Book Title: Vaidyak Shabda Kosh
Author(s): Vishweshwar Dayalu Vaidyaraj
Publisher: Vishweshwar Dayalu Vaidyaraj
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ Coe वैद्यक शब्द-काष 4.2262 श्री विज्ञान मंदिर, । लेखकचिकित्सक पं० विश्वेश्वरदयालु जी वैद्यराज Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री धन्वन्तरयेनमः वैद्यक शब्द कोष लेखक व प्रकाशक चि० चू० पं० विश्वेश्वर दयालु जी वैद्यराज सम्पादक - " अनुभूत योगमाला " बरालोकपुर - इटावा यू० पी० । द्वितीयबार १००० } सन् १९३१ ई. चि० चू० पं० विश्वेश्वरदयालु जी वैद्यराज के प्रबन्ध से श्रीहरिहर प्रेस, बरालोकपुर-इटावा में मुद्रित । मूल्य: 1) श्रना Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक की प्रार्थना। इस समय मनुष्यों की आयु और बुद्धि बहुत थोड़ी है इसी लिये समस्त ऋषि प्रणीतग्रन्थों का कण्ठस्थ रखना सम्भव नहीं है, ऐसी दशा में जक निघंटुकृत शब्दों का कहीं अप्रचलित शब्द श्लोक में आ जाता है तो विद्वानों को अवाक रह जाना पड़ता है और बहुत परिश्रम से उसका पता लगाना पड़ता है, कभी २ पता नहीं भी मिलता है इस कठिनता को दूर करने के लिये मैं बहुत परिचिन्तित था किंतु अकारादि क्रम से शब्दों का कोष तैयार करने से वह असुविधा दूर हो गई, यद्यपि ऐसा करने में हमें बहुत श्रम और खर्च करना पड़ा था और पुस्तक भी इतनी बड़ी बन गई कि हम एक दम उसके छपाने से झिझक उठे इसी लिये उस प्रति को जो १२ निघंटु ग्रन्थों की खोज से लिखी गई थी स्थगित कर सिर्फ एक निघंटु के आधार पर नमूना स्वरूप केवल काष्टीषधि शब्द प्रकाशित कर यह देखने की इच्छा हुई कि देखें इसमें कितना लाभ होता है और ऐसे कोष की कितनी मांग होती है क्या-क्या इसमें और बढ़ाने से यह विशेष उपकारी हो सकता है कुछ मेरी अल्पमति एबं प्रेस कर्मचारियों की असावधानी से इसमें कुछ भेद पड़ जाना निहायत सम्भव है। बिदजन उसे संभाल कर मुझे सूचित करदें, ताकि तृतीय संस्करण में में उसे टोक कर सकू आशा है कि सब प्रकार से मेरे उत्साह को बड़ावेंगे ताकि तीसरा पूर्ण कोष काष्टौषधि एबं धातु औषधशब्दयुक्त "बैद्यक शब्द कोष" को प्रकाशित करके शीघ्र से शीघ्र इस कमी को पूरा करने में मैं समर्थ होऊँ-यदि इसमें कुछ भी लाभ विद्वानों व विद्यार्थियों को हुआ तो मैं अपने श्रम को सफल समझूगा। विदुषांविनीतः । वैद्यराजः . वद्यराजः . Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - काकड़ा अंकोलः , " निधाय विश्वेशपदाम्बुज्हांदि विधायविन्ध्येश्वरिपादपंकजम् । बिलिख्य विश्वेश्वर वैद्यशास्त्रिणा प्रकाशते वैद्यक शब्द कोषकः। समस्तशास्त्राम्बुधिबीचिसचिताननेकशस्संस्कृतशब्द मौक्तिकान् । विचीयमानेन मयामकाशितो हितायतेषां खलु रोगहारिणाम् ।। | অলসূর্ণা अंकोटः पु० अंकोल, ढेरा सिंगी | अजाजी , सफेदजीरा अक्षः , वहेरा कालाजीरा अक्षीरं नपु० समद्रशोष अटरूषकः पु. अरूसा अक्षीव: पु० सहिजनां अतितपस्वनी सी० गोरखमुन्डी अंगारकः घमरा, कलि निगुन्डी हारी, पलास पुष्प | अतिबला । ,, ककहिया अंगारवल्लो स्त्री० भारगी अतिरुहा ,, मांसरोहिणी अग्निकः पु० भिलावा कपिकच्छू अग्निमुखी स्त्री० , | अतिलम्बी अग्निमंथ पु. इरणी अतिविषा अग्निसंस्पर्शा स्त्री० पर्पटी, सु- अदएडवः पु. सफेदएरड गंधद्रव्य उत्तरदेशे अधःशल्यः ,, चिरचिरा अग्निशिखा कलिहारी ,,चित्रक अगुर न० अगर (चीता) अंजनकेशी स्त्री० नीलका, ,, तुम्बुरु नाड़ीशाक (तेजबलके बोज) अजमोदा अजमोदिका " " अनन्ता स्त्री० धमासा अजरा स्त्री० कपिकच्छू (यवासा) (दोंदिया) अपराजिता ,, अपराजिता अजश्रंगका , मेदासिंगी (विष्णुकांता ,, सोंफ ,, अतीस अनलः अन्धकः स्त्री अजमोद अनार्यकः "अगर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपामार्गः भमूलक: अभया पुष्पं अमरबल्ली अमृतबल्लरी अमृता मृणालं अमोधा अम्बष्टा अम्वष्टकी अरलुः अरिष्टः अरुणा अरुष्कः अरुष्करः पण अर्कपर्णी अकिणिका पु० पटेरा यह जल में होता है " " नपु० 39 [ 8 ] चिरचिरा श्रद्धचन्द्रा अद्धतिक्ता अलर्क : स्त्री० हरड़ (हर ) | अलंबुषा न० वेतस (वेत) अलि बल्लभा स्त्री० अमरबेल, वृक्षों पर पीले अवदाहकः पु० लामज्जक, उशीर तर से होते हैं अवल्गुजः बाकुची 99 गु, गिलोय अधिकफ़: " समुद्रनोंन समु गुर्ची, गिलोय, द्रफेन हर', ला उशीर, लामज्जक स्त्री० बायबिडंग पाठा " 61 अम्बुजः अम्बालिका अम्विका अम्बुनामकं नपु० शुगन्धवाला "3 पु० हिज्जल, निचुल स्त्री० माचिका पोदीना पाठा अश्वगंधा अश्वत्थफला अश्वमारक: अस्थिश्रगला पु० सोनापाठा अस्थिसंहारकः ور पु० प० भिलावा प० भिलावा रक्त आक स्त्री वृद्दद्दन्तो अव्यथा अशोका अश्मध्नः अश्मन्तकः "" " महाशतावरी " लहसन, नींबरीठा | अस्थिसंहारी स्त्री० स्त्री० मजीठ, अतीस श्रहिपणीं अहिफेनकं अहिफेन आकाशी आखुकर्णी आटरुषः सफेद आक 27 स्त्री० मुडी, तराई स्त्री० पीली पाढ घंटापारूल ," :> बी• हर', निर्गुडी कुटकी पु० गेरू, पाषाणभेद " कालानिशोथ पु० चिरायता "" स्त्री० असगंध हा ऊबेर पु० कंडेल, करवीर ?? ;, रक्तकचनार अम्लोणिका हस्तिचिंधारी पु० हरसिंगार "" 39 पृष्ठपर्णी नपु० अफीम . 