकाशन मुख्य सहयोग - श्री परेशभाई बखारिया, दादर मुम्बई शेर से महावीर वीडियो सी.डी. निर्माण सहयोग - From USAMr.Rajnikant Gosaliya, Pratiksha Khona, Bhupesh Mehta, Vinod K. Sangai/Seema Jain, Jatin Shah, Talak Shah निर्माण : आचार्य कुन्दकुन्द सर्वोदय फाउन्डेशन (रजि.) जबलपुर (म.प्र.) परिकल्पना और निर्देशन : विराग़ शास्त्री, जबलपुर स्वर एवं विशेष सहयोग : श्री सौरभ शास्त्री, इन्दौर संयोजन : श्री गौरव शास्त्री, इन्दौर भाषा रुपान्तर : श्री रजनीकान्त गोसलिया, अमेरिका सहयोग : श्रीमती स्वस्ति जैन, जबलपुर शेर से महावीर ALION BECAME BHAGWAN आचार्य कनकन सरकारपडेशनशि dawanteemini Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार्य कुन्दकुन्द सर्वोदय फाउन्डेशन, जबलपुर द्वारा निर्मित बाल संस्कार प्रेरकधार्मिक वीडियो. पस्तक और गेम प्राप्त कीजिये 1. जैनी बच्चे सच्चे हम 9. नन्हे मुन्ने ज्ञायक हम (एनीमेशन) धार्मिक गेम2. हम होगें ज्ञानवान 10. भगवन बनने जन्मे हम (एनीमेशन) 15. मुक्ति सोपान (दो मनोरंजक खेल) 3. मेरा वीर बनेगा बेटा 11. पाठशाला चलें हम 16. स्टीकर गेम पुस्तक 4. कर लो जिनवर की पूजन 12. तुम्हें वीर बनना है 17. नन्हें मुन्ने ज्ञायक हम 5. जिनधर्मकी कहानियाँ 13. आओ सीखें जैन धर्म (कविताओं का संकलन-चित्र सहित) 6. तोता तू क्यों रोता 14. शेर बना भगवान 18. भगवन बनने जन्मे हम 7. छहढ़ाला (संपूर्ण छन्द-अर्थ सहित) (कविताओं का संकलन-चित्रा सहित) 8. गाथा महापुराण की 19. शेर बना भगवन (ऐतिहासिक पौराणिक कथा-चित्र सहित) विश्व के संपूर्ण जैन समाज की एकमात्र रंगीन बाल पत्रिका चहकती चेतना के सदस्य बनिये सदस्यता शुल्क मास-400 रू. (तीन वर्ष हेतु) 1200 रू. (10 वर्ष हेतु) संपर्क-आचार्य कुन्दकुन्द सर्वोदयफाऊन्डेशन, (रजि.). सर्वोदय, जैन टेलीकॉम, फूटाताल, जबलपुर 482002 म.प्र. Mo:09373294684, 09300642434 E-mail- chehaktichetna@yahoo.com