19 अफीम श्री० अमरबेल बड़ीदंती भूषाकर्णी अरूसा Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - - - - ~ C प्रात्मगुप्ता श्री. कपिकच्छू (दोंदिया) उग्रगंधः पु. लहसन आद्रकं नपु• अदरक उप्रगंधा स्त्री• अजवायन श्राद्रिका बच, कुलिंजन आफूकं नपु. अफीम उग्रा आमलक ___, आमला , बच उत्कटं आम्रगन्धा __ स्त्री कर्पूरहल्दी नपु. तेजपात उत्तानपत्रकः पु० लाल अण्ड श्रामण्ड पु. सफेद अंड पारग्बधः उत्पलं , अमलतास नपु. कमल उदकीयः प्रारबेतः पु. कंजी उद्गारशोधनः आसुरम् नपु० सोचरनोंन , कालाजीरा उनीच्यं प्रास्फोता खी. विष्णुक्रांता नपु० सुगन्धवाला उदुम्बरपर्णी स्त्री० लघुदन्ती इक्ष्वलिका स्त्री० कास उन्मत्तः , पु० धतूरा इतुगंधा ,, विदारीकंद उपकलिक स्त्री० कालाजीरा तालमखाना उपकुञ्चिका ,, कलौंजी,इला. इतुगंधिका , गुखरू यची छोटी पु. तालमखाना उपकुम्ची ,, कलौंजी , कांस उपचित्रा ,, बड़ा दंती इलुवालिका स्त्री० तालमखाना उपविषा ,, अतीस इज्जलः पु० समुद्रफल उरच्छः स्त्री० शितावर | पु. पटेरा कमल | उरबूकः । ,, रक्त अंड पु. कुढ़ा कुरैया उष्णा खी० पीपर इन्द्रयव नपु• इन्द्र औ इन्द्रवारुणी स्त्री० इन्द्रायन इष्टकापथं नपु. लामन्जक ऊष्णं नपु० पीपर, सोंठ छुईमुई । पीपरामूर, चीता इक्षुरः इन्दीवरी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कटपर्णी ऋ ऋषभः पु० ऋषभक ककान्तका- स्त्री. काहया ऋष्यः __, कहि या ककुन्दनी , माल ककुनी ऋष्यप्रोक्ता स्त्री महाशितावरी कच्छुरा ,, केवांच घमासा (यवासा) कंगुनी ,, माल ककुनी एष्ठीला __स्त्री. पाठा कटुफलः पु. कैफरा एडगजः पु. चक्रमद, पमा- कटभी स्त्री० माल ककुनी ड बीज , क लकड़ी एरका स्त्री मैंथी तृण कटम्भरा , कुटकी एरण्डवः पु. सफेद एण्ड कटुरोहिणी एरण्डफला स्त्री दन्ती छोटी कटुभद्रम नपु० सोंठ एलवालुकं नपु० कंकाल स कटुत्रिकम् , सोंठ, मिर्च मान कुष्ट गन्ध पीपर एला स्त्री० छोटी इला- कट्वी स्त्रा० कुटकी यची कठिल्लकः पु. करेला, लाल एलापर्णी रास्ना पुननवा एलालु: पु० एलवालुकाख्य कटं कटेरी स्त्री० दारुहल्दी गंध द्रव्य कटवङ्ग पु० सोनापाठी कएटकिनी स्त्री० भटकटैया ऐन्द्री स्त्री० इन्द्रवारुणी कंटकारी ओ . कंठालिका ओदनिका स्त्री० बरियारा किणही ,, चिरचिरा ओदनाह्वया ,, दोदिया बीज , कण्डुरा , कोंच बीज कदंबपुष्पिका , निगुण्डी औद्भिदं नपु० रेह नमक | कन्या , श्वेतसारिवा नोट:-समाप्तं स्वरादि वर्गम् । । ग्वारपाठा वा भूखसा Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ७ ] कनकाव्हया. पु. धतूरा पूरा कपालकं नपु० सरहरी गं डिनी कर्षफल कोपवल्ली स्त्री० गजपीपर करभंजिका कपितैलं नपु० शिलारस, करबीरः शिलाजीत करंजः कपिनामकं करंजी कपिलच्छाया कलघंटीका कापत्थ नपु० एलवालुक, कलशी कल्पकः कपिकच्छुः पु० दोदिया कबरी बीज कबच नामक कपिवल्ली ___ स्त्री० चिरचिरा कषाया। कपिल्लक: पु० रक्तपुनर्नवा कपिला स्त्री रेणका काकजंघा बीज काकतिक्ता कपोत चरणा " नलिका काकतुण्डफला कपीतर्क नपु० दारुहल्दी कुमारी स्त्री० ग्वार पाठा काकनासा करहाटकः पु. मैनफल काकपीलु: कर्कशः " कवीला काकमाची कर्णिकार स्त्री० अमल तास लाकचिंची कर्कटशृंगी . " काकड़ासिंगी | काकबल्लरी कटाख्या काकपर्णी स्त्री० देवदाली काकमुग्दा कचूर: पु० कचूर काका कपूर पु. कपूर | काकाङ्गी स्त्री कपूर हल्दी त्रि. बहेरा स्वी कंजो पु. श्वेत कडैल, " कंज स्त्री० केजी " रक्तसारिवा " पृष्टपर्णी पु० मेदाकचूर स्त्री० हिंगुपत्री पु. पित्तपापरा स्त्री० धमासा (यवासा) स्त्री काकजंघा " कन्नटेरों का, कनासा " कन्नाटेरों पु० रक्तगुञ्जा स्त्री० काली मकोई " रक्तगुञ्जा " स्वर्णबल्ली " मूगपर्णी " मूगपर्णी " काकजंघा " कन्नाटेरोघास कर्कटी Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नार काकादनी " रक्तगुञ्जा | कालीयँ " पीलाचन्दन काकानन्ती कालीयकं " " काकायु " स्वर्णबल्ली काला स्त्री० मजीठ काकाहा " काकमाची कालाजाजी " कलौंजी काकेच्छुः पु० तालमखाना | कामुक: पु० बकायन काखोली स्त्री. अजमोद | कारवी स्त्री॰ कलोजी, सोंफ, कांचनखः पु. श्वेत कच चन्द्रमूर | कलिंग कलिंग नपु० इन्द्रजों, कुड़ा कांचनार: की छाल काचनाव्य " नागकेशर | कालीयकः पु० दारुहल्दी कांचनी स्त्री० हल्दी कालेयकः , " कांडतिक्त पु. चिरायता | कालमेषी स्त्री० बकुची काण्डरुहा स्त्री० कुटकी | काश्मरी नपुः पोहकरमूल, कुकुम काण्डेञ्जः पु० तालमखाना काश्मरी स्त्री कस्तूरी, गंभारी कान्ता स्त्री० प्रियंगुमालककुनी काशेक्षुः पु. कांस काम्भोजी " उदरपर्णी काश काम्पिल्लः पु. कबीला काशमरी स्त्री० गंभारी खंभारि कायस्था स्त्री. हर काष्टपाटला स्त्री० स्वर्णपाटला कार्पासी " कपासी कितवः पु. भटे उरप्रन्थर्ण भेद कालदोला " नील किरातः " चिरायता कालकेशी " " किरातकः " " कालकेषिका” कालानिशोथा, क्लीतकं नपु० मोरेठी मजीठ क्लोतन , मोरेठी कालस्थली" पीली पाढ क्लीतका खी. नील कालानुसार्यकं नपु० भूरछरीला, | कीट: पु. कुढा तगर | कीटमाता स्त्री० हंसपदी हंसराज कालसारं " पीलाचन्दन कुक्कुर नपु० गनेरग्रंथपर्णिभेद कालानुसायं, तगर । कुकुमः पु० कुकुम, केशर Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अगर कालीमिर्च कुचला कुटकी वाकुची कुम्भिका कुण्डली स्त्री० गुर्च, रक्तकचनार कूटजः पु० कुढा कुरुविन्दः पु० मोथा | कृमिघ्न पु. बाइविरा कुटिलं नपु० तगर कृमिघ्ना स्त्री० हल्दी कुचन्दनं नपु० बक, पीतचंदन कृमिजें नपु. कुन्द पु. कुन्दुरगोंद लोबान कृमिजग्धं ., अगर कृष्णं , कुकुन्दर कृष्णजीरक पु. कालाजीरा कुलक कृष्णभेदा स्त्री० कुपीलुः ॥ कृशोदरी , श्वेतसारिवा कुमारी श्री. ग्वारपाठा वाभूखसा कृष्णफला , स्त्री० कैफरा कृमिघ्न नपु० देवदारु कुमुदिका स्त्री. कैफरा कृष्णा स्त्री० क्षेतपापड़ा कलग स्त्री० धाय के फूल उरदपर्णी कुसुम्भम् नपु० , कृष्णवृन्ता ,, खम्भारि पीलीपाठ कुश्ची पु. कलौजी कृष्णला , श्वेतगुञ्जा स्त्री० धना कृशा रोहिणी कुस्तुम्बुर पु० धना कृतपालः पु० अमलतास कुञ्चिका स्त्री० मैथी केशपर्णी स्त्री. रक्त चिरचिरा कुटजबीज नपु० इन्द्रजी । केशनामकं नपु. सुगन्धवाला कलीर विषाणिका बी० काकड़ा- केशरः पु. नागकेशर सिंगी केशराजः , घमरा कुवेराक्षी स्त्री० पीलीपाठ केशी , माचिका कस्तालू पु. गूगर कैरवी , मैथी वनमैथी कटनी नपु० कैवर्तीमोथा कैरात: पु. चिगयता कली स्त्री. फलकटैया । कैवर्तक नपु० कैवर्ती मोथा कुहारः पु. रक्तकचनार कोल: पु० स्त्री. पीपर, बेर कुनाशक पु० जवासा कोलबल्ली खी. गजपीपर कुश कोकिलाक्षः पु. तालमखाना कुरनटी Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ilali गेरू मात CS कौरङ्गी स्त्री० कोटी इलायची गर्दभा, श्वेत कटैया कोटिवषालक: पु० पिडशाक गर्भनुत् - ,, कलिहारी कोविदारः , रक्तकचनार गबादनो , इन्द्रवारुणी कोयं स्त्री० बिदारीकन्द | | गवाक्षी ,, क्रोडकसेरुकः पु. नागरमोथा, गरागदी , देवदाली कोशातकी स्त्री० लौकी, तुरई गंगेरुकी , गंगेरन, गुलशकरी कोलकः पु. शीतलचीनी गिरभित ,, कोष्टुबिन्ना स्त्री० - पृष्टपर्णी | गिरकर्णी , विष्णुक्रान्ता कौन्ती . , रेणुकाबीज गिरमल्लिका ,, कढा गिरसानुजा, त्रायमाण गण्डीरी स्त्री० मजीठ गुटिः , छोटी इलायची गाण्यारि: पु. श्वेत कचनार गुण्डाख्यं , नपु० सांभर नमक गंडाली स्त्री गांठ दूर्वा सरहठी, गुन्द्रा , नागरमोथा गंडिना गुन्द्रफला ,, गंडदूर्वा , गांठ दूब गुच्छकं नपुः ग्रंथिपर्णी गणकारिका , ना गुडहासक: पु० भटेउर, नेपाल गंधनाकुली ,, लीय द्रव्यं गंधसार: पु० स्त्री० गिलोय गंधकुटी स्त्री. गुहा ,, शालिपर्णी गंधमूलिका, मेदाकचूर गुडा , सेहुँड गंघबधू , गुणरूप पु० श्वेताक गंधपलासी, गुन्द्रा गंधकोकिला,, सुगन्धद्रव्य पु. पटेरा गंधमालती, कुन्दुरु, सुगन्ध गुन्द्रमूला स्त्री० मोथातृण गंधर्वहस्तकः पु. श्वेत अंड गंधाता स्त्री० असगंध गुह्यबीजं नपु० भूतृण गंधारी स्त्री० . जवासा | पु० बिदारीकंद गञ्जा , भांग गृहकन्या स्त्री. ग्वारपाठा इन्नी खम्भारि श्वत चन्दन गुडूची मूवो गुन्द्रा | गृष्टिः Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ११ । ग्रन्थिमान् पु. हरसिंगार घृत कुमारिकः , ग्वारपाठा प्रन्थिक नपु. पीपरामूर, घी कुमारी ग्रंथिपर्णी ग्रामीणा स्त्रो० नोल चक्रमदः ,, चकवड़ पवार गोलोमी ,, बच, श्वत दूर्वा चक्रकार ,, नपु० नख गोरोचना ,, गोरोचना | चक्रक्षणिका स्त्रो० गुर्च, लक्ष्मणा गोक्षुरा पु. गुखरू चक्रवर्तिनी , पर्पटी, पद्माख गोकंटक | चक्षुष्यं नपु• पमार, पुण्डेरी गोक्षुरक: चक्षुवेष्टल: प. शरपत, रामशर गोपी स्त्री० कृष्ण सारिवा चक्रांगी स्त्री० कुटकी श्वेत सारिवा चक्राम्ला ,, सुदर्शन गोपबधू चक्रो ५. चकबड़ गोपा , श्वेत सारिवा चण्डातः , करवीर (कडेल) गोपवल्ली , चटकाशिरः पु. स्त्री० पीपरामूर गोजिह्वा , बनगोभी चतुरुषणं नपु० त्रिकुटा पीपरामूल गोभी , " चतुरङ्गालः पु० अमलतास चपला स्त्री० पीपल घंटापाटलि: पु० घंटापारुल, चन्दशूरः ,, हालों सफेद पाठ चन्दः , कबीला घंटा स्त्री० शणपुष्पी, चमरिकः ,, रक्त कचनार चिहुली चमहंत्री स्त्री. हालों घ्राण दुःखदा , नछि कनी चमेकषा __, थूहर सेहुड, भेद घृतपूर्ण करंज पु० कंजघोटा चर्मकरी रोहिणी घुणप्रिया स्रो० दन्ती छोटी चर्मकरानुकः पु० बिदारीकंद घुसणं नपु० कुकुम, केसर | चविकाफलं नपु० गजपीपर धु पल्लमा खो. अतोस । चत्रिका स्रो० मेंथी गोजिका , " Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छर्दनः ज्योतिष्मती प. बी. मैनफल / जयपालः स्त्री. धना, सोंफ ज्योतिष्कंठ .. सौंफ जलवेतसः ,, स्त्री. छिकनी जलकामुका जल कारिका छत्रा छत्रिका छिकनी छिकिका ছিন্ন छिन्त्ररूहा छिन्नोद्भवा छिलिहिण्ट " गुर्च , माल ककुनी पु. जमालगोटा मालकाकुन , जलवेत यत्री प्रकपुष्पी , लज्जालु. लजबन्ती पनिसगा, जल पीपर पु. चिरायता ___ स्त्री. मैंथी नपु० जायफर स्त्री० जावित्री प० देवाली ,, पठानीलोध ,, मफेद जीरा जटा जटिला जतुः जतुका जतु कृष्णा जतुक्नत् जलपिप्पल , , प० पातालगरुडी । ज्वरांतक: जातिगंधफला स्त्री. तरुमूल जातिकोशं जटामांसी जातिपत्री , बच जटामांसी जीमूतः पु० लाख जीणपत्र स्त्री. श्वेत पापड़ा जीरकः " जीरणः जीवन्ती नपु. हींग स्त्री० श्वेत पापड़ा पर्पटी जीवनी "जीवनीया नपु. भूतृण ,, बाइबिरंग जीवा ,, अग्निमंथ स्त्री० भाग (जयतिया) झषा , इन्नी, जयन्ती जतुक जननी स्त्री० हर, गुचे, शाकविशेष ,, जीवन्तीशाक , " पु. बकायन स्त्री. जीवन्तीशाक जीव: जम्वुक प्रियं जम्बु नाशनः जयः जया स्त्री. गंगेरन गुलशकरी जयन्ती Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टुण्टुकः टंकणं टंकारी नामः दिएडीरः तगर तण्डुलः तंत्रि तनुत्वक् तपस्वनी ताम्रपुष्पः पु. रक्तकचनार प. सोना पाठा सामलकी स्त्री० आवला, मुसली नडु सुहागा ताम्रपुष्पी , धाय, धवईपुष्प श्री० टंकारि ताम्रः पु. अरूसा, तांवा रक्तपुष्पा अग्निमंथ ताम्रचूडः , कुन्दुरू तायशैलं ___नपु. रसोत तायज़ प. समुद्रफैन तालमूली स्त्री. मूसन्तीकंद तिक्तः पु. नीव, कुटकी नपु० तगर तितिडीफलं नपु. जमालगोटा डु० वाइबिरग तितडीक स्त्री० गुर्च तिरीट: पु. लोध पु. दारचीनी तिलपर्णी नपु. लालचंदन स्त्री० जटामासी, तीक्ष्णतंडूला स्त्री० पीपर मुण्डी तीक्ष्णगंधकः प० सहिजन मुण्डी तुगा स्त्री० बंशलोचन नपु पत्रज तुगाक्षीरी पु. सफेद अंड तुत्था , नील, छोटी बांस इलायची , बांस तुरुष्कः शिलारस धतूरा स्त्री. वंशलोचन तूली नील नपु. तेजपात | तेजनी स्त्री• मूर्वा, दाल प. स्त्री. दालचीनी चीनी स्त्री. ब्राह्मी तेजनः पु. रामशर , पान तेजस्वनी स्त्री० दालचीनी तेजपात , पीलीपाठ | तेजवती , तेजबल तूरी स्त्री० तपोधना तमालपत्रं तरुणः तरुध्वज त्वचिसारः त्वकसारक स्वक्षीरी त्वकपत्रं त्वक स्वाष्ठी ताम्बूलबल्ली ताम्बूली ताम्रपुष्पी Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । १४ । तेजोबा , मेथी तैलपर्ण तैलपर्णिकः दण्डहस्ती दद्रुघ्नः दन्तवीज द्रवन्ती दर्भ दशमुलं दार्वी दीपनी न. ग्रंथिपणे दीप्यक: प. अजमोद, पु. सफेद चंदन अजवाइन दीप्या स्त्रो. अजवाइन पु. पिण्डतगर दीप्यका , चकवड़ दीर्घजीरक: पु. सफेद जीरा न. जमालगोटा दीर्घवृत ,, सानापाठा स्वी० दन्ती बड़ी दोघंफल: ,, अमलतास पु. कुश दीघपत्रा स्त्री. शालिपर्णी न. लघुवृहत् (सरिबन) दोनों पंचमूल युक्त दीर्घदंड प. सफेद जीरा स्त्री. दारुहल्दी दीर्घपत्रा , लहसन प्याज ___ आमा हल्दी दीर्घपत्रिका स्त्री० श्वेत पुनर्नबा नप० देवदारु , शालिपर्णी ___ स्त्री. बनगोभी दुग्धि का , दुधी न. विडनोन, दुग्ध गर्भा ,, श्वेत सारिवा कचूर स्त्री० छोटी इला दुग्रहा , चिरचिरा किलिम न. देवदारु पु. ऋषभक, दाख दुर्गन्धिः पु० प्याज , आमाहल्दी दुरालभा स्त्री. धमासा खो० दालचीनी दुरालभा नप० देवदार दुःप्रधषिणी , फल कटैया स्त्री. दारुहल्दी दुःस्पर्शाः ,,भटकटैया, धमासा नपु०कैवर्ती मोथा दुःस्पर्शाः पु. कपिकन्छु स्त्री० काकजंघा देवदारु , देवदारु स्त्री रेणुका | देवकुसुम न० लोंग ,, ब्राह्मी देवधूप पु. गूगर दार्वीन्द्र दार्विका द्राविणं दीर्घाङ्गा द्राविणी यची द्राक्षः दारुभद्रः दारुसिता दारु दारुहरिद्रा दासपर दासी द्विजा दिव्या Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवी तुरई देवनिमिता देवदाली देवतांडी देवता देवजग्धं द्रेका दैत्या द्रोणपुष्णी द्रोणा धतूरः धन्वया: स्त्री० पिण्डशाक धनियकं नपु० , , मूचा धामार्गवः पु. लाल चिरचिरा , गुर्च धावनी स्त्री० भटकटैया स्त्री० धाव निगुडा पृष्टपर्णी ,, , धात्री श्रांबरा धतूरा धात्रीपत्रं तालीश नपु. कतृण धीरः ऋषभक स्त्री० बकायन धीरं कुकुम , मूळ धीरा , गूमा धुत्तरः धतूरा धूमगंधिका रोहिषतृण ध धूर्तः धतूरा पु० धतूरा धेनुका स्त्री० धना जवासा ,,चोरकगंधद्रव्य नकुलेष्टा स्त्री. नाइ, रास्नाभेद ,, नरकुल नख स्त्री० नालका नखी स्त्री० छो० नख न० कालीमिर्च नघुष तगर . काकमाची पु० मैनफल, सोना, हाऊबेर पाठा , धायफूल नटी स्त्री. नाड़ी शाक, नलिका , सुहागा | नतं नपु० तगर न० धना धनिया नली स्त्री. नाड़ी शाक नलिका नाकुली नाइ,रास्नाभेद . स्त्री० ,,, नागसुगंधा .." , .. धनहरम । नखं नप. धमनः धमनी धर्मपत्तन नपु० ध्वांशुमाची वासना ISIS धातकी धातुपुष्पी धातुद्रावक धान्य धान्यक धान्यक धाना Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्त्री० पान नागरं नपु. सोंठ पथ्या स्त्री. हर नागपुष्पं नागकेशर पद्मपत्रा , कपूरहर्दी नागकेशर पद्मपत्र , पोहकरमूल नागः पद्मा स्त्री. वामनहाटी नागकिर्जालक पद्माट: पु. चक्रमर्द चकनागबल्लरी बड़ के बीज नागिनी पान | पद्मक नपु० पद्माख नादेवी इन्नी पद्मगन्धि नार्यतिक्तः ५० चिरायता पद्माह्वय नपु० ॥ निदिग्धिका , भटकटैया पयस्विनी स्त्री० बिदारीकंद निम्बः नीब जीवशाक निर्मथ्या स्त्री. नाड़ी शाक पयस्या , अर्कपुष्पी निशाख्या , हल्दा लीहहन्त्री __, हाऊबेर निशाचरः पु० भटेउर ग्रन्थ पर्जन्या ,, दारुहल्दी . पर्ण भेद पर्जनी निष्कुटि: पु. स्त्री० इलायची पित्तपापड़ा. नीलपुष्पं पर्पटक: नपु० प्रन्थिपर्णी नेपाल: पु० चिरायता पर्पटः प्रस्थकाम्बष्टा स्त्री. माचिका प्रवालफलं लालचन्दन पटेरकः प. पटेरा प्रवरं , अगर काला पट्टिका लोध्रः , लोध पठानी स्त्री. प्रतीयशः पु. सफेद आक पदरंजक नपु० वक प्रपौण्डरीक नपु. पुण्डेरी, पंचांगुला पु. सफेद अंड प्रतापनी स्त्री. गंधप्रसारिणी पंचकोलं नपु० पीपर, पीपरा. | प्रतिविषा , अतीस मूर चाव, चीता, मोंठ प्रत्यकपर्णी , दन्ता बड़ी समान भाग चिरचिरा लाल पतंग , वक | प्रकीर्यः पु. कंज " पट्टी Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ १७ ] चक्रमदे पाकक्षारः चक्रबड़ के बीज पाटला प्रसारिणी स्त्री० प्रन्ध प्रसारिणी पाटलिः पसरन, खीप प्रपुनाट प्रहारबल्ली परिव्याधः पु० परिपेलवं नपु० पृथ्वी पृथ्वी का प्रथुकृष्णा पृष्टपण "9 पलंकषा लांडू पलाशी पवनेष्टः 39 स्त्री • पार्क " प्रथुक प्रथुशिवः प्रथकपर्णी प्रथु प्रथुपलाशिका स्त्री. गंध पलाशी "" प० 6 "" در " "" "" पाठा पाठा रोहिणी पाठिका पाठा जलवेतस | पांडुरद्रुम कुढ़ा "" तालीस | पांडुलोमशपर्णी स्त्री० उरदपर्णी रेणुकाबीज कैवर्ती मोथा | पांडुपुत्री कलौंजी पारिभाव्यं पारिजातकः पृष्टिपर्णी पु० स्त्री • पु० 39 कलौंजी | पातालगरुणाह्नः पु० पातालगरुड़ी स्त्री० पु० लहसन | पाशुलवणं पशुमेहकारिका स्त्री० चंद्रशूर | पाषाणभेदक: पत्रं श पत्रनामकं पत्राढ्यं नपु● तालीस कैवर्ती बड़ी इलायची | पापचेलिका पाठा हिंगुपत्री | प्राचीना पाठा हिगुपत्री प्रावृषायणी कपिकच्छू 99 सोनापाठा | पारसीकयवानी स्त्री० खुरासानी पृष्टपर्णी अजवायन हिंगुपत्री | पारावतपदी पिका पत्र | पिंचुमर्दः पिंचुमंद नप० एलुवालक पत्रज बी० पु० पारिभद्रः 33 ,, लाख, गूगर, गुखुरू पाविर्दी श्री० पु. प्याज स्त्री • गंधक पलाशी | पांशुपय्र्याय: पु० नपु० मोथा पिंड तिलबण पिंडीतकः 99 नपु० पु० " 39 स्त्री० पु० जवाखार पीलीपाठ 19 39 " " मालक कुनी काकजंघा कुष्ट फरहद मन्दारभेद काला निशोत पित्त पापड़ा रेह नमक पाथरचूर पिंडशाक नीव 99 मैनफल 36 " Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फञ्जी बी. पिडा स्त्री० बंशपत्री पूतिकरजः , पिप्पली पीपर पूतिफली स्त्री० वाकुची पिप्पलीमलं नपु० पीपरामूर पोटगलः पु. नलसर नरकुल प्रियंगु , माल काकुन कांस प्रियकरी स्त्री० सफेद कटैया पौंडरीकं न० पुडेरी प्रिया गंधप्रियंगु पौंडयं पिशुनं न० कुकुम पौष्करम पौष्करम् , पोहकरमूल पीठ पु. चित्रक पीतदारु , दारुहल्दी बामनहाटी पीतदुग्धा फेनः समुद्रफेन पीतवृक्षः पु. स्निग्ध देवदारु फलत्रिकं नपु० त्रिफला पीतपुष्पः सहदवी फलिनी __स्वा० प्रियंगु मालपीतक न० कुकुम काकुन पीतरोहिणी स्त्री० गम्भारी फलेरुहा , पालीपाठ पाटल पीताभं न. पीलाचन्दन फत्तेपुष्पा गूमा पीता स्त्री० दारुहल्दी हल्दी पीलुपर्णी , वधू स्त्री गंध पलासी मेदाकचूर पीवरी , शिताबर शालिबध्याककोंटी " वाभूखसा , श्वतपुननेवा ककोगकन्द ब्रह्मदर्भा , चक्रमद चकबड़ " अजवाइन प्रपुन्नाट के बीज ब्रह्मकुशा अजमोद ब्रह्माण्डकी " ब्रह्मी पुष्करमूल न० पोहकरमूल ब्रह्मसुदुर्लभा " हुरहुरारक्त पुरष्करम बलभद्रः " त्रायमाना पुष्पवस्ता हाऊबेर | बत्या " गंधप्रसारिणी पूतना , हरे बलामोटा " नागदमनी कंज ब्राह्मण यष्टिका भारङ्गी ब मूर्वा पुनर्नवा गूगर पुरः स्त्री. सका Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ब्राह्मणी " गर, पिण्डशाक भद्रः । " सफेद चन्दन ब्राझी ब्राह्मी भद्रमुजं " सरपत बहुपत्रिका ' मेथी भद्रमुस्ता स्त्री. नागरमोथा बहुबीजा " भद्रपर्णी स्त्री० गंभारी, गंधबहुपर्णी " बनमेथी प्रसारिणी " भद्रा बहुपुष्पी धाय " चंद्रशूर, कैफरा गंध प्रसारिणी वहुला " बड़ी इलायची भद्रवती कैफरा बहुमूलकं " नं. बीरणकन्द भद्रेला उसीर " बड़ी इलायची भृगुभवा " स्त्री. भारङ्गी बहुसुता " स्त्री. शितावर, भृङ्गमं नपु. तेजपात बहुफला " प्रांवला, बालू भृङ्गराजः नपु० घमरा बुखारा भृङ्गरजः " " बहुपत्रा "श्रांवला, पाखुको भृङ्गारः बहुबीर्या भल्लो स्त्री० भिलावा वामपप्पा " स्त्री० चन्द्रशूर । भल्लातकः पु० भिलावा बालपूतिका " माचिका भरमगंधा स्त्री. रेणुका वालम् नप० सुगन्धबाला भार्गवी , नील दूर्वा वालकं " " भिक्षुः पु० तालमखाना बालाक; पु. श्वेत आक भिन्नपांजनी स्त्रो० पाषाणभेद, बालिका " स्त्री. मछेछी गेरू बोधिनी " मेथी भिषङ्गमाता , अरूसा भीरु पु. शितावर भंगरा स्त्री. अतीस भुजंगाक्षी स्त्री. नाइ, रास्ना भंडी " मजीठ - भेद भंडीरी भूकदम्बिका , मुन्डी भंडीतकी भूनिम्बः पु. चिरायता भद्रयबः पु. इन्द्र जौ । भूतजटा खो. जटामांसा Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२०] मिर्च होऊबेर भूतृणं नपु० भूतृण, कतृण | मयूरबिदला , माचिका भूतीकं , रोहिषतृण, भूतृण मयूरकः पु. चिरनिरा भूरिफेना स्त्री. थूहर, लेहुण्ड मयूरः ,, अजमोद मृगनाभि , कस्तूरी मृगमदः स्त्री. पु० बी० दंती छोटी मृगादिनी मकूलक: इन्द्रवारुणी मंगल नाम धेया स्त्री. जीवशाक | मृगाक्षी बोन मृगेवारूः मंगल्या स्त्री. बच, गोरोचन , मंजिष्टा मजीठ | मर्कटी , कंजी, दोंदिया, मंजूषा चिरचिरा मंडूकपर्णी ,, ब्राह्मी मरिचं नपु० मंडली गुचं | मरुन्यालो पु. पिंडशाक मत्स्यगंधा मरुवकः मैनफल कुटकी मत्स्यशकला , मल्लिकापुष्प , कुढ़ा म्लेक्षकन्दः लहसन मत्स्यपित्ता, मत्स्याक्षी, मलयजः , पु०सफेद चन्दन मैंथी मन्था मस्कर वांस , मन्थपाकं नपु० काला नमक मस्तदारु , नपु० देवदार मदनः पु. मैनफल, धतूग मसूरविदला , स्त्री० कालानिशोत मन्दारः , श्वेत आक | महती , श्री. भटकटैया मधुरा स्त्री० सोंफ, मैंथी | महाकुसुमिका गाम्भारी मधुपणिका , नील, गंभारी | महासहा , उरदपणी मधुपर्णी , महामोही , पु. धतूरा मधुपूती , पीलीपाठ | महानिम्ब , बकायन मधुरसा गम्भीरी | महाबला , खी. सहदेवी मधुश्रवा जीवशाक | महाशतावरी , महाशितावर मधूकपर्णी , सोनापाठी | महाफला , इन्द्रवारणी मधूाल का वो. मौरेठा' महाश्रावणिका , मछेली गुचं मुण्डो Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ २१ मोधा स्त्री० इन्द्रजौ महिषाक्षः , पु० गूगर मुस्तकं नपु. महिलाह्नया , प्रियंगु मुस्तावत पु. कैवर्तीमाथा महादरी , स्त्री महशितावर मोचक: , सहजना महोष्ट्री , भटकटैया पीलीपाठ महोवधं नपु० सोंठ, लहसन मोनमः सफेदपाठ मागधी स्त्री० पीपर माणिमन्थं नं0 सेंधानमक यवसाव्हया स्त्री० अजवाइन मातुलानी स्त्री भांग यवन देशजः पु. शिलारस मातुल पु० धतूग यवनेष्ट प्याज मातुल पुत्रक:, धतूरे का फल यवफल , कुठ मालती फलं नपु० जायफर यवं नपु० मालव पु. लहसन यष्टीमधु मारठी मालूरः ., वेल यष्टीमधुक , मालातृणर्क नपु० भूतृण यष्टी स्त्री० मौरेठी माषपर्णी स्त्री० उरदपर्णी यवक्षारः पु. जवाखार मांसरोहिणी ,, रोहिणी यबाप्रजः मिथिनी , मैथी यवानिका अजवायन मिश्रपुष्पा , मेथी यवासः पु. जवासा मिश्र या , स्त्री सोवा यज्ञधूपः , मिसि पु० यज्ञभूषण कुश मुकुन्दः . मुकुन्द गेरू याव: लाख मुखदृषक: , प्याज जवासा मुग्दपर्णी , मुग्दपर्णी याम्य मुज , मूज यावशूकः , जवाखार मुखातक: युक्तरसा स्त्री. रास्ना मुण्डतिका , सी० मुण्डी युगपत्रकः पु. रक्त कचनार मुण्डी योगजं नपु० अगर सुष्क त्री० मौथा ! योगेश्वरी खो० ककोराकन्न रार यासः Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ योजनबल्ली योषिप्रिया रक्तम नपु रक्तांगी स्त्री० रक्तांगम् नपु० " "" रक्तचंदन रक्तयष्टिका खो रक्तसारम नपु० रञ्जना स्रो० रंजन न० रसगर्भम् नपु० रसना रस्या रसा रसायनी रसांजन रसाम्लं रसोन او रामठ रामसेनक राल: रास्ना स्त्री० "" ," नपु० " रसोनक: पु० राजपुत्री स्रो० 33 राजवृक्षः पु० राजाह नपु० पु० " 10 [ २२ । मजीठ रोगाह्वयं हल्दी राहिणी रोमक कु कुम मजीठ लालचंदन, कबीला "" मजोठ पतंग बक, श्वेतपापड़ा लघु " लघुपचमूल लज्जालु लता बक, पतंग | लतालघुः रसोत लवंग सुरई यं चिरायता लोध लोमश: अगर हींग लोह नपु० allo नपु० लशुनः पु० मजीठ लक्ष्मणाः स्त्रो० स्रोत चूक लहसन लाक्षा स्त्री० लहसन काबीज लाक्षाप्रसादन: पु० अमलतास " पर्णी दोनों कटेली, गुखुरू लजवंती वायसुरई | वाद्रुमः ल नपु० उशीरवत पीत वर्ण तृण शालपर्णी, पृष्ठ पु० स्री० पु० नप० लांगुली कलिहारी "" लामज्जकं नपु० उशीरवत पीतवर्ण कूट हर्र, कुटकी सांभर नमक लौंग उशीरवत पीतवर्ण तृण 95 ० न० र वरवर्णिनी स्त्री० पु० मालका कुन प्रियंगु पिण्डशाक लहसुन सफेद कटैया तृण लाख पठानी लोध लोध वच अगर हल्दी सिहुँदा Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मेंहदी | २३ ] वांगी स्त्री. हरसिंगार वृत्ता स्वी रोहिणी वज़ी सिहुँडा वृद्धं भूरिछरीला वटपत्र , वटपत्री वृषभः पु० ऋषभक वत्सकः कुढ़ा वृष , अरूसा वत्सादिनी स्त्री. गुर्च, कलिहारी वृष्या , कपिकच्छू बदरा , असगंध, हुरहुरा वृषकेतुः , लाल पुनर्नवा वधू , पिण्डशाक | वृहतपंचमूल न० बेल, सोना, पाठा वनजः पु. तुम्बुरफला गंभारी, पीलीपाठ वनिता स्त्री० अग्निमन्थ सहित वनश्रङ्गाटक ,, गुखरू वृहती स्त्री० भट कटैया वन्हिज्वाला स्त्री० । धायफूल वृहत्पत्र पु० लोध वन्हिशिख न० कु कम वृहद्देला स्त्री. बड़ी इलायची वा वी० गोरोचन वृक्षकः पु. कूठ वन्दा , बन्दा पेड़ों पर बृक्षभक्ष्या स्त्री० एक वृक्ष होता है। बृक्षरुहा ,, वन्दाकः पु० बृक्षादिनी । ब्यङ्गा __स्त्री० कोंचबीज वृक्षामयः पु. लाख वयस्था , गुर्च, कलिहारी, हर बृक्षधूपकः , सरल का गोंद व्याधिघात पु. अमलतास गूगर भेद व्याघ्रनखं न० नख बर्द्धनावः , सफेद अंड व्याघ्रयुधं ,, वहिणम् , पिण्ड तगर व्याघ्री, भटकटया वहिष्ठम , सुगन्धवाला व्याघ्रपुच्छः ,, लालअंड सफदअंड वहिः पु० थूहर, ग्रन्थिपणी व्याल , चित्रक व्योषः , त्रिकटा वहः व्यामपौरम न. कतृण वरतिक्तका स्त्री० पाठा वृत्तकोषः ।, देवदाली वरदा , . असगंध वृत्तफलः , लाल चिरचिरा वरांततः पु. पित्तपापड़ा भेद, कुश Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ __ मेंथी वासका बांस [ १४ ] वरम् न. कुकुम बाथै नपु० वरा स्त्री. __ त्रिफला वायसी , काकमाची वरांगम न० तेजपात करती पराहवदनास्त्री. बिदारीकन्द वाराहांगी स्त्री. दन्ती छोटी वराहकर्णी, असगंध वारिदनामक नपु० मोंथा परी , शितावर, दन्ती बड़ी वारुणी स्त्री. इन्द्रवारुणी वल्लरी , वार्ताकी फल कटैया वंशलोचना , पाल्ही न. हींग, कुकुम वंशजा . बालेय , कैवीमोंथा वंशक्षीरी वाशिका अरूमा वंशपत्री वंशपत्री अरूसा वैश वासा स्त्री. वशिरः नपु. स्त्री. गजपीपर वांसी वंशलोचन समुद्रफेन विकशा रोहिणी वंशिक __ नपु. अगर मजीठ वसिर पु. लालचिरचिरा विकीरण पु. सफेद पाक वसुक: , सफेद पाक विक्षीरिणी , वस्त्र रंजनी स्त्री० मजीठ | बिजया , भांग, हरै वस्त्र रंजक पु. कुकुम विडं न० विडनोन वायविरंग वन्हिवक्त्रा: , ललिहारी वितुनकं , कैवर्तीमोथा, धना वाजिनामा , असगंध | विदारिगंधा, शालपर्णी वाजिदन्ता स्त्री. अरूसा विदुलः , वेत, थूहर, मेंहुड़ा वाट्या वरिभरा . भेद वट्यालिका , विदारी स्त्री. षिदारीकन्द वाट्यालका , विद्रुमलता ,, नीलका वाणः पु. मूंज, सरपता | विभीतकः पु. बहेरा वातारि: लाल अंड विमला स्त्री. थूहर, सेंहुडाभेद सफेद अंर विल्व: पु० विकसा " दुधी Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , [ २५ ] विश्वक सेनाङ्गना स्त्री. गंधप्रियंगु वैजयन्तिका स्त्री० खवैणवी विश्वा न० बिशल्या स्त्री० दन्ती छोटी, गुर्च, कलिहारी विश्वभेषजं न० स्त्री० विश्व विशाला विषघ्नी १ ܕܙ विषपुष्यका पु० .. विषनाशिनीस्त्रो० नाइ, रास्ना भेद विषकंटकिनी, बांझ ककोड़ा कंद बिषमुष्टिक पु० बकाइन, कुचिला विष्णुकान्ताखो• लता विशेष 23 " बीरतरु पु० वीरं न० वीरवृक्षा पु० वेणी श्री० बे पु० सोंठ वेतन: .. वेदमुख्या स्त्री० वेल्ल न० वेल्लम् सोंठ, अती 99 इन्द्रवारुणी हा ऊबेर मैफल विषा विषाणी विषापहा नागदमनी शतपबो वीरबल्ली रोहिणी शतफली 19 वीरणं न० वीरणकंद शतपर्बिका,, ती | शतपर्वकी मेदासिंगी, ऋषभक शक्रपुष्पी स्त्री० शक्रशाखी 19 वीरकन्द कलिहारी कूठ शकुलादिना " कुलकी, जलपीपर गांड दूबो शकुलाक्षक: पु० शंखपुष्पी शंखपुष्पी शंखाव्हा टी शठी शणपुष्पी शतपुष्पा,, शतबली शतवीर्या 19 भिलावा शतपदी देवदाली शतमूली बांस शताव्हा ܕܪ बी० رد " शतकुम्भा पु० 39 " ور 99 " G, 39 " 99 او " बेत शंपाक: पु० जैत, इनी वंशलोचन कस्तूरी श्मीपत्रा "9 कालीमिर्च | श्रृंगवेरा श्री० वायविरङ्ग | शृङ्गवेर न० 99 कचूर कपूरकचरी दारूहल्दी चिहुल शनपुष्पी सोफ बच सफेद कडेल बांस बांस नीलदूर्वा 99 श्वेतदूर्वा शिताबर शिताबर महाशिताबर सफ अमलतास लजवन्ती पटेरा अदरख, खोंठ Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बल बेल राल मूर्वा 1 २६ । शृंगी स्त्री० काकड़ासिंगी, अतीस श्वेत पष्प: प. सफेद पाक श्रीः , सफेद चन्दन | - सफेद कडेल श्रीखंड ,न० , श्वेतमुला ., श्वेत पुनर्नवा श्रीवासः प. सरल का गोंद शष्यं नपु० नीलदूर्वा श्रीवेष्टः ,, , बेरोजा शाकंभरीयं ,, साम्हरिनमक श्रीप्रसूतकं न. लौंग शाकश्रेष्टा जीवशाक श्रीसंज्ञं , शाठिल्य श्रीफलः , शातला स्त्री. थूहर सेहुँड श्रीपर्णी स्त्री. गम्भारी इन्नी भद श्रीपर्णिका ,, जायफल शारदी जल पीपर श्रीफली , नाल शारिवा , अनन्तमूल श्रवणशीर्षका मुण्डी शालानर्यास: पु० श्रवणाह्वया, शालपणिका वी० श्रावणी , शालिपर्णी सरिवन श्रेयसी , हरे, गजपीपर शालीनः सोंफ बायसुरई शालयं शरः , रामशर, सरपत | शावर: लाध्र शरपङ्खा, सरफों का शिलाटिका स्त्री. लाल पुनर्नवा शरी स्त्री मोथीतृण | शिलापुष्प नपु. लोवान, भूर शल्यकः प. मैनफल छरीला श्यामक न० रोहिषतृण | |शिव , सेंधा नमक श्यामा, गंधप्रियंगु | शिवा स्त्री. हर्र, आमला श्येनेष्टा , दन्तीछोटी . आलू श्योनाकः पु. सोनापाठा शिविः मोथातृण श्वादिष्टास्त्री० गुखरू | शिग्रः सेंजना श्वेतपुष्पा ,, नागपुष्प | शीवा दंतोछोटी श्वेतपुष्पं न० निगुण्डी | शीघ्र नपु० सेंधानोंन श्वेतमरिचं, सहिजना के बीज | शीणराम , प्रथपर्णी खी. Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुक्रनारस: पु० शुकं नपु० शुक्रवम् शुकपुष्पं शुकच्छदं शुक्लकन्दा शुक्लं शुक्ल पलं शुकाम् शुण्ठी शुभा शु शूकशिम्बी शूनमध्य शेफाली शैलूष शैलेयं शफकत शोभाञ्जन शोषणः शोण्डी "" बइपन्या او , स्त्री० नपु० " स्त्री० ". 37 " पु० "" 영 ब्रा० स्त्री० 93 / २७ । 99 सोनापाठा ग्रंथभेद षडूषणं शोणपुष्पकः शोणिताभिध नपु० शोथध्नः पु० लाल पुनर्नवा शोथधनी स्त्री० श्वेत पुनर्नवा त्रि० संकोचं "" अतीस सदापुष्प लाल आक कैवर्ती मोथा बंशलोचन सभंतदुग्धा नरकुल | समुद्रफेन पु० निगुडी समुद्रान्ता स्त्री० पु० वेल नपु० भूर छरीला पलासी, कांजी नपु० सोंठ, मिर्च, पीपर पीपरामूर, चव चीता समभाग स "" कोंच बीज चूक स्पृक्का स्फोटां स्फोटः सोंठ सगा स्त्री० भिलावा सेंजना सोनापाठा पीपर लोबान सर्जरस कचनार सर्पाङ्गी सर्पाक्षी सर्वरस सर्वानुभूत सरणी सरलश्राव: सरल: नपु० स्रु क स्र पु० सरस्वती व, गंध | सोहिता समगंधिकं नपुं० उशीर वीरणमूल समस्तका स्त्री० अजमोद पिण्डशाक 9.9 स्त्री. श्वेतसारिव। पु० ور 37 39 कु कुम श्वेत आक " रक्त आक लजवती मजीठ पु० शर स्त्री० नाइ रास्नाभेद खरहरी ܕܙ स्त्री० समुद्रफेन जवासा, कपास सेहुँड़ा पिंडशाक पु० राल स्त्री० श्वेत निशोत स्त्री० गंध प्रसारिणी सरला गोंद पु० पु० स्निग्ध देवदारु श्वेत निशांत ब्राह्मी सेंजन के वीज Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , सोंफ __, सिहुड़ा [ २ ] स्वर्जिका , सज्जो मारिवा खी. अनन्तमूल स्वल्पकेशरी , रक्त कचनार सावरः पु. लोध्र वर्णभूषण: पु० अमलतास सिता स्त्री० विदारीकंद स्वर्णवल्ली श्री. स्वर्णवल्ली शकर स्वाद्वी दाल चीनी विताम्रः पु. कपुर स्वादकंटक गुखुरू सितछत्रा स्वादपर्णी स्त्री० दुधी सिन्दुक: , निगुण्डी स्वर्णाङ्ग अमलतास सिन्दुवारः स्थूलदर्भा , मूज सिन्दुवारक: स्थूलबल कल: , पठानीलोध सिलिक: ,, शिलारस स्थूला स्त्री. बड़ी इलायची सिंहतुण्डः संहिता , सौंफ सिंहपुच्छी स्त्री० पृष्टपणी सहदेवी . सहदेवी सिंहपर्णः पु० अरूसा सहस्रवधि नपु. हींग, चूक सिंहास्या सहसभित पु. कस्तूरी सिंहिका सहस्रवीर्या स्त्री० महा शितावर, सिंही ., फल कटैया नीलदूर्वा सुखवचिकः प० सज्जी सहस्रा माचिका सुगंध , नपु० भूतृण सहस्त्राहिः मोरसिखा सुगन्धः पु. कालाजीरा सहा मुग्धपर्णी शिलारस, कुन्दुगोंद सागरनं समुद्रफेन सुगन्धम् नपुः ग्रंथपर्णीभेद सातला त्रा. थूहर, सेहुँइभेद सुगन्धिः ., एलबालक सानजः पु. तुम्बरुफल सुगन्धा स्त्री० रास्ना, श्याम सामुद्रनं नपु. समुद्रफेन शारिवा सारा थूहर, से- सुदर्सना , सुदर्सन हुड भेद सुधा , सेहुडा मारणी , गंधप्रसारिणी सुनालं नपु० उशीरवतपीत म्वरुप Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाह सुरभी [ २६ } वर्ण तृण सूक्ष्मा स्त्री. छोटी सुपीर्णका स्त्री० वाकुची इलायची सुभिक्षा धाय नप. उशीरबीसुमेरवलः पु. मूज रणतण सुरसा स्त्री.रास्ना, ,, उशीरवतपोत वर्ण तण , कपूर हल्दी सेहुण्डः प. सिहुडा सुरतारका , " सोमवल्ली स्त्री० गुचं,बाकुची सुरंग , नपु० बच सोम्या शालिपर्णी सुरभूरुहः पु. देवदारु सोमवल्लक: पु. घोराकुंज सुरभिदारुकः , स्निग्धदेवदारु सोमक्षीरी स्त्री. सोमलता सुरभिः , मूत्रो सोमरानी , बाकुची सुरभितः स्त्री० कपूरहल्दी सोमा , गुर्च सुलोमशा - , काकजंगा | सौगन्धिकं नष: कतण रोहिवसुर्वचला , हुरहुरा सुवहा ,, नाइ, निगुण्डी सौभाग्य सुहागा सुवृता .. गंधद्रव्य गंध. सौमलता ___ स्त्री. सोमलता पालसी सौमबल्ली सुपवी ,, कलौंजी | सौरः पु. तुम्बरुफल सुषिरा नलिका (तज बलफल) सुषेणिका ,, काला निशोथ सौरभः , सूच्यग्रः पु० कुश सौवचलँ नपः कालानोन सूर्यपणिका स्त्री० मुग्धपर्णी, माषपर्णी हलिका स्त्री. रार सूर्यभक्ता , हुरहुरा हदबिलासिनी नखी सूर्यवर्ता सूक्ष्मपत्रः प. , हयपुच्छिका स्त्री. उरदपर्णा Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्ष हरिद्रा , हल्दी हीबेरं नपु० सुगंधवाला हरिद्रः पु० दारुहल्दी हेतु: पु० महाशितावर हरिचन्दनं नप० चन्दन पीला हेमक्षीरी स्त्री० चोक, सत्या. (पतँग) नाशी, बंगकटेरी हरिवियं , , हेमाह्वा हरिबालुकम , एलुबालुक हेमवती ,, चौक (बंग(एलुवा) कटेरी) हरिबिग्राह , स्त्री० धमासा हरीतकी हर क्षारः पु. यवक्षार. जवाखार क्षारद्रव्यं नपु० सज्जी, जवाखार हृद्रविलासिनी , हल्दी क्षाराष्ट्रक ढांक, पामार, हस्वगषेधुका ., कुलकरीगँगेरन चिरचिरा, आक, थूहर हलदी . स्त्री० हल्दी यवसज्जी, सुहागा हलिनि स्त्री. कलिहारी क्षारत्रयं ,, सोहागा, जवाखार, हबुषा स्त्री. हाऊबेर सज्जी हस्ति पारुणी ., कंजी आदि क्षीरबल्ला स्त्री. बिदारीकन्द हंसपदी ,, हंसपदी, हस क्षीरशुक्ला , " क्षीरा , दुधी हंसपादी क्षुद्रचंदनं नपु० लालचंदन हिंगु पु. हींगदपत्र क्षुद्रपत्र: पु. डाभ हिंगुनियांसा: क्षुद्रभंटाकी , कटैया छोटेफल हिंगुली स्त्री० भटकटैया क्षुद्रभद्रा ,, भटकटैया हिंगुपत्री , हिंगुपत्री नुद्रवर्षाभू , लालपुनर्नवा हिंगुसवारिका , बशपत्री सुद्रा , भटकटैया हिंञ्जल: इञ्जल तुरः पु० तालमखाना हिमवालुकः स्त्री० , गुखरू, तालहिमनाम नपु० मखाना हिमावती स्त्री चोंक क्षेत्रतिका ,, सफेद फूल वाली गम्भारी! कटैया राज कपूर | तुरका Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ३१ ] यची, पत्र ज्यूषणं त्रिकुटा त्रिपर्णी स्त्री. शालिपर्णी प्रायमाना स्त्री. त्रायमारण त्रिपुटा श्वेत निशोथ त्रायन्ती त्रिपादिका , हंसपदी, त्रिकुटः त्रिकुटा हंसराज त्रिकण्टः गुखरू त्रिवृता , श्वेत निशोथ त्रिकण्टक , त्रिवृता , त्रिजातं नपु. दालचीनी इला- त्रिष्वफला , आम्बला ॥ इति वैद्यकशब्द कोष समाप्तम् ॥ A RTHA CONORA taraf Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हरिहर प्रेस द्वारा प्रकाशित किये हुए कुछ वैद्योपयोगी ग्रन्थ-रत्न १-राजयक्ष्मा-तपेदिक को मिटाने के सरल व उत्तम योग मू. =) २–दमा-श्वास को दूर करने की अत्यन्तोपयोगी चिकित्सा । मू०।) ३-अर्श-सब प्रकार की बवासीर ब मस्से मिटाने के उपाय । मू.) ४-हरिधारित ग्रन्थरत्न-समस्त रोगों के सुलभ योग भाषा टीका सहित इसमें वर्णित हैं । कीमत लागत मात्र 1) आने ही है। ५-सीहा-तिल्ली की अपूर्व पुस्तक है वैद्यों के पढ़ने योग्य है। मू० =) ६-सिद्धौषधि प्रकाश-अनेक अनुभवी योगों का बड़ा संग्रह है। पुस्तक आयुर्वेद समाज की उन्नति करने वाली है । मू. १॥) ही है । स्त्री रोग चिकित्सा-स्त्रियों के सभी रोगों का वणन और आज माइश किये हुये अनुभूत प्रयोग भी हैं। मूल्य सिर्फ ।।) ही है। ८-व्रणोपचार पद्धति-समस्त प्रकार के घावों का इलाज है। मू. =) -वैद्यक शब्द कोष-काष्ठौषधियों के नाम संस्कृत से भाषा में वणित हैं। श्लोक लगाने और उनके अर्थ समझाने में बहुत उपकारी है। मूल्य।) आना। १०-पेटेण्ट औषधे और भारतवर्ष-(प्रथम भाग व द्वितीय भाग) इसमें समस्त औषधियां वणित हैं जा कि अपनी आजयाइश की हुईहैं। इस पस्तक ने वैद्य-समाज में बहुत मान पाया है। मू०३) ११-- सरल रोग-विज्ञान-इसमें आयुर्वेदीय, यूनानी व आंग्ल के निदानों का संग्रह है। शरीर के तमाम रोगों का वर्णन सविस्तार किया है। इतना होने पर भी इस वृहत् काय ग्रंथ का मूल्य स० जि० ॥) है। १२-आयुर्वेदीय विश्व-कोष-यह तीन भाग में वितरित है। जिसमें आयुर्वेदीय, यूनानी, ऐलोपैथिक चिकित्सा के निदान. व रसायन शास्त्र, निघण्टु एवं शरीरपर वेदकाल से लेकर आजतक की तहकीकातों पर विस्तृत प्रकाश डाला है । भारत में इस ढंग का कोई भी 'कोष' नहीं निकला। प्रत्येक भागकी पृष्ठ संख्या ८०. के लगभग है। फिरभी इस पोथेका मू० जिल्द ६) सजि० ७) प्रतिभाग है। मिलने का पता-श्री हरिहरि प्रस, बरालोकपुर, इटावा । Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भारत भर में आयुर्वेद के प्रसिद्ध अमूल्य ग्रन्थ आयुर्वेदीय विश्व-कोष निखिल भारतवर्षीय वैद्य-सम्मेलन के प्रस्तावानुसार अकारादि Wh क्रम से आयुर्वेदीय, यूनानी, एलोपैथिक चिकित्सा-त्रय के निदान चिकित्सा निघण्टु (वनौषधि-गुणधर्म), शरीर एवं रसायनशास्त्र पर वेद-काल से लेकर आजतक समस्त तहकीकातों पर विस्तृते प्रकाश डाला गया है। भारत में इससे पहले कोई भी कोष” आयुर्वेदीय-जगत में प्रकाशित नहीं हुआ। यह विश्व-कोष" तीन भागों में वितरित है। जिसके प्रत्येक भाग की पृष्ठ संख्या 800 से अधिक ही है। इसकी भूमिका जगत-प्रसिद्ध महामहोपाध्याय कविराज गणनाथसेन जी सरस्वती, कलकत्ते ने लिखी है। प्रत्येक वैद्य, हकीम डाक्टर व गृहस्थों के लिये अभूतपूर्व एवं अत्यन्त उपयोगी है। इतना सब होने पर भी इस पोथे का दाम लागत-मात्र अजिल्द 6) और सजिल्द 7) रुपया ही है। एक बार अवश्य पढ़िएगा। सरलरोग विज्ञान निदान ही चिकित्या का प्रधान अंग है। यदि आप वैद्य हैं या वैद्य बनना चाहते हैं तो अवश्य ही निदान जानने वाले ग्रन्थों को पढ़िए ! इतना करने पर ही आप सुविख्यात चिकित्सक बना र आयुर्वेदीय-क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर देश का उद्धार कर सकने में समर्थ होंगे। इतनी बातें श्राप तभी प्राप्त कर सकेंगे जबकि हमारे यहीं से प्रकाशित निदान की अभूतपूर्व व सर्वाङ्ग सुन्दर उपरोक्त पुस्तक देखेंगे। पुस्तक का दाम अ० 3) स. 4) ही है। मैनेजर-श्री हरिहर प्रेस, बरालोकपुर, इटावा / Besozo33BBS